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टियोटिहुआकान का रहस्य क्या है | टियोटिहुआकान जहां लोग देवता बनते थे ? Interesting fact

टियोटिहुआकान



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क्विज़ गेम के लिए तीन प्रश्न - किसने अमेरिकास में लगभग 200 वर्ष पूर्व पहला महानगर बनाने का काम शुरू करवाया ? उस शहर का नाम क्या था ? वहां रहने वाले लोगों को किस नाम से जाना जाता था ? इन तीनों प्रश्नों का उत्तर कोई नहीं जानता । जिक्र में आया शहर पिरामिडों का एक प्रभावशाली समूह था जो आज के मैक्सिको शहर से मात्र 



इकत्तीस किलोमीटर दक्षिण में एज़टेक लोगों द्वारा 14 वीं शताब्दी में एक नई बस्ती बसा लेने से पूर्व संभवतः खाली और उजड़ चुका था । एज़टेक लोगों ने पड़ोसी भूतिया नगर को मृतकों को दफनाने के स्थान के तौर पर इस्तेमाल किया तथा इसे जो नाम दिया आज भी इसे इसी नाम से जाना जाता है । वह नाम है टियोटिहुआकान । 



इसका अर्थ है ' जहां लोग देवता बन जाते हैं । ' नवीनतम पुरातात्विक खोजें दर्शाती हैं कि टियोटिहुआकान का इतिहास हमारी पहली सहस्त्राब्दी के शुरू होने से भी पहले तक जाता है । लगभग 100 ईसा पूर्व में अज्ञात निर्माताओं ने 7,500 फुट की ऊंचाई पर ' चैस बोर्ड ' की तरह के शहर का निर्माण प्रारंभ किया। 



वहां एक मंदिर था , जलूस निकालने का एक मार्ग जिसके दोनों तरफ महल तथा विस्तृत आवासीय स्थल थे । शहर इतना बड़ा हो गया कि अंततः सात वर्गमील से भी अधिक क्षेत्र में फैल गया। टियोटिहुआकान के निवासियों ने अपना सबसे महत्वपूर्ण निर्माण पहली शताब्दी ईसा पूर्व में पूर्ण किया । इसके लिए उन्होंने शंकु की तरह के एक विशाल ज्वालामुखी , जिसे सूर्य का पिरामिड कहा जाता है , से लाखों टन मिट्टी ढोई । 



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पिरामिड का आधार चेओटस पिरामिड के ही समान 728 × 738 फुट है लेकिन इसकी उंचाई उससे आधी मात्र 206 फुट है । सूर्य के पिरामिड की चोटी पर एक मंदिर है जो सदियों के दौरान होने वाले क्षरण तथा भूकम्पों के बावजूद खड़ा है । इसे संभवतः मैसो अमेरिकन सभ्यता के बीच सूर्य की पूजा करने वाले लोगों द्वारा इस्तेमाल किया जाता था । 



यह अनुमान मंदिर की बनावट के आधार पर लगाया गया है क्योंकि इसका इशारा क्षितिज स्थान की ओर है जहां से कर्क संक्रांति में सूर्य उगता है । इस तरहे इसे सूर्य पिरामिड का नाम दिया जाना बहुत सही लगता है । एक ऐसी ही लेकिन छोटी इमारत जो किनारों से लगभग 138 फुट छोटी है , को चंद्रमा के पिरामिड के नाम से जाना जाता है । 



यह इमारत , जिसमें कोई मंदिर नहीं है , ने गत 2000 वर्षों के दौरान मौसमों तथा प्रकृति के अन्य थपेड़ों को झेला है । पहली शताब्दी ईस्वी में टियोटिहुआकान के लोगों ने पिरामिड की आकृति में क्वेटज़ालकोट्ल नामक मंदिर भी निर्मित किया । मंदिर के ऊपर पंखों वाले सर्प देवता क्वेटज़ालकोट्ल के पत्थर के बने सिरों तथा वर्षा के देवता टलालोक को प्रदर्शित किया गया है । 



पुरातात्विक खोजें दर्शाती हैं कि शहर के बड़े भागों में आवासीय खंड थे जहां कामगार तथा शिल्पकार रहते थे । थे इनमें से एक खंड में मिले औजार तथा हथियार यह दर्शाते हैं कि वे ओबसीडियन से बनाए जाते थे जो अत्यंत कठोर कांच जैसा एक ज्वालामुखी क्रिस्टल होता है । मिट्टी के बने पात्र तथा अन्य वस्तुएं और सोने की वस्तुएं उनकी उच्च कोटि की शिल्पकला को दर्शाती हैं । 



शहर फला - फूला तथा पहली व दूसरी शताब्दी में धार्मिक तथा वाणिज्यिक केन्द्र बना और उस समय के दौरान टियोटिहुआकान की जनसंख्या 1,50,000 के लगभग थी । उनकी धार्मिक इमारतों तथा महलों की दीवारों को बहुत शानदार ढंग से भित्ति चित्रों और देवताओं के चित्रों से सजाया गया था । पत्थर से तराशे बहुत शानदार मुखौटों को तरह तरह के रत्नों से सजाया जाता था । 



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अगली दो शताब्दियों के दौरान टियोटिहआकान अवनति की ओर आगे बढ़ता गया । ऐसा संभवतः आसपास के जंगलों की कटाई के कारण हुआ जिस कारण वहां समतल मैदान जैसा नजारा उत्पन्न हो गया और दुर्भाग्य से इसके साथ शामिल हो गए सूखे के लम्बे दौर जिस कारण अकाल पड़ गया । 



कोई भी अनुमान लगा सकता है कि भूखे लोगों ने शासकों तथा पुजारियों के विरुद्ध विद्रोह कर दिया और रहने की बेहतर परिस्थितियों की खोज में शहर को छोड़ दिया । 750 ईस्वी तक पश्चिमी गोलार्द्ध का पहला महानगर पूरी तरह से उजड़ चुका था और इमारतें धीरे - धीरे मिट्टी तथा हवा द्वारा उड़ाई रेत के नीचे दबती गईं । 



मानव निर्मित पिरामिडों के पर्वतों ने शीघ्र ही असल पर्वतों की सूरत ग्रहण कर ली । 20 वीं शताब्दी के पर्यटन के कारण ही टियोटिहुआकान में फिर से चहल - पहल वापस लाई जा सकी ।




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टियोटिहुआकान का रहस्य क्या है | टियोटिहुआकान जहां लोग देवता बनते थे ? Interesting fact Reviewed by Jeetender on February 27, 2022 Rating: 5

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