कागज के नोटों का आविष्कार कैसे हुआ ?
आज एक रुपए से लेकर दो हजार रुपए तक के कागज के नोट प्रचलन में हैं । इन्हें लाना - ले जाना आज बहुत सरल है । एक जमाना था जब केवल धातु के सिक्के ही मुद्रा के रूप में प्रचलित थे और हजारों - लाखों रुपयों की धनराशि को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाना आसान काम नहीं था ।
तब ये बोझ के रूप में खच्चरों पर लाद कर ले जाए जाते थे । व्यापारियों द्वारा इस प्रकार के सिक्के खच्चरों पर लाद कर ले जाने की कई कहानियां आपने भी पढ़ी होंगी । इनमें एक कहानी ' अली बाबा चालीस चोर ' की भी है । तो अब बात करें कागज के नोट की ।
इंगलैंड में एक गरीब परिवार का एक बालक था थामस ( थॉमस डी . ला ) । उसके पिता ने थॉमस को एक मुद्रणालय ( प्रिंटिंग प्रैस) में काम पर लगा दिया । थामस प्रैस और कागज समेटने जैसे काम करता था । कुछ समय बाद वह कम्पोजिंग और छपाई पर भी ध्यान देने लगा । धीरे - धीरे वह एक कुशल कम्पोजिटर और मशीनमैन बन गया ।
कुछ समय बाद प्रैस के मालिक ने उसे नामालूम क्यों प्रैस से निकाल दिया । बेचारा थॉमस परेशान हो गया । घर की कुछ जिम्मेदारियां थीं । घर में भुखमरी का आलम था , सो वह कूड़े के ढेरों से कबाड़ियों को बेची जा सकने वाली वस्तुएं एकत्र कर बेचने लगा । एक दिन जब वह अपना यही कर्म कर रहा था तो उस समय के प्रतिष्ठित चित्रकार रिचर्ड से उसकी मुलाकात हो गई।
बातों ही बातों में उसने रिचर्ड को बताया , " मैं एक कुशल मुद्रक ( प्रिंटर ) हूं । मैं अपनी एक प्रिंटिंग प्रैस लगाना चाहता हूं परन्तु मेरे पास पैसा नहीं है । " सहृदय रिचर्ड पिघल गए । उन्होंने थॉमस डी . ला का नाम - पता नोट कर लिया । कुछ समय बाद रिचर्ड ने थॉमस को बुलाकर उनके समक्ष प्रस्ताव रखा, "मैं प्रिंटिंग प्रेस खोलना चाहता हूं।
क्या तुम उसमें बिना पैसे दिए हिस्सेदार बनोगे शर्त इतनी है कि प्रेस को सुव्यवस्थित चलाना तुम्हारी जिम्मेदारी है।" थॉमस तैयार हो गया । कुछ दिनों बाद थॉमस की देखरेख में प्रेस लगी और चलने लगी। प्रतिभा के धनी थॉमस ने इतनी बढ़िया प्रिंटिंग की की उसके काम की सर्वत्र चर्चा होने लगी। उसे बाइबिल सहित उनके महत्वपूर्ण किताब छापने के आर्डर मिले, जिनकी कलात्मक व आकर्षक छपाई ने उसे बहुत प्रसिद्ध कर दिया।
उसने ताश के पत्ते छापे तो लोग वाह-वाह कर उठे। उसकी कीर्ति चारों ओर फैली तो सरकारी प्रेस के प्रभारी ने उसे बुलाकर प्रेस का प्रमुख मुद्रक (चीफ प्रिंटर) नियुक्त कर दिया । यहां भी उसने अपनी प्रतिभा का कमाल दिखाया । आगे चलकर थॉमस ने सरकार को सुझाव दिया कि मुद्रा के रूप में सिक्कों के स्थान पर कागज के नोट जारी करें तो इन्हें रखरखाव और लाने ले जाने में आसानी होगी ।
सरकार ने इस सुझाव पर बहस किया और अंततः उनके सुझाव मानकर नोट को छापने का जिम्मा थॉमस को दिया गया। थॉमस ने अपनी श्रेष्ठ प्रतिभा का प्रदर्शन करते हुए सन 1364 में नोट छापे। इस प्रकार ब्रिटेन विश्व का पहला वह देश बन गया जिसने कागज का नोट जारी किया। सन 1364 में छपा एक नोट चीन में आज भी सुरक्षित है।
नोट गिनने वाली मशीन कैसे काम करती है ?
विश्व भर में हजारों बैंक हैं , जहां प्रतिदिन असंख्य नोटों की गिनती और उनके बंडल बनाने का काम भी होता है । इसके लिए बड़ी संख्या में लोग भी बैंकों में कार्यरत हैं । नोटों की गिनती का काम एक ओर जहां सधे हुए हाथ मांगता है वहीं इसके लिए बहुत समय भी लगता है । इसी कारण वैज्ञानिकों ने इस समस्या के हल स्वरूप नोट गिनने की मशीन का अविष्कार किया।
यह इलेक्ट्रॉनिक मशीन है जो स्वत: नोट गिन कर उनके बंडल बना देती है । आइए जानें इस मशीन की कार्यप्रणाली के बारे में । उक्त चित्र द्वारा इसकी काम करने की विधि को समझाया गया है । गिनने वाले नोटों को प्लेटफार्म P - 1 पर रखा जाता है । R 1 फीडिंग रोलर इन्हें मशीन में आगे धकेलता है । S - 1 नाम से दर्शाया गया इलैक्ट्रॉनिक सैन्सर इनकी गिनती करता है ।
फिर ये नोट R - 2 तथा R - 3 रोलर्स में से होते हुए C - 1 चैनल में से गुजरते हैं । इस प्रकार नोट दूसरे सैंसर S - 2 पर पहुंच जाते हैं । यदि नोटों की गिनती में कोई गलती हो तो S - 2 उसका तुरंत पता लगा कर मशीन को ऑटोमैटिकली रोक देता है तथा गलती की सूचना एल . सी . डी . डिसप्ले पर दर्शा देता है ।
S - 2 सैंसर से गुजरने के पश्चात R - 4 तथा R - 5 रोलर्स नोटों को उठा कर एक चकरीनुमा सैंट्रीफ्यूज विभिन्न खानों में डाल देते हैं । यहां से नोट P - 2 प्लेटफार्म पर पहुंचते हैं और यहां उनका ढेर बनना शुरू हो जाता है , इस प्लैटफार्म पर S - 3 सैंसर लगा होता है , जो यह दर्शाता है कि P - 2 पर नोट हैं या वह खाली है।
चूंकि यह मशीन माइक्रोप्रोसैसर पर आधारित होती है इसलिए इसकी कार्यक्षमता काफी विश्वसनीय होती है । इन मशीनों से न केवल नोट बल्कि सिक्के भी गिने जा सकते हैं । यह मशीन इतनी कुशल होती है कि यह जाली नोटों का भी पता लगा लेती है। ये मशीनें आकार में छोटी होती हैं इसलिए कहीं भी लगाई जा सकती हैं ।
आजकल अधिकांश बैंकों तथा कार्यालयों में इन मशीनों का इस्तेमाल किया जा रहा है ।
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