ब्लैक बॉक्स क्या होता है यह कैसे काम करता है | विमान दुर्घटना के बाद इसे क्यों खोजा जाता है | ब्लैक बॉक्स इतना महत्वपूर्ण क्यों होता है?
आधुनिक युग में आतंक फैलाने वालों ने भी अत्याधुनिक उपकरणों से कई विध्वंसकारी घटनाओं को अंजाम दिया है । आतंक का एक तरीका विमानों को हवा में अगवा करना तथा यात्रियों को बंधक बनाकर अपनी मांगें मनवाना भी शामिल है । कई बार विस्फोटों के द्वार सम्पूर्ण विमान को हवा में उड़ाने का कारनामा भी उग्रवादी अंजाम दे चुके हैं ।
इन घटनाओं में किसका हाथ था अथवा किस कारण से विमान दुर्घटनाग्रस्त हुआ ? यह पता लगाने हेतु ब्लैक बॉक्स बहुत उपयोगी यंत्र है । विमान के सबसे सुरक्षित माने जाने वाले पिछले भाग में रखा जाने वाला ब्लैक बॉक्स मुख्यत : दो भागों फ्लाइट डाटा रिकार्डर तथा कॉकपिट वायस रिकार्डर का बना होता है ।
इसकी मजबूती का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि यह 1100 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान तथा 500 पौंड के कठोर स्टील को इस पर 10 फुट से गिरने पर रिकॉर्डर भी क्षतिग्रस्त नहीं होता है । इसकी मजबूती के परीक्षण हेतु इस पर बहुत भारी गुरुत्व बल , 5000 पौंड का वायुदाब प्रहार तथा 24 घंटे तक समुद्री जल में दबाव में रखा जाता है ।
इन पर रिकार्ड हुई जानकारियां कई दिनों बाद तक भी सुरक्षित रहती हैं । ब्लैक बॉक्स वस्तुतः दो रंगों का होता है तथा इस बॉक्स में दो बक्से होते हैं । काकपिट वायस डाटा रिकार्डर काले रंग का होता है , जबकि फ्लाइट डाटा रिकार्डर गहरा लाल या नारंगी रंग का होता है ।
Black Box Inside parts |
इसका नाम ब्लैक बॉक्स इसलिए रखा गया है कि काकपिट वायस डाटा रिकार्डर के अंदर फ्लाइट डाटा रिकार्डर होता है तथा इस प्रकार बाहर से यह काला ही दिखाई देता है । ब्लैक बॉक्स को खोलकर अंदर से फ्लाइट डाटा रिकार्डर निकाला जाता है , जिसकी जानकारियां महत्वपूर्ण होती हैं ।
ब्लैक बॉक्स का आकार सामान्यतः 13x20x30 सें.मी. का होता है । यह देखने में किसी ब्रीफकेस जैसा लगता है तथा पूर्णतः जलरोधी तथा तापरोधी होता है । विमान की पूंछ में लगे ये उपकरण सीधे ही कॉकपिट में लगे माइक्रोफोन से जुड़े रहते हैं । इन बॉक्सों में ध्वनि प्रसारक यंत्र भी लगे होते हैं तथा ये एक विशेष प्रकार की बैटरी से जुड़े होते हैं ।
यह बैटरी साधारणत : सुषुप्त बनी रहती है तथा दुर्घटना होने की स्थिति में स्वत : ही चालू हो जाती है । यह बैटरी एक विशेष प्रकार की आवाज करती है तथा एक बार चालू हो जाने पर करीब 30 दिन तक लगातार चलती रह सकती है ।
फ्लाईट डाटा रिकार्डर :
फ्लाईट डाटा रिकार्डर अथवा एफ.डी.आर. , विमान की उड़ान संबंधी जानकारियां विमान की गति , समय , गुरुत्व बल , विमान के ऊपर - नीचे होने की स्थिति तथा गति आदि सभी जानकारियां इसमें लगी धातु की पतली पट्टी पर ज्यों का त्यों रिकार्ड करता रहता है ।
साधारणतः एक फ्लाईट डाटा रिकार्डर 25 उड़ान घंटे की रिकार्डिंग कर सकता है । रिकार्ड की गई जानकारियों को विशेष यंत्रों द्वारा ज्ञात कर दुर्घटना का कारण , दुर्घटना का समय आदि ज्ञात किया जा सकता । इसी प्रकार किसी विमान की असामान्य ऊंचाई , वेग में परिवर्तन का भी इस पर अंकित सूचनाओं से पता लगाया जा सकता है ।
आधुनिक विमानों में फ्लाईट डाटा रिकार्डर के स्थान पर डी.एफ.डी.आर. ( कम्प्यूटरयुक्त फ्लाईट डाटा रिकार्डर ) उपयोग में लाए जाते हैं । डी.एफ.डी.आर. में चुम्बकीय टेप का उपयोग किया जाता है , जिसे साधारणत : 200 उड़ानों के बाद बदला जाता है तथा इस प्रकार बार बार फ्लाईट डाटा रिकार्डर को बदलने की आवश्यकता नहीं रहती है ।
डी.एफ.डी.आर. के द्वारा विमान तथा उसके इंजनों से संबंधित 50 से अधिक जानकारियां जैसे कि इंजनों की शक्ति , गति व दबाव , यात्री कक्ष का तापमान , रेडियो सम्पर्क का समय , अवतरण आदि जानकारियां प्राप्त हो सकती हैं । इस प्रकार डी.एफ.डी.आर.दुर्घटना की अधिक जानकारी देता है जो सामान्य एफ.डी. प्राप्त नहीं हो सकती हैं ।
इन ब्लैक बाक्सों की सहायता से उडान संबंधी चित्र भी प्राप्त हो सकते हैं । इस प्रकार उड़ान के समय किसी यांत्रिक अथवा चालक की गलती का भी पता लग सकता है ।
काकपिट वायस रिकार्डर :
कॉकपिट वायस रिकार्डर अथवा सी.वी.आर के द्वारा विमान के चालक कक्ष काकपिट में हुई बातचीत तथा रेडियो पर किए गए वार्तालाप , चालक कक्ष में बजने वाली घंटी , विमान के इंजनों का शोर आदि रिकार्ड किए जाते हैं । इस प्रकार सी.वी.आर. में घरेलू टेपरिकार्ट की तरह सभी बातें एक सुदृढ़ ढांचे में सुरक्षत रूप से स्वतः रिकार्ड हो जाती हैं ।
यह रिकार्डिंग विमान के इंजन बंद होने के साथ ही बंद हो जाती हैं । इस प्रकार प्राप्त किए गए संदेशों की निरन्तर रिकार्डिंग होती रहती है तथा हर आधे घंटे बाद स्वत : ही नई रिकार्डिंग शुरू हो जाती है । सी.वी.आर. के प्रथम तीन चैनलों में प्रमुखत : विमान के रेडियो चेतावनी की घंटियां तथा बजर की आवाजें आदि रिकार्ड होता रहता है , जिसे विशेषज्ञों द्वारा लिखित रूप से ज्ञात कर लिया जाता है ।
इस प्रकार ब्लैक बाक्स से न केवल दुर्घटना के कारणों का पता चलता है बल्कि दुर्घटना के पूर्व काकपिट तथा विमान में हुई दुर्घटनाओं का भी पता चल जाता है ।
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Very nice
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