तोते मनुष्य की आवाज में कैसे बोल लेते हैं ?
तोते बोल कैसे पाते हैं । रश्मि ने पूछा , " मैम , मेरी नानी के घर में एक तोता है । और जो कुछ भी मेरी नानी बोलती है वह उन शब्दों को दोहराता है । एक बार तो उसने मुझे भी मेरे नाम से पुकारा । मैम तोते कैसे बोल पाते हैं ? "
मैम ने उत्तर दिया , " यह सचमुच एक रहस्य ही है । कोई भी अभी तक पूरी तरह यह स्पष्ट नहीं कर पाया कि तोते इतनी अच्छी तरह मनुष्य की आवाज की नकल कैसे कर पाते हैं । कुछ लोगों का मानना है कि तोते इसलिए बोल पाते हैं क्योंकि उनकी जीभ लम्बी और मोटी होती है ।
लेकिन फिर बोलने वाले अन्य पक्षी भी हैं जैसे मैना , कौए तथा रेवन ( काला चमकीला कौआ ) , जिनकी जीभ बड़ी तथा मोटी नहीं होती । फिर बाज तथा गिद्ध जैसे पक्षी भी हैं जिनकी जीभ लम्बी तथा मोटी होती है लेकिन वे भी बोल नहीं पाते ।
अधिकतर जीव विज्ञानियों का मानना है कि तोतों तथा बोलने वाले अन्य पक्षियों को उनके द्वारा बोले शब्दों का अर्थ नहीं मालूम होता । कुछ जीव विज्ञानी मानते हैं कि तोते इसलिए बोलते हैं । क्योंकि उनकी आवाज का रचना तंत्र तथा श्रवण अन्य पक्षियों के मुकाबले धीमा कार्य करता है और चूंकि मनुष्य की आवाज तोते से मिलती है , इसलिए उन्हें इसकी नकल करना काफी आसान हो जाता है ।
तोते खुद को रहने की किसी भी परिस्थितियों के अनुसार ढाल लेते हैं । हालांकि यह एक उष्ण कटिबंधीय पक्षी है , लेकिन यह ठंडी जलवायु में भी रह सकता क्या आप जानते हैं कि खाते समय तोते अपने पांवों का इस्तेमाल लगभग हाथों की ही तरह करते हैं ? "
क्या जिराफ की आवाज होती है ?
प्रियंका ने पूछा , “ मैम ऐसा लगता है कि जिराफ की कोई आवाज नहीं होती । क्या वे सचमुच बोल नहीं सकते ? " मैम ने जानकारी दी , " जिराफ में वायस बॉक्स या स्वरयंत्र जिसे लारिंक्स कहा जाता है , पूरी तरह से अविकसित होता है ।
इसी कारण जिराफ के पास आवाज नहीं होती । लेकिन कुछ मादा जिराफों को उस समय हल्की आवाज में रंभाते देखा गया जब वे किसी बात से चिंतित दिखाई देती थीं । कुछ नन्हे जिराफों को उस समय बछड़े जैसी आवाज निकालते देखा गया है जब वे भूखे थे ।
जिराफ के पास अपनी आवाज की कमी को पूरा करने के और तरीके होते हैं । इनके कान काफी बड़े होते हैं तथा ये हल्की - सी आवाज को भी सुन सकते हैं । इनकी सूंघने की शक्ति बहुत तीव्र होती है जो इन्हें खतरा भांपने में सहायता करती है । और तो और , जिराफ पीछा करने पर 30 मील प्रति घंटा की रफ्तार से भाग सकता है ।
जिराफ के लिए एक अन्य सुरक्षा है इसका रंग । जंगल में जिराफ को खोजना बहुत कठिन होता है क्योंकि यह अपने आसपास की दृश्यावली से अच्छी तरह से घुलमिल जाता है।"
क्या कछुओं की आवाज होती है ?
मोनू ने पूछा , " मैम क्या कछुओं की अपनी आवाज होती है? " मैम ने उत्तर दिया , " अधिकतर कछुओं " की आवाज नहीं होती परन्तु कई विशालकाय कछुए घुरघुराते , दहाड़ते या चिल्लाते हैं । " उसने पुनः पूछा , " अंग्रेजी में कछुए को टर्टल और टोर्टोइज़ कहते हैं । आखिर इनमें क्या अंतर है ? "
मैम ने समझाया , " जमीन पर रहने वाले कछुओं को अंग्रेजी में टोर्टोइज कहते हैं और समुद्री कछुओं को टर्टल । शायद आपको यह मालूम नहीं कि ताजे पानी में पाए जाने वाले कछुओं को ' टेरापिन्स ' भी कहा जाता है । टर्टल की कुछ प्रजातियां काफी बड़ा आकार ग्रहण कर लेती हैं ।
इनमें सर्वाधिक बड़े लैदरबैक टर्टल होते हैं । इनका औसत वजन 450 किलोग्राम होता है । ये अन्य जीवों से काफी अधिक आयु तक जीवित रहते हैं । कुछ जायंट टर्टल 200 वर्ष तक जीवित रहे । वास्तव में टर्टल को अपनी सुरक्षा के लिए अपनी आवाज की आवश्यकता नहीं पड़ती । उसका सुरक्षा कवच उसकी कड़ी और कठोर खाल होती है ।
यह कवच हड्डीनुमा कठोर पदार्थ का बना होता है । कछुओं के बारे में एक आश्चर्यजनक तथ्य यह भी है कि लंदन के नैचुरल हिस्ट्री म्यूजियम में 50 लाख वर्ष पहले विलुप्त हो चुकी टर्टल्स की एक प्रजाति के सदस्य का कंकाल प्रदर्शित किया गया है । इसके ऊपरी कवच का आकार लगभग एक मिनी बस के बराबर है । "
🙏दोस्तों अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी हो तो आप कमेंट करना ना भूलें नीचे कमेंट बॉक्स में अपनी कीमती राय जरूर दें। Discovery World Hindi पर बने रहने के लिए हृदय से धन्यवाद ।🌺
यह भी पढ़ें:-
No comments:
Write the Comments