बच्चों का पसंदीदा थॉमस भाप इंजन
झांको , झांको जरा ! अगर सोडोर के द्वीप पर कुछ गड़बड़ दिख रही है तो जरा शर्तिया बात है कि उसमें कहीं न कहीं ढीट छुटकु नीले इंजन का हाथ है - वह जो करोड़ों डालर के विश्व व्यापार की अनूठी धुरी बना हुआ है । यह थॉमस नाम का टैंक इंजन है , जिसे लाखों - करोड़ों बच्चे इसी नाम से जानते हैं ।
यह खुशमिज़ाज और खुशकिस्मत ऐसा भाप इंजन है , जिसका चेहरा कद्दू जैसे गोलमटोल आदमी जैसा है । यह दो पुराने सवारी डिब्बे खींचता है- एन्नी और क्लाराबेल । उसके अच्छे दोस्त हैं - पर्सी , गोर्डन और डेजी , जो अक्सर कबाड़ में घुस जाते हैं और मोटे महोदय नियंत्रक अधीरता से यह सब देखते रहते हैं ।
टैंक थॉमस - इंजन की यात्रा एक अंग्रेज पादरी की कल्पना पर 1941 में शुरू हुई थी । इस पादरी का नाम था रेवरेंड विलबर्ट वेरे ऑड्री । यह वह दौर था , जब विलबर्ट को दूसरे विश्व युद्ध के निराशा भरे दिनों में खसरा से पीड़ित अपने तीन साल के बेटे क्रिस्टोफर को कहानियां सुना कर बहलाना पड़ता था ।
विलबर्ट ने ' थॉमस ' के 26 रोमांचक कारनामे लिखे उसके बेटे क्रिस्टोफर ने बाद में उसमें 40 और कारनामे जोड़ दिए । इसका नतीजा विश्वभर में 8 करोड़ किताबों की बिक्री के रूप में सामनेआया । इसके अलावा थॉमस के कार्टून , खिलौने , कपड़े , बच्चों का फर्नीचर और वैबसाइट भी बना ।
थॉमस के कारनामों पर इसके निर्माता हिट एन्टरटेनमैंट ने तैयार की है , वह 135 देशों और क्षेत्रों में 21 भाषाओं में दिखाई जाती है । जापान थॉमस - द टैंक इंजन थीम पार्क है । जो शृंखला अभी हाल में ' ए क्रैक डॅन द ट्रैक ' शीर्षक से इस करतबकारी इंजन की किताब आई है ,
जिसमें बताया गया है कि कैसे थॉमस ट्रैक पर एक दरार से , रेल पर ओलों से , सड़क पर मेंढक से और बस में उपद्रव से बचा । थॉमस की ब्रांड के रूप में सफलता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सिर्फ खुदरा तौर पर इसकी बक्री से सालाना 55 करोड पौंड की कमाई होती है ।
सन् 2002 में 12 करोड़ थॉमस किताबें बेची गईं , जबकि इसके रोमांचक करतबों को दर्शाने वाली पत्रिकाओं की बिक्री 2 लाख प्रतियां प्रति महीने तक पहुंच गई थी । लंदन के मशहूर खिलौना स्टोर हेमलेज एक सेल्समैन की टिप्पणी गौर करने लायक है । वह कहते हैं कि एक से सात साल के बच्चों के बीच बिक्री के लिहाज से थॉमस नम्बर वन ' पात्र ' है ।
इस खिलौना स्टोर का एक - तिहाई हिस्सा सिर्फ थॉमस से संबंधी खिलौनों से अटा पड़ा है । ऑड्री जोकि खुद भाप इंजन के शौकीन थे , उन्होंने ऐसा काल्पनिक संसार रच डाला , जिसमें भाप के इंजन और माल से लदी गाड़ियां मानवीय विशेषताओं से लैस थीं । चूंकि बालक क्रिस्टोफर की , थॉमस की वही कहानियां बार - बार सुनने की मांग रहती थी।
अतः ऑड्री ने नोट्स बनाने शुरू कर दिए ताकि उनका बेटा कहीं उन्हें किसी जगह गलती पर टोक न दे या वे खुद कहीं विरोधाभासी तथ्य न पेश करने लगें । तीन साल बाद , पृष्ठ - दर - पृष्ठ अपने लिखे इन नोट्स को ऑड्री ने प्रकाशन के लिए दे दिया और मई 1945 में इस श्रृंखला की पहली कड़ी ' द थ्री रेलवे इंजिन्स ' प्रकाशित हुई ।
इसके तुरंत बाद नन्हे पाठकों के पत्रों की कतार लग गई । वे सब असली थॉमस को देखना चाहते थे । तब मिथकीय कल्पना का द्वीप सोडोर साकार किया गया । एक ऐसा निर्जन नामोनिशान स्थान , जहां मानव सभ्यता का नहीं , लेकिन जहां बातचीत करने वाले रेल इंजन जरूर पाए जाते हों ।
सोडोर में विक्टोरियाई युग के प्यारे से , छोटे से इंजन थॉमस की अपनी ब्रांच लाइन है , जिस पर वह हमेशा खुद को , वास्तविक अर्थों में मोटे साहब के आगे साबित करने की जुगत में रहता है । यहां थॉमस के खुशमिजाज और ढीठ साथी हैं , जो हमेशा किसी न किसी की मदद करके खुश होते हैं ।
इन साथियों में गोर्डन भी है । यह एक आकर्षक , गर्व से भरा और संभवत : कुछ नकचढ़ा - सा इंजन है । इसका डिजाइन वास्तविक दुनिया के उस फ्लाइंग स्कॉट्समैन ' इंजन से प्रेरणा लेकर तैयार किया गया , जो लंदन और एडिनबर्ग के बीच अपनी गति के कीर्तिमान बना चुका है ।
वह व्यक्ति ऑड्री 1996 में महारानी एलिजाबेथ द्वितीय द्वारा सम्मानित किया गया था और हंसते - बोलते खिलौनों की माया रचने वाले इस सृजनशील व्यक्ति ने 85 वर्ष की उम्र में 1997 में सदा के लिए अपनी आंखें और जुबान बंद कर लीं ।
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