क्वार्टज़ घड़ियों की क्या विशेषताएं हैं ?
जमाना बदल रहा है और धीरे - धीरे स्प्रिंग पेंडुलम आदि वाली पारम्परिक घड़ियों का स्थान क्वार्ट्ज़ घड़ियां लेती जा रही हैं क्योंकि ये नई घड़ियां पुरानी शैली की घड़ियों से अधिक टिकाऊ , सही समय देने वाली , निर्माण में आसान तथा सस्ती होती हैं । इन्हें चलाने के लिए चाबी देने की भी आवश्यकता नहीं होती । केवल एक सैल की सहायता से ये महीनों सालों तक चलती रहती हैं या फिर से बिजली की सहायता से चलती हैं जिस पर नगण्य खर्चा आता है ।
अधिकतर क्वार्ट्ज घड़ियां जापान में बनती हैं । इसलिए घड़ियों के मामले में अब स्विट्जरलैंड के स्थान पर जापान अग्रणी हो रहा है । क्वार्ट्ज़ घड़ी वैसे तो बहुत ही व्यापक शब्द है , जिसके अंतर्गत बैटरी से चलने वाली एनालॉग घड़ियां , इलैक्ट्रॉनिक (डिजिटल) घड़ियां , माइक्रो प्रोसैसर घड़ियां आदि आती हैं क्योंकि इन सभी घड़ियों में समय की माप के लिए क्वार्ट्ज़ का ही उपयोग किया जाता है । किंतु आम बोलचाल में बैटरी से चलने वाली तथा सुइयों की सहायता से समय बताने वाली एनालॉग घड़ियों को ही क्वार्ट्ज़ घड़ियां कहते हैं ।
क्वार्ट्ज़ घड़ियां क्या होती हैं , यह समझने से पहले क्वार्ट्ज के बारे में जानना आवश्यक है ।
क्वार्ट्ज़ क्या है ?
क्वार्ट्ज संसार में सबसे अधिक पाया जाने वाला खनिज है।क्वार्ट्ज़ रेत का दूसरा रूप ही है । यह अनेक स्थानों पर भिन्न- भिन्न प्रकार की चट्टानों में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है । कभी - कभी यह प्राकृतिक अवस्था में क्रिस्टल के रूप में पाया जाता है । क्वार्ट्ज वास्तव में रेत का बदला हुआ रूप है तथा इसका रासायनिक नाम सिलिकॉन डाई ऑक्साइड है ।
क्वार्ट्ज़ साधारणतया रंगहीन , पारदर्शी और चमकदार होता है किंतु बहुधा यह जामुनी , नारंगी , पीले या भूरे रंग में भी मिलता है । कभी - कभी यह मूल्यवान रत्नों के रूप में भी पाया जाता है। क्वार्ट्ज़ वैसे तो संसार के लगभग हर भाग में पाया जाता है लेकिन व्यावसायिक रूप से ब्राजील का क्वार्ट्ज़ अधिक उत्तम माना जाता है।
क्वार्ट्ज़ के क्रिस्टल रूप की दो प्रमुख विशेषताएं हैं , जिनके कारण यह वैज्ञानिक क्षेत्र में अत्यधिक लोकप्रियता प्राप्त कर सका है । पहली विशेषता तो यह है कि क्वार्ट्ज़ प्रकाश को ध्रुवित कर देता है अर्थात प्रकाश की किरणों को अलग - अलग पहलुओं में बांट देता है ।
क्वार्ट्ज़ की दूसरी विशेषता यह है कि यदि इस पर यांत्रिक दबाव डाला जाए तो इसमें विद्युत धारा उत्पन्न हो जाती है । इसके विपरीत यदि क्वार्ट्ज़ क्रिस्टल में विद्युत धारा प्रवाहित की जाए तो उसमें कंपन पैदा हो जाता है । इसी विशेषता के कारण क्वार्ट्ज घड़ियों के लिए उपयुक्त बन गया है ।
क्वार्ट्ज़ घड़ी का हृदय
वास्तव में क्वार्ट्ज़ क्रिस्टल में विद्युत प्रवाह से उत्पन्न कम्पन क्रिस्टल के आकार तथा डीलडौल के कारण घटता बढ़ता रहता है। किंतु यदि क्वार्ट्ज़ को काट - छांट कर तथा पॉलिश करके एक विशेष आकार में परिवर्तित कर दिया जाए तथा उसमें पूर्व नियोजित ढंग से विद्युत प्रवाह किया जाए तो यह कम्पन एक निश्चित आवृत्ति में बदल जाता है। यह आवृत्ति 32768 कम्पन प्रति सैकेंड होती है ।
