रात को दिखाई देने वाले सितारे हमें बहुत आकर्षक तथा चमकदार दिखाई देते हैं । कुछ सितारे हमें अन्यों के मुकाबले अधिक चमकदार दिखाई देते हैं । ऐसा इसलिए क्योंकि उनके आकार तथा पृथ्वी से दूरी अलग - अलग होती है । ये सितारे हमारी पृथ्वी से अरबों मील दूर हैं और अपनी ही रोशनी से चमकते हैं । क्या आप जानते हैं कि सितारों की पृथ्वी से दूरी को कैसे मापा जाता है ?
वैज्ञानिकों ने नजदीकी सितारों की दूरी को मापने के लिए एक साधारण पद्धति को अपनाया है । मान लीजिए कि हम एक विशेष सितारे ' C ' की दूरी को मापना चाहते हैं । हम पृथ्वी पर ' A ' नामक स्थान से इसका चित्र लेंगे । ( रेखाचित्र को देखें ) । छः महीनों बाद पृथ्वी ' B ' स्थिति में होगी क्योंकि यह सूर्य के गिर्द चक्कर लगा रही है ।
अब हम उसी सितारे का चित्र ' B ' स्थान से लेंगे । दोनों चित्रों के बीच तुलना करने से यह पता चलता है कि ' A B ' सूर्य के गिर्द पृथ्वी की कक्षा का व्यास है और यह 18.60 करोड़ मील के बराबर है । अब कोण ' A B C ' को मापा जाता है । इन दोनों के आंकड़ों की सहायता से सितारे ' C ' की दूरी मापी जाती है । इसे ट्रायएंगुलेशन अर्थात त्रिकोणीय प्रणाली के नाम से जाना जाता है।
इस पद्धति का इस्तेमाल करते हुए बहुत से सितारों की पृथ्वी से दूरी को मापा गया है । ' अल्फ सेन्टॉरी ' नामक सितारे की पृथ्वी से दूरी 4.35 प्रकाश वर्ष पाई गई है । ' सिरियस ' की पृथ्वी से दूरी 8.45 प्रकाशवर्ष तय की गई है । यद्यपि यह पद्धति बहुत दूर के सितारों की दूरी मापने के लिए उपयुक्त नहीं है ।
ऐसे सितारों की दूरी उनकी चमक या रंग के आधार पर मापी जाती है सितारों की दूरी को मापने के लिए बहुत व्यापक रूप से इस्तेमाल की जा रही पद्धति है ' द्वि आयामीय वर्गीकरण पद्धति ' ( टू डायमैशनल क्लोसिफिकेशन मैथड ) जिसे जे.एम. जॉनसन तथा डब्ल्यू डब्ल्यू . मोरगन ने विकसित किया था ।
यह पद्धति स्पैक्ट्रम ( वर्णक्रम ) के परबैंगनी , नीले तथा पीले क्षेत्रों में तीन ' वेवलैंग्थ बैंड्स ' की ' फोटोइलैक्ट्रिक मैजरमैंट ' पर आधारित है । इस पद्धति को यू.बी. वाय . ( U.B.Y. ) प्रणाली के नाम से जाना जाता है । वैज्ञानिक पृथ्वी से 80 करोड़ प्रकाशवर्ष की दूरी तक के सितारों की दूरी को मापने में सफल हो चुके हैं ।
हम कितने सितारे देख सकते हैं ?
प्रेम ने पूछा , " मैम , रात के समय हम आकाश में कितने सितारे देख सकते हैं ? " मैम ने उत्तर दिया , “ बिना दूरबीन के लगभग 6,000 सितारे देखे जा सकते हैं लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि हम 6,000 सितारों को देख तथा गिन सकते हैं ।
इनमें से एक चौथाई सितारे इतनी अधिक दूर हैं कि देखे नहीं जा सकते और पृथ्वी के किसी एक स्थान से हम देखे जा सकने वाले आधे सितारों को ही देख पाते हैं क्योंकि बाकी के आधे क्षितिज से नीचे होते हैं । इससे भी बढ़ कर क्षितिज के नजदीक के बहुत से सितारे धुंध के कारण नहीं देखे जा सकते । इस तरह से हम अधिक से अधिक 1000 सितारों को देख सकते हैं ।
परंतु यदि किसी बहुत शक्तिशाली दूरबीन का इस्तेमाल किया जा रहा हो तो हम 1,00,00,00,000 से भी अधिक सितारों को देख सकते हैं । किए अब तक के सबसे पहले जाने गए स्टार कैटालॉग में 137 ई . में 1025 सितारे दर्ज किए गए थे । आधुनिक कैटालॉग में 4,57,000 से भी अधिक सितारे दर्ज किए गए हैं ।"
सितारे क्यों टिमटिमाते हैं ?
मीनाक्षी ने पूछा , " मैम , ग्रह सूर्य से परावर्तित होने वाली रोशनी के कारण चमकते हैं । सितारों के चमकने का कारण क्या है ? " मैम ने जानकारी दी , " सितारा गर्म गैसों का एक गोला होता है जो अपनी ही रोशनी से चमकता है । आपने अवश्य गौर किया होगा कि जहां ग्रह स्थिर रूप से चमकते हैं , सितारे टिमटिमाते दिखाई देते हैं ।
ऐसा पृथ्वी तथा सितारों के बीच हवा में मौजूद तत्वों के कारण होता है । अस्थिर हवा सितारों से आने वाली रोशनी की दिशा परिवर्तित करती रहती है , जिस कारण वे टिमटिमाते दिखाई देते हैं । सूर्य इसलिए चमकता है क्योंकि यह एक सितारा है ।
यदि हम इसकी तुलना अन्य सभी सितारों से करें तो यह एक मध्यम आकार का , मद्धम चमक वाला सितारा है । ब्रह्माण्ड में लाखों सितारे ऐसे हैं जो हमारे सूर्य से छोटे हैं और लाखों सितारे ऐसे हैं जो हमारे सूर्य से कई सौ गुणा बड़े हैं ।
वे छोटे क्यों दिखाई देते हैं ? इसलिए क्योंकि वे हमसे बहुत अधिक दूर हैं । "
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