शनि के गिर्द छल्ले क्या हैं ?
मेघना ने पूछा , " मैम , केवल शनि ही एकमात्र ऐसा ग्रह है जिसके गिर्द छल्ले हैं । आखिर ये छल्ले हैं क्या ? " मैम ने उत्तर दिया , ‘ ‘ शनि के गिर्द मुख्य रूप से तीन छल्ले हैं । ये शनि की भूमध्य रेखा के साथ - साथ बाहर की और लगभग 17000 मील तक फैले हुए हैं । इनमें से बीच वाला छल्ला सबसे अधिक चमकदार है । इसे लगभग 1800 मील की खाली जगह बाहरी छल्ले से अलग करती है ।
भीतर वाला छल्ला बहुत धुंधला है । खगोल विज्ञानियों ने अन्य कई धुंधले छल्ले भी खोजे हैं । ये छल्ले ठोस नहीं हैं बल्कि बर्फ से ढंके मलबे के टुकड़े हैं जो इस ग्रह के गिर्द नन्हे चंद्रमाओं की तरह चक्कर लगा रहे हैं । कुछ खगोल विज्ञानियों का मानना है कि ये चंद्रमा के टुकड़े हो सकते हैं जो कभी बना नहीं । लेकिन ये छल्ले एक रहस्य बने हुए हैं ।
1610 से लेकर जब गैलीलियो ने पहली बार दूरबीन की सहायता से अंतरिक्ष का अध्ययन किया , आज तक अंतरिक्ष वैज्ञानिक इस संबंध में उलझन में हैं । लेकिन शनि के बारे में कुछ चीजों के संबंध में वे आश्वस्त हैं । जैसे कि शनि सूर्य के गिर्द साढ़े 29 वर्षों में एक चक्कर पूरा करता है , आकार में बृहस्पति के बाद यह दूसरे नम्बर पर आता है तथा इसके 9 उपग्रह हैं जो इसके गिर्द चक्कर लगाते रहते हैं ।
लेकिन इसके छल्ले एक रहस्य बने हुए हैं । शायद आप में से कुछ भविष्य में अंतरिक्ष वैज्ञानिक बनें तथा शनि के गिर्द छल्लों के बारे कुछ जान सके ।
क्या दूसरे ग्रह भी पृथ्वी की तरह गतिशील है ?
दीक्षा ने पूछा , " मैम , क्या अन्य ग्रह भी पृथ्वी की तरह गतिमान हैं ? " मैम ने जानकारी दी . " कोई ग्रह अपनी कक्षा में जिस रफ्तार से घूमता है वह उसकी सूर्य से दूरी पर निर्भर करती है । यदि ग्रह सूर्य के करीब होगा तो यह अधिक रफ्तार से सूर्य के गिर्द चक्कर लगाएगा ।
पृथ्वी जब सूर्य के करीब होती है तो यह 30.2 किलोमीटर प्रति सैकेंड की रफ्तार से चलती है तथा तथा जब यह सूर्य से दूर चली जाती है तो इसकी रफ्तार 29.2 किलोमीटर प्रति सैकेंड रह जाती है । पृथ्वी दो तरह से गतिमान होती है । यह सूर्य के गिर्द चक्कर लगाती है तथा अपनी धुरी पर भी सूर्य के गिर्द औसत 15,00,00,000 किलोमीटर की दूरी तय करती है
तथा एक चक्कर पूरा करने में 365 दिन से जरा - सा अधिक समय लेती है और यह अपनी धुरी पर एक चक्कर चक्कर लगाने में 24 घंटों से जरा - सा कम समय लेती है । तो अन्य ग्रहों के बारे में क्या ? प्रत्येक ग्रह एक अलग ही चाल से चलता है । बुध ग्रह सूर्य के गिर्द एक चक्कर 88 दिनों में पूरा करता है तथा यह अपनी धुरी पर एक चक्कर 58 या 59 दिनों में पूरा करता है ।
सूर्य से इसकी दूरी लगभग 5,80,00,000 किलोमीटर है । शुक्र ग्रह सूर्य से लगभग 10,80,00,000 किलोमीटर दूर है तथा सूर्य के गिर्द एक चक्कर 225 दिन में पूरा करता है । अपनी धुरी पर एक चक्कर यह 243 दिन में पूरा करता है और यह ग्रह उल्टी ओर घूमता है । मंगल जो सूर्य से औसत 22,80,00,000 किलोमीटर की दूरी पर है , इसका एक चक्कर लगाने में 687 दिन लेता है ।
यह पृथ्वी जितनी रफ्तार से ही घूमता है । बृहस्पति जो सूर्य से 78,00,00,000 किलोमीटर दूर है इसका चक्कर लगाने में 11.9 वर्ष का समय लेता है तथा अपनी धुरी पर एक चक्कर लगाने में मात्र 10 घंटे से भी कम समय लेता है । शनि जो सूर्य से 1,42,60,00,000 किलोमीटर दूर है , इसका एक चक्कर पूरा करने में लगभग साढ़े 29 वर्ष का समय लेता है
