समुंद्री धाराएं कैसे बनती है ?
अधिकतर लोग समझते हैं महासागरों में मौजूद पानी ' स्थिर ' है परन्तु ऐसा नहीं है । यह हमेशा नियमित पैटनों में गतिशील रहता है या बहता है । पानी की इसी गतिशीलता को समुद्री धाराएं कहा जाता है । इनमें से एक किस्म है स्ट्रीम , जिसे धारा या नदी भी कहा जाता है । स्ट्रीम एक ऐसी धारा होती है। जिसकी निश्चित सीमाएं होती हैं । इसकी एक अन्य किस्म है ' ड्रिफ्ट ' ।
एक ड्रिफ्ट की कोई नियत सीमाएं नहीं होतीं । क्या आप जानते हैं कि ये समुद्री धाराएं उत्पन्न कैसे होती हैं ?
समुद्री धाराओं के बनने के मुख्य तीन कारण हैं ।
( 1 ) समुद्री पानी का घनत्व एक स्थान से दूसरे स्थान पर अलग - अलग होता है क्योंकि प्रत्येक स्थान पर नमक की मात्रा एक समान नही होती । पानी अधिक घनत्व वालो क्षेत्र से कम घनत्व वाल क्षेत्र की अर जाता है , जिससे धाराओं का निर्माण होता है ।
( 2 ) सूर्य की किरणें समुद्र की सतह पर अलग - अलग कोनों से पड़ती हैं , जिसके कारण अलग - अलग स्थानों पर अलग अलग तरह का तापमान होता है । इससे समुद्र में ' कन्वैक्शन करंट्स ' उत्पन्न होती हैं ।
( 3 ) समुद्र की सतह के ऊपर बहती हवाएं भी पानी को धाराओं के रूप में धकेलती हैं । धाराएं पृथ्वी के घूमने के कारण भी उत्पन्न होती हैं । सामान्य रूप से पृथ्वी के घूमने से उत्तरी गोलार्द्ध में दक्षिणावर्त (क्लॉक वाइज़ ) धाराएं उत्पन्न होती हैं तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में काऊंटर क्लॉक वाइज़ धाराएं पैदा होती हैं । इनमें से ' गल्फस्ट्रीम ' (खाड़ी की धारा ) सबसे अधिक महत्वपूर्ण है ।
इस धारा का पानी नीला तथा गर्म होता है । यह धारा मैक्सिको की खाड़ी से उत्तर में कनाडा की ओर अटलांटिक महासागर के मध्य में एक नदी की तरह बहती है । इस धारा के कारण लंदन तथा पैरिस कम ठंडे हैं । यह नार्वे की बंदरगाह को सारा वर्ष बर्फ से मुक्त रखती है । इनके अतिरिक्त ब्राजील करंट , जापान करंट , नार्थ इक्वेटोरियल करंट , नार्थ पैसिफिक करंट आदि धाराएं विश्व की अन्य प्रमुख समुद्री धाराएं हैं ।
एक ठंडी धारा , जैसे कि लैब्राडोर धारा जो उत्तर ध्रुवीय से अटलांटिक तक बहती है , अपने साथ ट्रांस अटलांटिक शिपिंग लेन्स में हिमशैल ले जा सकती है । समुद्री धाराएं महासागरों के पौधों तथा जानवरों के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। पानी की धाराएं उनके लिए भोजन तथा पोषक तत्व लाती हैं । यह उनके प्रवास के दौरान भी सहायता करती हैं ।
धाराएं धरती की जलवायु पर भी प्रभाव डालती हैं । समुद्री धाराएं पानी में गर्म से ठंडे तथा ठंडे से गर्म क्षेत्रों की ओर बहती हैं । भूमध्यरेखीय वातावरणों में अटलांटिक प्रशांत तथा हिन्द महासागर में बहने वाली समुद्री धाराओं की पेचीदा प्रणाली को ' इक्वेटोरियल करंट ' के सांझे नाम से जाना जाता है ।
पैसिफिक नार्थ इक्वेटोरियल करंट जापान करंट , नाथ पैसिफिक करंट तथा कैलिफोर्निया करंट वाली क्लॉक वाइस ओशीयन करंट प्रणाली का भाग है । इसी तरह अटलांटिक , नार्थ इक्वेटोरियल करंट गल्फ स्ट्रीम तथा कैनारीज़ करंट वाले क्लॉक वाइज सिस्टम का भाग है ।
झीलें कैसे बनती हैं ?
झीलों में पानी अधिकतर वर्षा तथा बर्फ के पिघलने से ही आता है परंतु कुछ झीलें ऐसी भी है जिसमें पानी छोटी नदियों तथा नालो से चश्मों, धाराओं तथा भूमिगत रूप से भी आता है ।
अब प्रश्न यह है कि झीलें है क्या ?
झीलें चारों और से भूमि में धीरे हुए जल का स्त्रोत है जो धरती की सतह में गड्ढों में बने रहते हैं इन गड्ढों को बेसिन या थाले कहा जाता है। यह थाले कई प्रकार से बनते हैं यह धरती की पपड़ी में किसी फाल्ट का परिणाम भी हो सकता है तो कई बार ज्वालामुखी के द्वारा भी झीलों का निर्माण हो जाता है ।
ज्वालामुखी के क्रेटर में पानी भर जाता है जिसके कारण वह झीलों का रूप ले लेती हैं । बहुत से झीलों के थाले ग्लेशियर द्वारा कटाव के कारण भी बनते हैं । सभी विशाल झीलें (सिवाय कनाडा में सुपीरियर झील तथा विनीपेग झील के ) ऐसी जिलों का उदाहरण है जो ग्लेशियरों द्वारा बनाई गई है
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