जानकारी
कंगारू का नाम लेते ही आस्ट्रेलिया की छवि सामने आ जाती है क्योंकि यह पशु केवल आस्ट्रेलिया महाद्वीप में ही पाया जाता है तथा इसकी विभिन्न प्रजातियों से यह स्थल भरा पड़ा है । अपने पेट की थैली में बच्चे को छुपाए छलांग लगाते कंगारू आस्ट्रेलिया के लिए गर्व के प्रतीक हैं ।
इन्हें न केवल वहां के राष्ट्र चिन्ह के रूप में पहचाना गया है बल्कि आस्ट्रेलिया की राष्ट्रीय हवाई कंपनी क्वान्टास के विमानों पर कंगारू के ही चित्र अंकित हैं , जो देश - विदेश में जाकर आस्ट्रेलिया का नाम कंगारू के साथ जोड़ने का प्रयास करते हैं । इसी प्रकार आस्ट्रेलिया की क्रिकेट टीम को भी कंगारू के नाम से ही पुकारा जाता है किंतु अब इन्हीं कंगारुओं से आस्ट्रेलिया के किसान तंग आ गए हैं ।
इनकी बढ़ती हुई संख्या के कारण एक ओर तो फसलों की भयंकर हानि होती है तथा दूसरी ओर कंगारुओं के झुंड के झुंड चरागाहों , जल स्रोतों , खेतों की बागड़ों को भी समाप्त करते जा रहे हैं । इसके अलावा रात में सड़कों पर अनेक दुर्घटनाएं भी कंगारुओं के कारण होती हैं , इसीलिए किसान कंगारुओं को महामारी का नाम देने लगे हैं ।
वास्तव में आस्ट्रेलिया में पहला राष्ट्रव्यापी हवाई कंगारू सर्वेक्षण वर्ष 1982 में किया गया था । तब इन कंगारुओं की संख्या 1.9 करोड़ आंकी गई थी ( जबकि आस्ट्रेलिया की कुल जनसंख्या केवल 1.8 करोड़ ही है ) इसी बीच वहां वर्ष 1982-83 में भयंकर अकाल पड़ा था , जिससे कंगारुओं की संख्या घट कर 1.3 करोड़ रह गई किंतु इसके बाद यह संख्या तेजी से बढ़ने लगी और वर्ष 1992 में दो करोड़ तथा वर्ष 2000 में चार करोड़ तक पहुंच गई थी ।
वर्ष 1989 में आस्ट्रेलिया में दोबारा अकाल पड़ा था । तब भेड़ बकरियों की संख्या में तो कमी आई थी किंतु कंगारुओं की संख्या में कोई विशेष परिवर्तन नहीं हुआ था । कंगारुओं की बढ़ती हुई संख्या में कमी लाने के लिए अनेक सुझाव दिए गए हैं। सबसे पहला तो इनकी नसबंदी का प्रस्ताव है किंतु यह कार्य इतना सरल नहीं है तथा कई विशेषज्ञों का मानना है कि इसके द्वारा परोक्ष रूप से इनकी संख्या कम होने की बजाय बढ़ सकती है ।
दूसरा प्रस्ताव कंगारुओं के शिकार की अनुमति का है । वास्तव में आस्ट्रेलिया सरकार पिछले कई वर्षों से प्रति वर्ष 20-25 लाख कंगारुओं के शिकार की अनुमति देती रही है किंतु इसमें अधिकतर बड़े और युवा नर मारे जाते हैं तथा छोटे जानवर छूट जाते हैं । कुछ समय पश्चात वे छोटे कंगारू बड़े होकर संख्या वृद्धि करना आरम्भ कर देते हैं इस प्रकार अंत में ढाक के तीन पात ।
कंगारू का मांस आस्ट्रेलिया के सुपर बाजारों में बहुत सस्ते में मिलता है तथा वहां के होटलों में कंगारू का सूप तथा अन्य व्यंजन खूब बिकते हैं। इसके अतिरिक्त ऑस्ट्रेलिया का कंगारू उद्योग यूरोप अमेरिका तथा एशिया के 25 से भी अधिक देशों को कंगारू के मांस की आपूर्ति करता है। मांस के अतिरिक्त अन्य देशों को कंगारू की खाल, चमड़ा चमड़े से उत्तम किस्म के जूते तथा अन्य सामान तैयार किए जाते हैं।
कंगारुओं की बढ़ती हुई संख्या के कारण 50 वर्ष पूर्व जब गोरे लोग ऑस्ट्रेलिया आए थे तो वहां के आदिवासियों के कारण इन कंगारुओं की संख्या सीमित रहती थी किंतु गोरे लोगों ने आदिवासियों को भगाकर जंगल साफ कर दिए तथा वहां पर कृत्रिम जल स्रोत बनाएं । इसके अलावा कंगारुओं को अनुकूल वातावरण मिलने लगा और इनकी संख्या 5 से 8 गुना बढ़ गई है।
इस प्रकार वहां के कंगारू अब समस्या बन गए हैं। अब यह देखना है कि ऑस्ट्रेलिया निवासी कंगारू समस्या का समाधान कैसे करते हैं उन्हें खाकर या बचाकर।
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