ब्रह्माण्ड कितना विशाल है ?
संजय ने पूछा , " मैम ब्रह्माण्ड कितना विशाल है ? " मैम ने उत्तर दिया , " ब्रह्माण्ड इतना विशाल है कि हम इसके विशाल आकार के बारे में सोच भी नहीं सकते । पृथ्वी , हमारी पृथ्वी इसका मात्र एक नन्हा सा भाग है । यहां तक कि सौर प्रणाली , जिसमें सूर्य , ग्रह , उपग्रह तथा उल्काएं शामिल हैं , एक बड़ी प्रणाली का नन्हा - सा भाग हैं , जिसे हम आकाशगंगा कहते हैं ।
एक आकाशगंगा कई लाख सितारों से बनी होती है जिनमें बहुत से हमारे सूर्य से कहीं बड़े हो सकते हैं । और उनकी अपनी सौर प्रणाली हो सकती है । जिन सितारों को हम देखते हैं , आकाशगंगा कहते हैं , वे सभी सितारे ही हैं । वे इतने अधिक दूर हैं कि मील की बजाय उनकी दूरी को प्रकाश वर्षों में मापा जाता है । प्रकाश लगभग 3,0000000 किलोमीटर प्रति सेकंड की रफ्तार से चलता है ।
प्रकाश एक साल में जितनी दूरी तय करता है उसे एक प्रकाश वर्ष कहते हैं। प्रकाश प्रतिवर्ष लगभग 60,00,00,00,00,000 मील की रफ्तार से सफर करता है । पृथ्वी से सबसे नजदीकी सितारा ' अल्फा सेंटौरी ' हमसे 2,50 , 00,00,00,00,000 मील दूर है ।
हमारी आकाशगंगा की चौड़ाई 100,000 प्रकाश वर्ष है लेकिन हमारी आकाशगंगा अभी भी एक विशाल प्रणाली का एक छोटा - सा भाग है । हमारी आकाशगंगा से परे लाखों की संख्या में अन्य आकाशगंगाएं हो सकती हैं और वे भी उस विशाल प्रणाली का एक छोटा - सा भाग हो सकती हैं ।
हमारे पड़ोसी आकाशगंगा का नाम एंड्रोमेडा गैलेक्सी है । वैज्ञानिकों का मानना है कि ब्रह्माण्ड प्रकाश की रफ्तार से फैल रहा है । इसका अर्थ यह हुआ कि प्रत्येक कुछ अरब वर्षों के दौरान दो आकाशगंगाएं एक - दूसरे से उससे दोगुना दूर हो जाएंगी जितनी वे पहले थीं
लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि हमारे पड़ोसी आकाशगंगा एंड्रोमेडा गैलेक्सी बहुत तेजी से हमारी आकाशगंगा मिल्की वे गैलेक्सी की ओर बढ़ रही है । वैज्ञानिकों के अनुसार एक दिन मिल्की वे गैलेक्सी और एंड्रोमेडा गैलेक्सी का आपस में विलय हो जाएगा और फिर यह एक विशाल आकाशगंगा बन जाएगी ।
तारामंडल क्या है ?
आज खगोल विज्ञानी आकाश में 88 तारामंडलों को पहचान चुके हैं । इनमें से कुछ तारामंडलों को वैज्ञानिक उपकरणों का नाम दिया गया है।
आकांक्षा ने पूछा , " मैम , तारामंडल किसे कहते हैं ? " मैम ने जानकारी दी , " तारों के किसी समूह को तारामंडल कहा जाता है । शब्द तारामंडल लैटिन भाषा के दो शब्दों से लिया गया है , जिनका अर्थ है ' स्टार ' ( स्टेला ) तथा ' टुगेदर ' अर्थात एक साथ प्राचीन काल से ही लोग विभिन्न तारामंडलों को नाम देते आ रहे हैं ।
अकीला एक गिद्ध है , कैनिस मेजर तथा कैनिस माइनर बड़े तथा छोटे कुत्ते हैं , लिब्रा तराजू है । ईस्वी सन् 150 में प्रसिद्ध अंतरिक्ष विज्ञानी प्टोलेमी ने ऐसे 48 तारामंडलों की सूची बनाई , जिन्हें वह जानते थे । आज खगोल विज्ञानी आकाश में 88 तारामंडलों को पहचान चुके हैं ।
इनमें से कुछ तारामंडलों को वैज्ञानिक उपकरणों का नाम दिया गया है जैसे कि कम्पास , सेक्सटैंट ( आकाशीय पिंडों की दूरी नापने वाले यंत्र ) तथा सूक्ष्मदर्शी प्रत्येक सितारा किसी न किसी तारामंडल का भाग होता है जिस प्रकार भारत में कोई भी शहर किसी न किसी राज्य का हिस्सा है ।
आकाशगंगा क्या है ?
