स्पर्म व्हेल सबसे बड़ा शिकारी
स्पर्म व्हेल संसार का सबसे बड़ा मांसाहारी जीव है । नर व्हेल की लम्बाई 20 मीटर तक और उसका वजन 45 टन या ज्यादा हो सकता है । जन्म के समय इस जीव के दांत नहीं होते और सभी स्तनपाइयों की तरह यह भी मां के थन से दूध चूसता है ।
आगे चल कर , इसके निचले जबड़े में 25 तिकोने दांत निकल आते हैं जिनसे वह अपना शिकार पकड़ तो सकता है , पर उसे चबा नहीं सकता । सभी व्हेल अपने शिकार को समूचा निगल जाती हैं । स्पर्म व्हेल के शिकारों में कटलफिश , स्क्विड , ऑक्टोपस , बैराकूडा तथा शार्क जैसी बड़ी मछलियां भी शामिल हैं ।
ऐसा लगता है , इसे विशाल स्क्विड बहुत पसंद है । लेकिन विशाल स्क्विड भी ताकतवर जीव होता है । वह शायद अकेला ऐसा जीव है , जो संसार के इस सबसे बड़े शिकारी से अपनी रक्षा करने में सक्षम है । पकड़े गए स्पर्म व्हेल या किनारे बह कर आई उनकी लाशों पर विशाल स्क्विड से हुई लड़ाई के निशान अक्सर देखे गए हैं ।
स्पर्म व्हेल का नाम स्पर्मेसेटी नामक अंग के कारण पड़ा है । यह अंग उसके चौकोरनुमा सिर का अधिकांश हिस्सा घेरे रहता है । स्पर्मेसेटी अंग में करीब 3 टन स्पर्मेसेटी होता है । स्पर्मेसेटी दूधिया सफेद , मोम जैसा तरल पदार्थ होता है । किसी को पक्का पता नहीं है कि स्पर्मेसेटी अंग का काम क्या है लेकिन इसी अंग के कारण स्पर्म व्हेल लुप्त होने के कगार तक पहुंच गई थी ।
इस अंग में पैदा होने वाला मोम जैसा तेल , 18 वीं सदी में दीपकों में जलाया जाता था और लुब्रिकैंट की तरह इसकी बड़ी मांग थी । इसलिए स्पर्म व्हेल क शिकार बड़ा फायदेमंद धंधा बन गया था । 1980 में प्रतिबंध लगाए जाने तक हजारों स्पर्म व्हेलों का खात्मा किया जा चुका था । आज भी यह व्हेल खतरे में तो है , लेकिन लुप्त होने से बच गई है ।
व्हेल पानी की फुहार क्यों छोड़ती है ?
मौसमी ने पूछा , " मैम हमने कई बार टी.वी. पर व्हेल को पानी की फुहार छोड़ते देखा है वह ऐसा क्यों करती है ? "
मैम ने उत्तर दिया , " सांस लेने के लिए व्हेल के गलफड़े नहीं होते । व्हेल अपने फेफड़ों से सांस लेती है । उनकी नासिकाएं उनके सिर के ऊपरी भाग पर स्थित होती हैं । जब कोई व्हेल पानी के नीचे जाती है तो उनकी नासिकाएं नन्हें वाल्वस के द्वारा बंद कर दी जाती हैं और मुंह में हवा के रास्ते बंद हो जाते हैं ताकि पानी उसके फेफड़ों में न जा सके ।
आमतौर पर व्हेल प्रत्येक पांच या दस मिनट बाद सांस लेने के लिए ऊपर आती हैं । लेकिन कई बार ये पौने घंटे तक पानी के नीचे रहती हैं । जब ये ऊपर आती हैं तो सबसे पहले इस्तेमाल की हुई हवा को फेफड़ों से बाहर धकेलती हैं जब ये ऐसा करती हैं तो एक जोरदार आवाज उत्पन्न होती है जो काफी दूर से सुनी जा सकती है ।
तो इस फुहार में क्या होता है ? यह पानी नहीं होता , बल्कि इस्तेमाल की हुई बेकार हवा मात्र होती है , जिसमें जलवाष्प शामिल हो जाते हैं । वे कई बार ऐसे फूंक मारती हैं , जब तक कि उनके फेफड़ों की पूरी हवा न बदल जाए और इसके बाद वे फिर गहरा गोता लगा लेती हैं । ।
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि कुछ व्हेल 600 मीटर गहरे तक गोता लगाने के लिए जानी जाती हैं । "
व्हेल के बारे में कुछ तथ्य :
1. व्हेल विशाल समुद्री जीव है । यह मछली की तरह दिखाई तो देता है लेकिन यह मछली नहीं है ।
2. व्हेल समुद्री स्तनपायी जीव है
3. व्हेल का मस्तिष्क अच्छी तरह से विकसित होता है यानी इसकी गिनती चतुर जीवों में होती है ।
4. स्पर्म व्हेल कुल 75 मिनट तक अपनी सांस रोके रख सकती है ।
5. 'नीली व्हेल' यहां तक कि यह पृथ्वी पर कभी पाए जाने वाले सबसे बड़े डायनासोरों से भी बड़ी है ।
6. नीली व्हेल का भार इतना हो सकता है जितना कि 150 कारों का ।
7. नीली व्हेल इतनी लंबी होती है कि इसकी पीठ के ऊपर एक कतार में 8 हाथी खड़े हो सकते हैं ।
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