क्या पौधे धूप के बिना रह सकते हैं ?
सभी हरे पौधों को धूप या सूर्य की रोशनी की आवश्यकता होती है क्योंकि ये सूर्य की ऊर्जा का इस्तेमाल अपना भोजन बनाने के लिए करते हैं । भोजन बनाने की प्रक्रिया को ' फोटोसिंथेसिस ' कहा जाता है जो मुख्यतः पत्तों में होती है और इसमें क्लोरोफिल नामक एक तत्व का इस्तेमाल किया जाता है ।
यदि किसी हरे पौधे को अंधेरे में रख दिया जाए तो शीघ्र ही वह अपना हरा रंग खो देगा । खुंभ या मशरूम जो दूसरे पौधों या मृत पदार्थों पर पनपते हैं अंधेरे में जीवित रह सकते हैं ।फोटो सिंथेसिस में पौधे सूर्य की रोशनी का इस्तेमाल पानी , मिट्टी से तथा कार्बनडाइऑक्साइड को ग्लूकोस में बदलने के लिए करते हैं । पत्ते ऑक्सीजन छोड़ते हैं ।
पौधे भोजन कैसे करते हैं ?
खुद को जीवित रखने के लिए पौधों को भोजन करना पड़ता है ठीक वैसे ही जैसे हम लोग तथा जानवर करते हैं । हालांकि हरे पौधे अपना भोजन तैयार करने में सक्षम होते हैं । ये अपने पत्तों के माध्यम से कार्बनडाईऑक्साइड ग्रहण करके तथा अपनी जड़ों एवं पत्तों से मिट्टी तथा वर्षा से पानी प्राप्त करके शर्करा तथा स्टार्च तैयार करते हैं ।
ये सूर्य की रोशनी से मिलने वाली ऊर्जा का इस्तेमाल गैसों तथा पानी को भोजन में बदलने के लिए करते हैं जिसे ये आवश्यकतानुसार संग्रह भी कर सकते हैं । भोजन बनाने की इस प्रक्रिया को फोटो सिंथेसिस कहा जाता है। ऑक्सीजन छोड़ी जाती है जिससे हवा में ऑक्सीजन की आपूर्ति बनी रहती है । पौधे अपनी जड़ों के माध्यम से खनिज भी प्राप्त करते हैं ।
सभी पौधे अपना भोजन खुद नहीं बनाते । कुछ दूसरे पौधों या उनके अवशेषों को खाते हैं । ये पौधे परभक्षी या सैप्रोफाइट पौधे कहलाते हैं और इनमें फफूंद शामिल होती है जैसे कि मशरूम तथा टोड स्टूल्स ।
पौधों को पानी क्यों चाहिए ?
किसी पौधे का 90 प्रतिशत भाग पानी होता है । पानी के बिना पौधा फोटो सिंथेसिस ( प्रकाश संश्लेषण ) द्वारा भोजन तैयार नहीं कर सकता । पानी पौधे की कोशिकाओं को कठोर बनाए रखता है । पौधे में यदि पर्याप्त मात्रा में पानी न हो तो कोशिकाएं अशक्त या लचीली हो जाएंगी तथा पौधा मुरझा जायेगा । अधिकतर पौधों को अपनी जड़ों के रास्ते पानी की अनवरत आपूर्ति की आवश्यकता होती है।
पौधों के लिए किट उपयोगी कैसे ?
पौधों के लिए कीट इस तरह से उपयोगी हैं कि वे एक पौधे से दूसरे पौधे तक पराग ले जाते हैं । बीज तैयार करने के लिए पौधे का परागण होना आवश्यक है । फूलों की ओर कीट उनके चटक रंगों या उनकी खुशबू और मीठे मधुरस ( पराग ) के कारण आकर्षित होते हैं ।
यहां तक कि कुछ फूल कीटों की तरह भी दिखाई देते हैं जिनकी ओर वे आकर्षित होना चाहते हैं जैसे ही कीट मधुरस के लिए फूल पर पहुंचते हैं , फूल के पुंकेसर ( स्टेमन ) तथा स्टिग्मा से रगड़ खाने से पराग उनके शरीर पर चिपक जाता है ।
जब वे किसी दूसरे फूल पर पहुंचते हैं तो पराग उसके पुंकेसर पर लग जाता है जिससे फूल निषेचित हो जाता है इस प्रकार एक फूल से फल बनने की प्रक्रिया आरंभ हो जाती है।
रेगिस्तानी पौधे फैले क्यों होते हैं ?
रेगिस्तानी पौधे एक - दूसरे के पास - पास नहीं उगते । यदि वे ऐसा करेंगें तो उनमें बहुत कम उपलब्ध पानी तथा भोजन के लिए प्रतिस्पर्धा शुरू हो जाएगी । इसकी बजाय एक - दूसरे से परे फैल कर उगते हैं रेगिस्तानी पौधों की जड़ें आमतौ पर लम्बी होती हैं , जो जहां तक संभव हो सके अधिक से अधिक नमी ग्रहण करने के लिए फैली रहती हैं । जब वर्षा होती है तब वे जहां तक पहुंच सकती हैं अधिक से अधिक पानी चूस लेती हैं । पौधा अपने गूदेदार तने में पानी का संग्रह कर लेता है ।
पौधे ठंडे कैसे रहते हैं ?
पौधे अपने पत्तों के नीचे मौजूद नन्हे छिद्रों , जिन्हें स्टोमाटा कहा जाता है , के द्वारा पानी का स्राव करते हैं । इस तरह पानी के निकलने को ट्रांस्पिरेशन ( प्रस्वेदन ) कहा जाता है । इसके साथ ही पौधे मिट्टी में अपनी जड़ों में पानी खींच लेते हैं । पत्तों द्वारा निकाला गया पानी पौधे को ठंडा रखता है । जड़ों से ऊपर तने तक जाता पानी अपने साथ मिट्टी से अत्यंत आवश्यक खनिज भी लाता है ।
पौधों संबंधी अन्य तथ्य
* दक्षिण अमेरिका की कुछ विशाल वाटर लिलीज के पत्तों की लम्बाई 1.5 मीटर तक होती है।
* अमेरिकन रेगिस्तानों में पाया जाने वाला विशाल सागुआरो कैक्टस 15 मीटर की ऊंचाई तक पहुंच जाता है ।
* पौधों को आमतौर पर धूप की आवश्यकता होती है लेकिन कुछ पौधे समुद्र की गहराइयों में जीने के अनुकूल बन जाते हैं जहां किसी तरह की रोशनी नहीं होती ।
* मेडनहेयर ट्री या चीन का जिनकू नामक पेड़ पौधों की सबसे पहले की जीवित प्रजातियों में से है । यह लगभग 16 करोड़ वर्ष पूर्व पृथ्वी पर पैदा हुआ था ।
* सेब का असली फल उसका भीतरी भाग होता है । उसका गूदेदार सफेद भाग , जिसे हम खाते हैं , ओवरी की बाहरी परत होती है ।
* टैपरूट पौधे की मुख्य जड़ होती है । पौधे को उखाड़ने के लिए इसे जरा मुश्किल से जोर लगा कर उखाड़ना पड़ता है ।
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