अंकित ने पूछा , " मैम , आकाशगंगा क्या है ? " मैम ने जानकारी दी , " आकाशगंगा रत्नों के एक समूह की तरह आकाश के एक सिरे से दूसरे सिरे तक फैली होती है । हमारी आकाशगंगा की आकृति काफी हद तक एक घड़ी की तरह है गोल तथा चपटी ।
यदि आप इसके ऊपर पहुंच कर इसे नीचे देख सकें तो यह एक बड़ी घड़ी की तरह दिखाई देगी लेकिन हम आकाशगंगा के बीच में हैं और जब हम ऊपर देखते हैं तो हम ' घड़ी ' के बीच वाले भाग से इसके सिरे की ओर देख रहे होते हैं और चूंकि इसमें लाखों सितारे हैं हम इसे आकाशगंगा के रूप में देखते हैं ।
अब चौंकने के लिए तैयार हो जाएं । आकाशगंगा में कम से कम 3,00,00,00,000 सितारे हैं । आप जानते हैं कि सूर्य की रोशनी को पृथ्वी पर पहुंचने में आठ मिनट लगते हैं । आकाशगंगा के मध्य भाग से सूर्य तक पहुंचने में लगभग 27,000 वर्ष लगते हैं ।
आकाशगंगा अपने मध्य भाग के गिर्द एक पहिए की तरह घूमती है । इसमें हमारी जो स्थिति है उस स्थान पर दोबारा पहुंचने अर्थात एक चक्कर पूरा करने में इसे लगभग 20,00,00,000 वर्ष लगते हैं । हमारी आकाशगंगा का नाम मिल्की वे गैलेक्सी है तथा हमारी पड़ोसी आकाशगंगा एंड्रोमेडा गैलेक्सी है। हमारी आकाशगंगा 100000 प्रकाश वर्ष की दूरी तक फैली हुई है जिसमें अरबो- खरबों तारे हैं।
आकाशगंगा की जो तस्वीर हमें दिखाई जाती है दरअसल वह हमारी आकाशगंगा की ना होकर हमारे पड़ोसी आकाशगंगा एंड्रोमेडा गैलेक्सी की होती है । हम स्वयं अपने आकाशगंगा को नहीं देख सकते क्योंकि आकाशगंगा के जिस भाग में पृथ्वी स्थित है वहां से अपनी अकाश गंगा की पूरी तस्वीर देख पाना असंभव है ।
रात्रि के समय आकाश में केवल आकाशगंगा के मात्र कुछ लाइने ही हमें दिखाई देती है । हमारी पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करती है । पृथ्वी को सूर्य की एक परिक्रमा करने में एक वर्ष अर्थात 365.25 दिन लगते हैं अगर हम सूर्य की बात करें तो सूर्य हमारी आकाशगंगा की परिक्रमा करता है ।
सूर्य को आकाशगंगा की एक परिक्रमा करने में लगभग 24 करोड़ वर्ष लगते हैं अब तक सूर्य ने अकाश गंगा की 20 परिक्रमा पूरी कर चुका है। इस हिसाब से अगर हम देखें तो सूर्य की उम्र मात्र 20 वर्ष ही है वही अकाशगंगा, आकाशगंगा के मध्य में स्थित है ब्लैक होल की परिक्रमा करता है । ब्लैक होल की गुरुत्वाकर्षण शक्ति इतनी जबरस्त होती है कि आकाशगंगा में विद्यमान सारे तारे, ग्रह उस ब्लैक होल की परिक्रमा करते हैं।
मिल्की वे अकाशगंगा लगभग एक लाख प्रकाश वर्ष की दूरी में फैला हुआ है अगर हम प्रकाश की रफ्तार से यानी तीन लाख किलोमीटर प्रति सेकंड की रफ्तार से अपनी आकाशगंगा को पार करने की सोचे तो हमें लगभग एक लाख प्रकाश वर्ष का समय लग जाएगा । इस हिसाब से हम समझ सकते हैं कि हमारी आकाशगंगा कितनी विशाल है ।
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