इसी आवृत्ति को मूलभूत रूप से समय की माप के लिए प्रयुक्त किया जाता है । अतः क्वार्ट्ज़ को घड़ी का हृदय कहा जा सकता है । क्वार्ट्ज़ को क्रियाशील बनाने के लिए पहले उसमें विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है , जिससे उसमें कम्पन आरम्भ हो जाता है , जिसकी आवृत्ति प्रारम्भ में विद्युत धारा की आवृत्ति के बराबर होती है किंतु जैसे जैसे विद्युत धारा की आवृत्ति बढ़ाई जाती है , क्वार्ट्ज़ में अनुनाद उत्पन्न हो जाता है तथा उसकी आवृत्ति तेजी से बढ़ने लगती है ।
एक सीमा पर पहुंचकर यह अनुनाद बहुत बढ़ जाता है तथा उसकी आवृत्ति 32768 कम्पन प्रति सैकेंड हो जाती है ।इसके बाद इस आवृत्ति को इलैक्ट्रॉनिक सर्किटों की मदद से घटाते - घटाते एक कंपन प्रति सैकेंड कर दिया जाता है । इस आवृत्ति की सहायता से घड़ियां चल सकती हैं , जिसमें प्रति 1 सैकेंड के बाद दोलन होगा ।
इस अवस्था तक तो डिजिटल और क्वार्ट्ज़ एनालॉग घड़ियां एक जैसी रहती हैं तदुपरांत डिजिटल तथा एनालॉग घड़ियों के सर्किट में अंतर आ जाता है । जहां डिजिटल घड़ियों में कम्पन दोलन को इलैक्ट्रॉनिक सर्किट की सहायता से प्रकाशमान अंकों के द्वारा दर्शाया जाता है , वहीं एनालॉग घड़ियों में इसी कम्पन की सहायता से एक मोटर चलाई जाती है । जिसके कारण सुइयां घूमती हैं ।
एनालॉग घड़ियां
इन घड़ियों प्राचीन शैली की घड़ियों जैसे सैकेंड , मिनट तथा घंटे के कांटे होते हैं । ऊपर से देखने में ये बिल्कुल घड़ियों जैसी होती हैं किंतु इनके कार्य करने का सिद्धांत यांत्रिक घड़ियों से बिल्कुल अलग है ।
क्वार्ट्ज़ घड़ियों में निम्नलिखित चार मुख्य अंग होते हैं ।
1. क्वार्ट्ज़ क्रिस्टल तथा उनके कंपन को कम करने के लिए इलैक्ट्रॉनिक सर्किट ।
2. मोटर जो क्वार्ट्ज के कम्पन द्वारा चलती है तथा जिसकी गति एक दोलन प्रति सैकेंड होती है ।
3. विभिन्न गियर जिनकी सहायता से सैकेंड , मिनट तथा घंटे की सुइयां पूर्व नियोजित गति से घूमती हैं ।
4. एक छोटा डिब्बा जिसमें उपरोक्त सभी वस्तुएं तथा बैटरी रहती है।
इस सम्पूर्ण मशीनरी को क्वार्ट्ज़ मूवमैंट कहते हैं । इस प्रकार मोमेंट क्वार्ट्ज़ मूवमैंट ही एक प्रकार से घड़ी की आत्मा होती है । क्वार्ट्ज़ मूवमैंट अब अत्यंत छोटे आकार में ( एक माचिस के डिब्बे जैसे ) उपलब्ध हैं । इन्हीं को लगाकर विभिन्न आकार तथा अनेक रंगो और चित्रों के साथ खूबसूरत घड़ियां बनाई जा रही हैं । इसलिए आजकल बहुधा लोगों की बैठकों में खूबसूरत चित्र फ्रेमो में मढे दिखते हैं । जिनके कोने में एक घड़ी लगी होती है । ये घड़ियां क्वार्ट्ज घड़ियां होती हैं ।
ये घड़ियां अत्यंत कम मूल्य में उपलब्ध है । वास्तव में क्वार्ट्ज घड़ियां प्राचीन शैली की यांत्रिक घड़ियों की अपेक्षा अधिक पसंद की जाती हैं क्योंकि एक तो इसमें बार-बर चाबी देने का झंझट नहीं रहता है । बस एक छोटा सैल डाल देना से ये 6 महीने से भी अधिक समय तक आराम से चलती रहती है । दूसरी बात यह है कि इनमें टिक- टिक की आवाज भी कम आती है और सबसे बड़ी बात तो यह है कि इनमें टूट-फूट और मरम्मत का खर्चा भी अपेक्षाकृत कम है ।
यदि इनमें कोई और खराबी आ भी जाती है तो क्वार्ट्ज़ मूवमैंट को बदल देने से घड़ी लगभग नई जैसी हो जाती है फिर उन्हें फेंककर नई घड़ी भी खरीदी जा सकती है । अब बाजार में अलार्म वाली क्वार्ट्ज़ घड़ियां भी उपलब्ध है जिनका मूल्य साधारण क्वार्ट्ज घड़ियों से लगभग दोगुना होता है ।
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