जूं की एक प्रजाति है या दो ?
जीव वैज्ञानिक किन - किन बातों पर झगड़ सकते हैं , यह देख ( शायद अचरज हो । मगर प्रजाति जैसी चीज पर झगड़े तो आम है । सवाल यह है कि क्या बालों में रहने वाली जूं और शरीर पर रहने वाली जूं एक ही प्रजाति की हैं या दो अलग - अलग प्रजातियां हैं ।
जीव विज्ञान में प्रजाति एक स्पष्ट रूप से परिभाषित समूह है। जूं को लेकर यह बहस वर्गीकरण व द्विनाम पद्धति प्रणेता कार्ल लीनियस के ज़माने से जारी है । कार्ल लीनियस ने 1758 में मानव शरीर पर पाई जाने वाली जूं को पेडिकुलस ह्यमेनस नाम दिया था मगर फिर उन्हें शंका हुई कि जूं दो प्रकार की होती हैं ।
बस , वहीं से सारा झगड़ा शुरू हो गया । कुछ लोग हैं जो शरीर की जूं और बालों की जूं को अलग - अलग प्रजातियां मानते हैं । वे अपनी बात के पक्ष में प्रमाण देते हैं कि शरीर की जूं बालों की जूं से काफी बड़ी होती है और सिर के बालों की अपेक्षा कपड़ों में रहना पसंद करती है और शरीर की जूं टायफस जैसे रोग भी फैलाती है जो बेचारी बालों की जूं नहीं करती ।
मगर अन्य विशेषज्ञ इन दोनों को एक ही प्रजाति मानते हैं । उनका कहना है कि ये दोनों जूं आपस में मिल कर संतान पैदा कर सकती है । यह तो प्रजाति की परिभाषा ही है कि जो भी जीव आपस में मिल कर प्रजनन-क्षम संतान पैदा कर सकें वे एक ही प्रजाति के हैं ।
मगर इसके विरुद्ध तर्क यह है कि इस तरह बंदी अवस्था में प्रजनन से कुछ भी सिद्ध नहीं होता । तो पता कैसे चले ? यही पता करने के लिए क्वीन्सलैंड विश्वविद्यालय के नताली लियो और स्टीफन बार्कर ने जिनेटिक फिंगरप्रिंट की मदद ली ।
उन्होंने नेपाल के सात लड़कों से और चीन में मंगोलिया की चार लड़कियों से जूं प्राप्त की । इन 443 जूं के डी.एन.ए. फिंगरप्रिंट से पता चला कि ये जिनेटिक दृष्टि से स्पष्ट तौर पर अलग अलग हैं । सिर की जूं एक समूह है और शरीर की जूं दूसरा ।
एक होस्टल के बच्चों की जांच से पता चला कि एक बच्चे के शरीर की जूं दूसरे के शरीर पर और एक बच्चे के बालों की जूं दूसरे के बालों में सफर करती रहती है मगर बालों की जूं कभी शरीर पर नहीं बसती और शरीर की जूं कभी जुल्फों में बसेरा नहीं बनाती यानी ये दो अलग - अलग जीव हैं ।
दरअसल इस झगड़े का एक व्यावहारिक पक्ष भी है । जूं का इलाज कैसे करें ? खासतौर से सिर की जूं को लेकर काफी बहस है । कई विशेषज्ञ कहेंगे कि सिर की जूं का पूरा इलाज तभी होगा जब कपड़ों , चादरों वगैरह को पानी में उबाला जाए ।
मगर यदि शरीर की जूं अलग जीव है तो सिर की जूं मिटाने के लिए कपड़ों को उबाल कर क्या फायदा ? वैसे यह तो अब पक्की बात है कि ये दो जूं अलग - अलग प्रजातियां हैं ।
सर से जुंए निकालने का देसी सरल घरेलू उपाय
दोस्तों जैसा कि आप जानते हैं के घरों में छोटे बच्चे हो या बड़े लोगों को अक्सर सर में जुएं पड़ जाने की शिकायत रहती है। छोटे बच्चे तो इससे अधिक परेशान रहते हैं और वह अक्सर सर में खुजली करते रहते हैं।
बाजार में सर से जुएं निकालने की कई प्रकार की दवाई आसानी से मिल जाती है लेकिन उस दवाई का उपयोग करने पर सर के जुए मर जाते हैं यानी कि उस दवाई में कहीं ना कहीं कीटनाशक मिलाया गया होता है जो हमारे सर के लिए और बालों के लिए नुकसानदायक होता है। आज हम जानेंगे कि कैसे घरेलू उपाय के द्वारा सर में पड़े जूंए से हमेशा के लिए निपटारा पाया जा सकता है ।
इसके लिए आपको लगभग 300 ग्राम नीम के पत्तों को कम से कम आधा लीटर पानी में लगातार उबालना है । जब यह पानी उबल कर आधा यानी कि 250 ग्राम शेष रह जाए तब इस उबले पानी को ठंडा करके किसी स्प्रे वाली बोतल में रख लेना है। प्रतिदिन बालों की जड़ों में इस पानी का स्प्रे करने से सर के जुए निकल जाएंगे या फिर मर जाएंगे इस विधि को प्रतिदिन दिन में किसी भी समय एक बार लगातार 7 दिनों तक करना है । नीम का पानी इसका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं है ।
दूसरी विधि:
दोस्तों हमारे घर में प्याज आसानी से उपलब्ध हो जाता हैं । प्याज को छीलकर इसका जूस निकाल ले प्याज के रस को रूई में भिगोकर बालों की जड़ों में लगाने से व इसका मसाज करने से सर के जूंए आसानी से निकल जाते हैं । दोस्तों यह विधि अगर आप सप्ताह में एक बार भी करेंगे तो जीवन में कभी भी आप के सर में जुंए नहीं पड़ेंगे।
प्याज के रस को बालों के लिए काफी लाभदायक माना जाता है और इसका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं है।
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