रवांडा का इतिहास |100 दिनों के नरसंहार में 10 लाख लोगों की मृत्यु
रवांडा
रवांडा के गांव हरी - भरी ऊष्ण - कटिबंधीय पहाड़ियों के साथ चिपके से दिखाई देते हैं । वहां नदी , घाटियां , घास के मैदान तथा पर्वतीय ढलानों के साथ ज्वालामुखी हैं । इस देश के जंगल दुर्लभ पर्वतीय गोरिल्ला का आवास हैं । अधिकतर रवांडन हुतु नामक लोगों के समूह से संबंध रखते हैं परन्तु अल्पसंख्यक लगभग 10 प्रतिशत लोग तुत्सीज़ हैं ।
सैंकड़ों वर्षों तक शासन तुत्सीज़ के हाथों में था , जबकि हुतु लोग गरीब किसान थे । 1890 के अंत में रवांडा - उरूंडी (रवांडा तथा इसका दक्षिणी पड़ोसी , बुरूंडी ) पहले जर्मन तथा फिर बैल्जियन कालाना का जब 1963 में रवांडा स्वतंत्र हुआ । शासन हुतु लोगों के हाथों में आ गया और इसके बाद प्रारम्भ हुआ तुत्सीज़ लोगों के साथ लम्बे संघर्ष का दौर । बहुत से लोग पड़ोसी बुरुंडी भाग गए ।
1993 में सरकार तथा तुत्सीज विद्रोहियों के बीच एक शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए गए । हुतु बहुमत सरकार तथा तुत्सी समर्थक विद्रोहियों के बीच चार वर्षों तक चली लड़ाई में हजारों लोग मारे गए और विश्व में सबसे बड़ी शरणार्थी समस्या उत्पन्न हो गई। अप्रैल 1994 में रवांडा के राष्ट्रपति जुवेनल हबयारिमाना बुरूंडी के राष्ट्रपति के साथ एक रॉकेट हमले में मारे गए । इसी के साथ जातीय हिंसा भड़क उठी ।
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एक अनुमान के मुताबिक इस नरसंहार में कम से कम 10 लाख निर्दोष लोगों की जान गई । गरीबी का दंश झेल रहा यह देश इस नरसंहार के बाद इसकी हालत और भी दयनीय हो गई । यह नरसंहार कई महिनो चला। सन 2002 में उसकी देखभाल कर रही है एक अंतरराष्ट्रीय अपराध अदालत का गठन भी किया गया।
यहां युद्ध के प्रभावों से निपटने के लिए एक बहुत बड़ी अंतर्राष्ट्रीय सहायता की आवश्यकता है । यहां की अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित है जो मुश्किल से गुजारे लायक है । कॉफी , कपास , चाय यहां की मुख्य फसलें हैं । खनिजों में टिन , अयस्क , टंगस्टन आदि शामिल हैं । उद्योग विकसित नहीं हैं । पशुपालन व्यापार के रूप में किया जाता है तथा खालों और चमड़े का निर्यात होता है । रवांडा एक छोटा , चारों तरफ से भूमि से घिरा देश है ।
जनसंख्या काफी घनी तथा गरीब है जो मुख्यत : कृषि पर निर्भर करती है । रवांडा जर्मनी द्वारा शासित पूर्वी अफ्रीका का भाग था परन्तु प्रथम विश्व युद्ध के दौरान इस पर बैल्जियम का नियंत्रण हो गया और यह यू.एन. ट्रस्ट टैरिटरी रवांडा - उरूंडी बन गया । रवांडा को अंतत : 1962 में स्वतंत्रता प्राप्त हुई । रवांडा - उरूंडी का दक्षिणी भाग अब बुरूंडी है । स्वतंत्रता के बाद से ही देश के दो प्रमुख जातीय दलों , हुतु तथा तुत्सी के बीच भीषण संघर्ष चला , जिससे देश के विकास को काफी धक्का पहुंचा ।
इसका झंडा 1961 में अपनाया गया जो अफ्रीका एकता के सूचक पैन अफ्रीकन रंगों पर आधारित है । गिनी के झंडे के साथ भ्रम से बचने के लिए इसमें अंग्रेजी का शब्द आर ( R ) शामिल किया गया जो रवांडा , जनमत संग्रह तथा क्रांति का सूचक है ।
यह झंडा को बदल दिया गया क्योंकि यह 1994 के नरसंहार की क्रूरता से जुड़ा हुआ था। और यह उसकी याद दिलाता था।
25 दिसंबर 2001 को इस ध्वज के स्थान पर दूसरा झंडा रवांडा का प्रतीक बन गया।
तथ्य एवं आंकड़े क्षेत्रफल : 26,340 वर्ग किलोमीटर
जनसंख्या : लगभग 1.26 करोड़
राजधानी : किगाली
अन्य प्रमुख शहर : बुटारे
सर्वाधिक ऊंचा स्थान : माऊंट कारिसिम्बी ( 4,507 मीटर) आधिकारिक
भाषा : किन्यारवांडा , फ्रैंच
प्रमुख धर्म : ईसाई , इस्लाम , कबायली
मुद्रा : रवांडा फ्रैंक
प्रमुख निर्यात : कॉफी , चाय , टिन
सरकार : सैनिक शासन
प्रति व्यक्ति कुल राष्ट्रीय उत्पादः लगभग 19500 रुपए लगभग
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