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चांदी काली क्यों हो जाती है | तांबा पहले कब इस्तेमाल किया गया | रत्नों की खोज कब की गई ?

चांदी काली क्यों हो जाती है ? 


            

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मनोज ने पूछा , " मैम , चांदी धातुओं में सबसे अधिक सफेद होती है लेकिन बाद में यह उतनी चमकदार नहीं दिखाई देती जितनी पहले । चांदी का रंग काला क्यों हो जाता है ? " मैम ने उत्तर दिया , " जब चांदी को गंधक तथा गंधक के अन्य बहुत से कम्पाऊंड्स के सम्पर्क में लाया जाए तो यह बहुत तेजी से प्रतिक्रिया व्यक्त करती है तथा गंधक और हाईड्रोजन सल्फाईड के साथ मिल कर यह काले रंग की सिल्वर सल्फाईड बनाती है । 




इसे हम चांदी के पात्रों के काले रंग के होने के रूप में जानते हैं । गंधक जरा - सी मात्रा में सल्फयूरेटिड हाईड्रोजन , हवा में या यह कई तरह के खाद्य पदार्थों में हो सकती है जैसे कि अंडे । " चांदी प्रकृति में ठोस धातु के रूप में पाई जाती है । लेकिन आमतौर पर यह अन्य धातुओं तथा खनिज अयस्कों के साथ मिश्रित होती है । शुद्ध चांदी बहुत नर्म होती है । 




इसे कठोर तथा उपयोगी बनाने के लिए इसमें अन्य धातुएं मिलाई जाती हैं । खरी चांदी 92.5 प्रतिशत चांदी तथा 7.5 प्रतिशत ताम्बा होता है । चांदी बहुत उपयोगी होती है । यह किसी भी अन्य धातु के मुकाबले बिजली तथा ताप की बेहतर सुचालक होती है । यह अन्य धातुओं के मुकाबले बेहतर तरीके से रोशनी को परावर्तित करती है ।



तांबा पहले कब इस्तेमाल किया किया गया ? 


            

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विज्ञान वार्ता नितिन ने पूछा , " मैम , पहले पहल के समय में किस धातु का इस्तेमाल सबसे अधिक किया जाता था ? " मैम ने जानकारी दी , " लोगों द्वारा तांबे का इस्तेमाल सबसे अधिक किया जाता था और बहुत पहले के समय से । आपको यह जान कर हैरानी होगी कि इसका इस्तेमाल पत्थर युग में भी किया जाता था । 




तांबा काफी शुद्ध स्थिति में पाया जाता है । प्रारंभ में लोग इसकी ओर इसलिए खिचते चले गए क्योंकि यह बहुत आकर्षक दिखाई देता था । वे अवश्य लाल रंग के धातु के इन पत्थरों को उठा कर बहुत हैरानी से देखते होंगे । शीघ्र ही उन्हें पता चल गया कि धातु के इन लाल पत्थरों को पीट कर कोई भी आकृति दी जा सकती है । 




यह सबसे महत्वपूर्ण खोज थी । शीघ्र ही उन्होंने तांबे के चाकू तथा अन्य हथियार बनाने शुरू कर दिए । फिर उन्होंने यह खोज की कि तांबे को पिघलाया जा सकता है । फिर उन्होंने पिघले तांबे को कटोरियों आदि की आकृति में ढालना शुरू कर दिया । तांबा एकमात्र ऐसी काम में आने वाली धातु है जिसके बारे में हजारों वर्षों तक मनुष्य को जानकारी रही । 




जब लोहे की खोज हुई तब तांबे का इस्तेमाल कम हो गया । आज तांबे का इस्तेमाल पीतल ( तांबा तथा जस्ता ) तथा कांसे ( तांबा तथा कलई ) के माध्यम से किया जा रहा है । लोहे तथा एल्यूमीनियम के अलावा तांबा एक ऐसी धातु है जिसे पूरे विश्व में बहुतायत में इस्तेमाल किया जा रहा है । "



रत्नों की खोज कब की गई ?


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आदित्य ने पूछा , “ मैम रत्नों की खोज कब की गई ? " मैम ने उत्तर दिया , " इस बात की जानकारी नहीं है कि रत्नों की खोज कब की गई लेकिन हजारों वर्षों से सभी देशों में पुरुष और महिलाएं इन्हें पहनते आ रहे हैं । रत्नों की कीमत न केवल महंगे पत्थरों के रूप में लगाई जाती है बल्कि लोगों का यह भी मानना है कि इनमें लोगों को बीमारियों तथा बुरी आत्माओं से बचाने की भी शक्ति है । 




हिंदू धार्मिक ग्रंथों में इसका सबसे पहले उल्लेख मिलता है। इसके अलावा धार्मिक पुस्तक ' बाईबल ' में भी रत्नों का उल्लेख है । इसके 28 वें अध्याय में यह उल्लेख किया गया था कि उच्च दर्जे के पुजारी अपनी छाती पर 12 कीमती रत्नों जड़ी प्लेट पहनते थे । 




" आदित्य ने पूछा , " रत्न कई रंगों में पाए जाते हैं । क्या यह सही है ? " ‘ , मैम ने उत्तर दिया , " हां उनका वर्गीकरण उनके रंगों द्वारा ही किया जाता है । लाल रंगत वाले सभी पत्थरों को रूबी ( माणिक ) कहा जाता है । सभी हरे रंग के पत्थरों को एमेराल्ड ( पन्ना ) तथा नीले रंग के पत्थरों को सैफायर अर्थात नीलम कहा जाता है । 


आजकल हीरों को सबसे कीमती रत्न माना जाता क्योंकि सभी पत्थरों में ये सबसे कड़े होते हैं । " 




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चांदी काली क्यों हो जाती है | तांबा पहले कब इस्तेमाल किया गया | रत्नों की खोज कब की गई ? Reviewed by Jeetender on November 20, 2021 Rating: 5

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