हर जलने वाला बड़ी तेजी से हवा से ऑक्सीजन ग्रहण करता है। जलना यह ऑक्सीकरण की बहुत तेज प्रक्रिया है। अधिकतर पदार्थ जो जलते हैं मुख्य रूप से कार्बन तथा हाईड्रोजन से बने होते हैं । दहन ज्वलन का एक और नाम है। 17 वीं शताब्दी में जलने को एक अन्य सिद्धांत द्वारा परिभाषित किया जाता था।
एंटोएन लेवोसिअर नामक एक फ्रांसिसी रसायन विज्ञानी ने 1774 में यह खोज की कि ज्वलन के लिए ऑक्सीजन आवश्यक है । कुछ पदार्थ ऑक्सीजन के साथ अत्यंत धीमे मिलते हैं । ऐसे मामले में कोई रोशनी नहीं उत्पन्न होती तथा बहुत कम ताप पैदा होता है । लोहे में जंग लगना ऐसे ही धीमे ऑक्सीकरण का एक उदाहरण है ।
किसी ईंधन के जलने के लिए कुछ अवस्थाओं का होना अत्यंत आवश्यक है । पहले जल सकने वाले पदार्थ का होना, दूसरे ऑक्सीजन की प्रचुर मात्रा में आपूर्ति तथा तीसरे ईंधन का तब तक इस्तेमाल जब तक यह प्रज्वलन के तापमान तक न पहुंच जाए । इग्नीशन टैम्प्रेचर अर्थात प्रज्वलन तापमान को ' किडलिंग प्वाइंट ' भी कहा जाता है ।
कागज आदि कुछ पदार्थों का किडलिंग प्वाइंट नीचा या कम होता है जबकि अन्य ईंधन जैसे कि कोयले को जलने से पूर्व काफी गर्म करना पड़ता है । कुछ पदार्थों जैसे कि सफेद फास्फोरस का प्रज्वलन बिंदु बहुत कम होता है इसलिए इसे पानी में रखना पड़ता है ।
आग को कितने तरीकों से इस्तेमाल किया जाता है , इन्हें गिन पाना लगभग असंभव है । आग रोशनी देती है तथा खाना पकाने में सहायता करती है । आग का इस्तेमाल भाप बनाने के लिए , पानी गर्म करने के लिए किया जाता है । भाप को कई तरह के इंजन चलाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है ।
आग का इस्तेमाल उद्योगों में धातुओं को उनके अयस्कों से अलग करने के लिए किया जाता है । आग को ऑटोमोबाइल्स , नावों तथा हवाई जहाजों में भी इस्तेमाल किया जाता है । जब आग नियंत्रण में हो तो इसे मनुष्य की सबसे अच्छी मित्र कहा जा सकता है लेकिन एक बार यदि यह अनियंत्रित हो जाए तो यह हमारी सबसे बड़ी शत्रु बन जाती है ।
प्रति वर्ष आग के कारण हजारों जानें जाती हैं । यदि यह अनियंत्रित हो जाए तो इमारतों तथा जंगलों को बड़ी मात्रा में नष्ट कर सकती है ।
पानी से आग कैसे बुझ जाती है?
आपने इस ओर कभी न कभी अवश्य ध्यान दिया होगा कि जब कहीं आग लग जाती है तो आग बुझाने के लिए पानी का इस्तेमाल किया जाता है । भयंकर आग लगने की स्थिति में ' फायर ब्रिगेड की गाड़ियां बुलवाई जाती हैं और फायर ब्रिगेड वाले भी पानी से ही आग बुझाते हैं , लेकिन क्या आपने कभी इस बात पर विचार किया है कि पानी से आग कैसे बुझ जाती है?
पानी से आग बुझने की प्रक्रिया को समझने से पहले आपको यह समझने की जरूरत है कि आग लगती कैसे है ?
दरअसल आग लगने के लिए तीन चीजों की आवश्यकता होती है। किसी ज्वलनशील जैसे लकड़ी , कोयला , कागज , आग जलने के लिए पर्याप्त ऑक्सीजन तथा ऊष्मा अर्थात गर्मी का होना । ऊष्मा द्वारा ही ज्वलनशील वस्तु अपने ' ज्वलनांक ' तक पहुंचती है । हर वस्तु एक निश्चित तापमान पर जलने लगती है यदि तापमान उस वस्तु का ज्वलनांक कहलाता है ।
जब किसी वस्तु का तापमान ज्वलनांक तक पहुंच जाता है तो उसमें आग लग जाती है और वह वस्तु वातावरण में उपस्थित ऑक्सीजन की सहायता से जलती रहती है । कोई भी वस्तु ऑक्सीजन के बिना नहीं जल सकती अतः यदि ऑक्सीजन का उस वस्तु तक पहुंचना अवरुद्ध कर दिया जाए तो आग बुझ जाती है । अथवा किसी भी तरीके से ईंधन का तापमान कम कर दिया जाए , तभ भी आग बुझ जाती है ।
जब आग पर पानी डाला जाता है तो उस जलने वाली वस्तु का तापमान उसके ज्वलनांक से कम होने लगता है क्योंकि पानी उसकी गर्मी को सोखने लगता है । यही वजह है कि आग पर पानी डालने से आग बुझ जाती है । यदि पानी को तेज धार के रूप में आग पर डाला जाए , जैसा कि फायर ब्रिगेड द्वारा किया जाता है तो आग जल्दी बुझ जाती है
लेकिन पानी द्वारा तेल अथवा ग्रीस के जरिए लगी आग नहीं बुझाई जा सकती क्योंकि ये पदार्थ पानी से हल्के होते हैं और पानी डालने पर पानी के ही ऊपर तैरने लगते हैं । इस तरह के पदार्थों से लगी आग बुझाने के लिए पानी की बजाय अन्य अग्निशामक तरीके प्रयोग किए जाते हैं ।
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