क्या लकड़बग्घे सचमुच हंसते है ?
लक्ष्य ने पूछा , " मैम , क्या लकड़बग्घे सचमुच हंसते हैं ? " मैम ने जानकारी दी , लकड़बग्घे ऐसी आवाज पैदा करते हैं जो हंसी जैसी सुनाई देती है लेकिन दरअसल ऐसा होता नहीं। चित्तीदार लकड़बग्घा ऐसी आवाज उत्पन्न करता है और इसलिए इसे हंसने वाला लकड़बग्घा कहा जाता है ।
जब वह किसी कारणवश उत्तेजित होता है तो यह एक तरह की चीखने तथा मुंह बंद करके हंसने और गरारे करने जैसी आवाज पैदा करता है , जो मिलजुल कर हंसने जैसी आवाज सुनाई देती है लेकिन सच तो यह है कि लकड़बग्घा चीखने जैसी आवाज पैदा करता है । " हंसने वाला लकड़बग्घा या चित्तीदार लकड़बग्घा , लकड़बग्घा परिवार का सबसे विशाल सदस्य होता है ।
अधिकतर जानवरों के विपरीत मादा नर से अधिक विशाल होती है । हंसने वाला लकड़बग्घा काफी भयानक दिखाई देता है । कंधों से इसकी ऊंचाई लगभग 1.85 मीटर होती है और एक बड़े आकार के लकड़बग्घे का भार 80 किलोग्राम तक होता है । हालांकि यह काफी भयानक दिखाई देता है , आमतौर पर यह डरपोक होता है । यह वह सब कुछ खाना पसंद करता है जो दूसरे जानवर मारते हैं और छोड़ देते हैं ।
लकड़बग्घे के जबड़े बहुत ही शक्तिशाली होते हैं । यह अपने जबड़े की मदद से मजबूत से मजबूत जानवरों की हड्डियों को चकनाचूर कर देते हैं । लकड़बग्घा जब किसी जानवर पर हमला कर देता हैं तो उसके जबड़ों से बच पाना बहुत मुश्किल होता है । लकड़बग्घे शिकार बहुत कम करते हैं इनको दूसरों के शिकार छीन कर खाना बहुत पसंद है तथा दूसरों के छोड़े गए शिकार का बचा आवश्यक खाना पसंद है।
लकड़बग्घे जब झुंड में होते हैं तो यह जंगल के राजा शेर को भी खदेड़ देते हैं । दूसरों का शिकार छीनने के लिए यह अपने झुंड का सहारा लेते हैं। लकड़बग्घे को सड़ा गला मांस खाने से कोई परहेज नहीं है । लकड़बग्घे अच्छे माता-पिता माने जाते हैं । झुंड के रूप में यह अपने बच्चों का बहुत ख्याल रखते हैं।
लकड़बग्घे बहुत खतरनाक तथा मांसाहारी जानवर है । कई बार ये खुले में सोते लोगों तथा मवेशियों के पीछे चलते लोगों पर भी हमला कर देते हैं परन्तु सामान्यतः ये बीमार या लूले - लंगड़े जानवरों या बहुत छोटे या बहुत अधिक उम्र के जानवरों पर हमला करते हैं । लकड़बग्घे आमंतौर पर अकेले शिकार करते हैं लेकिन वे झुंड में भी इकट्ठे हो सकते हैं । दिन के समय ये किसी मांद या गुफा में सोते हैं ।
अंधेरा घिरने पर ही आमतौर पर ये भोजन की तलाश में निकलते हैं ।
कुत्ते हड्डियां क्यों दबा देते हैं ?
सलोनी ने पूछा , " मैम हमारा कुत्ता ब्रूनो जब भी कहीं से कोई हड्डी उठा कर लाता है तो उसे बागीचे में ले जाता है तथा किसी कोने में दबा देता है । कोई भी उसकी हड्डी को नहीं छूता लेकिन वह हमेशा ऐसे ही करता है । जब गली का कोई कुत्ता ऐसा करता है तो वह हड्डी को अन्य कुत्तों से छुपाना चाहता होगा लेकिन ब्रूनो ऐसा क्यों करता है ? "
मैम ने उत्तर दिया , “ सभी कुत्तों , चाहे वे गलियों में घूमने वाले आवारा कुत्ते हों या पालतू , के पूर्वज जंगलों में रहते थे । भेड़िए , लोमड़ियां , गीदड़ ये सभी जंगली कुत्ते हैं । कुत्ते इन्हीं के वंशज हैं हालांकि बहुत से घरों में इनकी देखभाल बहुत अच्छी तरह से की जाती है । वे बहुत - सी आदतों को भूले नहीं हैं जो नैसर्गिक हैं । ये आदतें उनके पूर्वजों को कठिन जंगली जीवन में बचे रहने में सहायता करती थीं ।
यहां तक कि आज भी कुत्ते हड्डी को दबा देते हैं ताकि उसे भविष्य में इस्तेमाल किया " जा सके । आपने अवश्य गौर किया होगा कि कई बार कुत्ता सोने के लिए लेटने से पहले वहीं पर तीन चक्कर लगाता है । यह भी एक नैसर्गिक आदत होगी जो उनके पूर्वजों में रही होगी । उन्होंने ये आदतें भुलाई नहीं हैं चाहे वे घरों में रह रहे हैं तथा गद्दों पर सोते हैं । "
कुत्ता पागल क्यों हो जाता है ?
आलोक ने पूछा , “ मैम , हमारे पड़ोस में एक कुत्ता अचानक पागल हो गया । सारा ने समय वह गुर्रता तथा भौंकता रहता था । उसे बांध कर रखा गया था ताकि लोगों को वह काट न सके । तीन दिनों के भीतर ही वह मर गया । वह पागल क्यों हो गया था ? "
मैम ने जानकारी दी , " ऐसा रैबीज़ नामक बीमारी के कारण होता है । यह बीमारी दिमाग तथा रीढ़ को संक्रमित कर देती है । यह संक्रमण एक जीवाणु के कारण होता है जो इतना सूक्ष्म होता है कि उसे साधारण सूक्ष्मदर्शी से नहीं देखा जा सकता । " जब कोई कुत्ता रैबीज़ से संक्रमित होता है तो वह रातों - रात पागल नहीं हो जाता ।
यह बीमारी 3 से 6 हफ्तों में सामने आती है । इसका पहला लक्षण यह है कि कुत्ता चुप हो जाता है भोजन में उसकी रुचि कम हो जाती है या बिल्कुल ही रुचि नहीं रहती और फिर वह उत्तेजित हो जाता है । उसके मुंह से लार गिरने लगती है । वह गुर्राने तथा भौंकने लगता है । वह उन लोगों को भी काटने लगता है जिन्हें वह ' प्यार ' करता था ।
इन लक्षणों के दिखाई देने बाद तीन - चार दिन के बाद उसकी मृत्यु हो जाती है क्योंकि जीवाणु उसकी लार में होता है , इसलिए काटने से यह आगे फैलता है । एक बार यह बीमारी सामने आने पर मृत्यु लगभग अपरिहार्य है । यदि किसी को कुत्ता काट ले तो उसे तुरंत डाक्टर के पास जाना चाहिए ।
एक इंजैक्शन सीरम ऐसा है जो इस जीवाणु के फैलने से पूर्व इसके विरुद्ध कार्य करता है लेकिन इसे काटे जाने के तीन दिन के भीतर आवश्यक है । "
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