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Light Pollution क्या होता है | Light Pollution का प्रभाव, कारण तथा उपाय | Light Pollution से मनुष्य तथा प्रकृति पर क्या प्रभाव पड़ता है ?

Light Pollution  क्या होता है ?



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हमारे शहर हमेशा रोशन रहते हैं । अंधेरी रात में भी रोशनियां चमकती रहती हैं । तमाम अलग स्रोतों से रोशनी आती रहती है , चाहे वह दुकानों की खिड़कियों की हो , चमचमाते न्योन साइनों की हो , सड़क की हो , घरों के अंदर की हो , रात को होने वाले खेलों की हो , 




लाइट हाऊसों की हो , गगनचुंबी इमारतों के ऊपर लगाई चेतावनी - रोशनी की हो , गाडियों की हो , टी.वी. के पर्दे की हो या चलती - फिरती प्रदर्शनियों की हो ! कई इमारतों के डिज़ाइन इतने खराब बनाए जाते हैं कि दफ्तरों और स्कूलों में दिन में भी रोशनी जला कर रखनी पड़ती है । 




शहरों में रहने वाले लोग रात को बस गिने - चुने , सबसे चमकदार तारे ही देख पाते हैं , जबकि जिस दिन आसमान साफ हो 3000 से ज्यादा तारे हमें नंगी आंख से दिखाई देने चाहिएं ! हमारी आंखें भी धीरे - धीरे अंधेरे की अभ्यस्त होने की क्षमता खोती जा रही हैं । तेज रोशनी से न केवल मनुष्य की दृष्टि खराब हो रही है बल्कि स्वास्थ्य पर भी असर पड़ रहा है । 




पूरे आराम के लिए आवश्यक पूरे अंधेरे में कोई नहीं सोता है । वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि तेज रोशनी से हार्मोनों का संतुलन बिगड़ जाता और है प्रतिरोधक कमजोर हो जाता है । रोग तंत्र नासा में किए अध्ययन से पता चला है कि संसार की 67 प्रतिशत आबादी रोशनी द्वारा प्रदूषित आकाश के नीचे सोती है । 




रोशनी प्रदूषण यानी वह रोशनी जो बड़े शहरों को घेरे रहती है , अन्य जीवों तथा वनस्पतियों को किस तरह प्रभावित करती है ? उसका असर बहुत बुरा होता है , खास कर रात्रिचर जीवों पर रात को उड़ने वाले पक्षियों पर इसका सबसे ज्यादा असर होता है क्योंकि अपने वार्षिक प्रवास में दिशा निर्धारण के लिए वे चंद्रमा तथा तारों का उपयोग करते हैं । 




इमारतों की तेज रोशनी से उन्हें दिशाभ्रम हो जाता हैं और वे सीधे इमारतों से जा टकराते हैं या वे तब तक इमारतों के चारों ओर मंडराते रहते हैं जब तक कि थक कर या मर कर गिर नहीं पड़ते । शिकारियों से बचने के लिए कुछ सांप , सैलमैंडर और मेंढक पूरा अंधेरा होने पर ही शिकार के लिए बाहर निकलते हैं । 



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नकली रोशनी के कारण उनके लायक पूरा अंधेरा कभी नहीं होता इसलिए वे अपना भोजन ठीक से नहीं खोज पाते । जिस इलाके में न्योन रोशनियां जलती हैं , वहां नर वृक्ष - मेंढक अपनी मादा खोजने के लिए उतनी आवाजनहीं लगाते जितनी लगानी चाहिए । जुगनूं बिजली के बल्बों के पास जोड़े नहीं बनाते क्योंकि वह उनकी अपनी रोशनी जैसी होती है । 



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पतंगे और रात्रिचर कीड़े नकली रोशनी में अपने आस - पास के माहौल में छिपने की क्षमता खो देते हैं और शिकारी उन्हें आसानी से पकड़ लेते हैं । पौधों पर भी इसका परोक्ष रूप से असर होता है क्योंकि परागण करने वाले पतंगे और चमगादड़ नकली रोशनी के कारण उनसे दूर रहते हैं । 




झील के किनारे की रोशनियां रात को काई खाने वाली मछलियों को सतह पर आने से रोकती हैं । इससे काई इतनी बढ़ जाती है कि झील के पूरे पर्यावरण तंत्र का दम घुट जाता है । जो पौधे रोशनी के प्रति संवेदनशील होते हैं वे अपनी वृद्धि को उपलब्ध अंधेरे के अनुसार व्यवस्थित करते हैं । 




 लगातार पड़ने वाली रोशनी उनकी वृद्धि कम कर देती है । ' अंतर्राष्ट्रीय अंधेरा आकाश एसोसिएशन ' की यह मांग है कि अंधेरे आकाश को सुरक्षा योग्य प्राकृतिक संसाधन घोषित किया जाए । उसके अनुसार संसार की एक - तिहाई रोशनी व्यर्थ जाती है । 




स्मार्ट लाइट- यानी ऐसी रोशनी जो कोई गतिविधि पर जलती हो ( जैसे कि कोई घुसपैठिया ) , और जो रोशनियां टाइमर से जलती - बुझती हों वे बिजली और खर्च बचाती हैं । फुल इम्पैक्ट लाइट यानी ऐसी रोशनी जो जहां जरूरत हो वहां जमीन की ओर फैंकी जाए न कि आसमान की ओर , वह रोशनी भी प्रदूष से बचाती है । 




' फेटल लाइट अवेयरनैस प्रोग्राम ' ( फ़्लैप ) , टोरंट के डायरैक्टर डा . माइकल मेस्यूर के अनुसार पर्यावरण की समस्याओं के विपरीत रोशनी प्रदूषण को आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है । बस एक स्विच को दबाने की जरूरत है ।



🙏दोस्तों अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी हो तो आप कमेंट करना ना भूलें नीचे कमेंट बॉक्स में अपनी कीमती राय जरूर दें। Discovery World Hindi पर बने रहने के लिए हृदय से धन्यवाद ।🌺


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Light Pollution क्या होता है | Light Pollution का प्रभाव, कारण तथा उपाय | Light Pollution से मनुष्य तथा प्रकृति पर क्या प्रभाव पड़ता है ? Reviewed by Jeetender on January 05, 2022 Rating: 5

1 comment:

  1. These materials can be used immediately as biomaterials for implants, as scaffolding in tissue precision machining engineering and in vitro disease models, properly as|in addition to} for drug delivery. Your ability to set up a job in minutes somewhat than hours varies relying on kind of|the sort of} tooling, materials workflow, and software or techniques used. Reducing set up time must be a high technical hurdle for all fabrication outlets to attempt to overcome. The identical applies to virtually another machine and tool on the Shop Floor.

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