तथा अपनी धुरी पर एक चक्कर 10 घंटों में पूरा करता है । यूरेनस सूर्य से 2,87,00,00,000 किलोमीटर दूर है तथा 84 वर्षों में यह उसका एक चक्कर पूरा करता है तथा वरुण ग्रह ( नैप्च्यून ) जो सूर्य से 4,49,30,00,000 किलोमीटर दूर है , उसे इसका एक चक्कर पूरा करने में लगभग 165 वर्ष लग जाते हैं । "
अंतरिक्ष के बारे में कुछ रोचक तथ्य
अब तक का बड़ा विस्फोट
अधिकतर खगोल विज्ञानियों का अब मानना है कि ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति लगभग 13.7 अरब वर्ष पूर्व विश्व रिकार्ड एक ' कैटाक्लसमिक ' विस्फोट में हुई थी जिसे ' बिग बैंग ' कहा जाता है । कलाकार द्वारा कल्पना से बनाया गया इसका चित्र यहां दिखाया गया है । ब्रह्माण्ड में मौजूद सभी तरह की ऊर्जा तथा मैटर ( पदार्थों ) की उत्पत्ति इसी घटना के कारण समय - समय पर हुई । बिग बैंग के एक सैकंड के बाद ही तापमान लगभग एक खरब डिग्री सैंटीग्रेड या यूं कह लीजिए कि सूर्य के भीतरी भाग से लगभग 600 गुणा अधिक था ।
सौरमंडल से बाहर का नजदीकी ग्रह
अमेरिका के डॉक्टर विलियम कोचरान के नेतृत्व में यूनिवर्सिटी ऑफ टैक्सास मैक्डोनाल्ड आब्जर्वेटरी की एक टीम ने 7 अगस्त 2000 को यह घोषणा की कि उन्होंने हमारी सौर प्रणाली से बाहर एक सबसे नजदीकी ग्रह को खोज लिया है । यह ग्रह जो संभवतः बृहस्पति ग्रह से जरा सा बड़ा है , एप्सिलोन एरिडानी नामक सितारे की कक्षा में चक्कर लगाता है । यह सितारा , जो मात्र 10.5 प्रकाश वर्ष दूर है ,सूर्य के सबसे करीबी सितारों में से एक है ।
आकाशगंगा में सबसे ठंडा स्थान
पृथ्वी से 5,000 प्रकाश वर्ष दूर बूमरैंग नेबुला नामक धूल तथा गैसों के बादल में तापमान शून्य से 272 डिग्री सैंटीग्रेड कम है । इसका निर्माण इसके केन्द्रीय तारे से बहने वाली गैसों तथा धूल के विस्तार के कारण हुआ था ।
सौरमंडल से परे का विशाल ग्रह
जनवरी 2001 को एच.डी. 168443 नामक एक ग्रह को खोज लेने की घोषणा की गई जो पृथ्वी से 123 प्रकाश वर्ष दूर एक सितारे के गिर्द चक्कर लगा रहा है । हमारी सौर प्रणाली में मौजूद बृहस्पति ग्रह अन्य सभी ग्रहों तथा उनके चंद्रमाओं के कुल आकार से बड़ा है परन्तु एच.डी. 168443 बृहस्पति से भी 17 गुणा बढ़ा है ।
बड़ी आकाशगंगा
एबेल 2029 नामक आकाशगंगा झुंड की केन्द्रीय आकाशगंग जो 1,0700 लाख प्रकाश वर्ष दूर है , का अधिकतम व्यास 56 लाख प्रकाश वर्ष है जो हमारी अपनी आकाशगंगा के व्यास से 80 गुणा बड़ा है । और इससे निकलने वाला प्रकाश 2 करोड़ खरब या 20 शंख सूर्यों के प्रकाश के बराबर है ।
ब्रह्माण्ड में दूर की वस्तु
अमेरिका में काल्टेक के खगोल विज्ञानियों ने हब्बल अंतरिक्ष दूरबीन तथा केक वेधशाला का इस्तेमाल करते हुए लगभग 2000 प्रकाश वर्ष दूर सितारों की एक छोटी तथा सघन प्रणाली की खोज की जो 2000 प्रकाश वर्ष के क्षेत्र में फंसी थी जिसकी दूरी लगभग 13 अरब प्रकाश वर्ष है । इन परिणामों को फरवरी 2004 में जारी किया था।
रिकार्ड चपटा सितारा
अब तक के अध्ययनों के आगे गंगा में मौजूद सबसे कम गोलाकार सितारा है दक्षिण अनुसार हमारी आकाश में स्थित एचेनार ( अल्फा एरिडानी ) 11 सितम्बर तथा 12 नवम्बर 2002 के बीच चिली के आटाकामा में यूरोपियन सदर्न आब्जर्वेटरी के पैरानल आब्जर्वेटरी में लगी वैरी लार्ज टैलीस्कोप (वी.एल.टी. ) इंटरफार्मीटर द्वारा किए गए अध्ययनों के अनुसार एचेनार इतनी तेजी से अपनी धुरी पर घूमता है कि इसका भूमध्यरेखीय व्यास इसके ध्रुवीय व्यास से 50 प्रतिशत से भी अधिक है । इस अध्ययन परिणामों को 11 जून 2003 को जारी किया गया था ।
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