तत्व कितने प्रकार के होते हैं ?
पृथ्वी पर प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले स्थिर तत्वों की संख्या मात्र 92 है । हालांकि वैज्ञानिक अब तक कुल मिला कर 107 तत्व खोज चुके हैं लेकिन इनमें से 15 तत्व प्रयोगशालाओं में कृत्रिम रूप से बनाए गए हैं । ये कृत्रिम तत्व प्रकृति में अस्थिर होते हैं । इन 92 तत्वों के अणु भी 92 प्रकार के होते हैं ।
कुछ तत्वों से कितने पदार्थ बनाए जा सकते हैं ?
क्या आप जानते हैं कि किस तरह इन तत्वों में लाखों प्रकार के पदार्थ बनाए जाते हैं ? ब्रह्माण्ड में मौजूद हर तरह के पदार्थ इन्हीं 92 तत्वों के अणुओं के मिश्रण से बनाए जाते हैं। विभिन्न तत्वों के अणुओं को अलग - अलग मात्रा में इस तरह मिलाया जाता है कि अनगिनत प्रकार के पदार्थ तैयार किए जाते रहें । कुछ महत्वपूर्ण तत्व हैं - लोहा , सोना , चांदी , तांबा , एल्यूमीनियम , सोडियम , पोटाशियम ( धातुई तत्व ) ऑक्सीजन , नाइट्रोजन , क्लोरीन , कार्बन , सल्फर (अधातु तत्व) ।
सभी तत्वों में अणु होते हैं तथा एक ही तत्व के अणु एक जैसे होते या अधिक अणुओं को आपस में मिश्रित कर मोलिक्यूल्स ( अणु का सबसे छोटा भाग ) तैयार किए जाते हैं । इसी तरह सोडियम के एक अणु के साथ क्लोरीन का एक अणु मिला कर सामान्य नमक सोडियम क्लोराइड का मोलिक्यूल तैयार किया जाता हैं ।
अब प्रश्न यह उठता है कि यौगिक बनाने के लिए किस तरह अणुओं को एक - दूसरे के साथ मिश्रित किया जाता है ? मुख्य रूप से ये दो तरह से मिश्रित होते हैं । इनके संयोजन की प्रक्रिया को समझने के लिए हमें अणु की संरचना को समझना होगा ।
प्रत्येक अणु का केन्द्रीय भाग ' पॉजीटिव ' रूप से चार्ज होता है और इसे न्यूक्लियस अर्थात नाभिकी कहा जाता है । अणु के इलैक्ट्रॉन इसके न्यूक्लियस के गिर्द विभिन्न कक्षाओं में घूमते रहते हैं । इलैक्ट्रॉन्स ' नैगिटिवी चार्ज्ड ' कण होते हैं।
पहले प्रकार के मिश्रण में एक अणु अपने कुछ इलैक्ट्रॉन्स दूसरे अणु को दे देता है और उन दोनों के मिश्रण के परिणाम स्वरूप एक नए पदार्थ का निर्माण होता है । मिश्रण के दूसरे प्रकार एक अणु दूसरे अणु के साथ इलैक्ट्रॉन्स का आदान - प्रदान करके आपसी संबंध कायम करते हैं ।
इस तरह दोनों प्रकार के मिश्रणों में सबसे बाहरी कक्षाओं के इलैक्ट्रॉन्स भाग लेते हैं । अब प्रश्न यह पैदा होता है कि किस तरह इलैक्ट्रॉन्स की सांझेदारी से नए पदार्थों का निर्माण होता है ? सामान्य नमक बनाने के लिए सोडियम के एक अणु का इलैक्ट्रॉन क्लोरीन के एक अणु को दिया जाता है ।
इलैक्ट्रॉन के इस स्थानांतरण से सोडियम के अणु को पॉजिटिव आयन तथा क्लोरीन के अणु को निगेटिव आयन प्राप्त होता है । इन आयनों के बीच इलैक्ट्रोस्टैटिक खिचाव की एक शक्ति होती है । खिंचाव की यह शक्ति दोनों अणुओं को एक साथ बांधे रखती है तथा सामान्य नमक का एक मोलीक्यूल बन जाता है ।
इसी तरह पानी के बनाने में ऑक्सीजन तथा हाईड्रोजन के अणुओं को इलैक्ट्रॉन्स की आपसी सांझेदारी होती है जिसके कारण इनके बीच खिंचाव की एक शक्ति उत्पन्न हो जाती है जो अणुओं को एक साथ बांधे रखती है । परिणामस्वरूप पानी के मोलिक्यूल्स बन जाते हैं ।
उदाहरण के लिए कार्बन के एक अणु को ऑक्सीजन के दो अणुओं के साथ मिला कर कार्बन डाईआक्साइड का एक मोलिक्यूल तैयार किया जाता है । इसी तरह से नाइट्रोजन के एक अणु को हाईड्रोजन के तीन अणुओं के साथ मिला कर अमोनिया गैस का एक विशाल मोलिक्यूल तैयार किया जाता है ।
कार्बन एक ऐसा तत्व है जिसे बड़ी संख्या में तत्वों के साथ मिश्रित किया जा सकता है . जिससे सर्वाधिक संख्या में यौगिक तैयार होता है , जिन्हें आर्गेनिक जैव पदार्थ कहा जाता है । जिन यौगिकों में कार्बन शामिल नहीं होता उन्हें अजैव कहा जाता है ।
रूसी वैज्ञानिक दमित्री में डेलेयेव ने सभी तत्वों का कई समूहों में वर्गीकरण किया तथा 1889 में उन्होंने ‘ पीरियाडिक टेबल ' नामक पुस्तक का प्रकाशन किया जिसमें सभी तत्वों को उनके अपने समूहों में दिखाया गया था ।
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