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नहर की मछलियों को किसने बचाया ? एक रोचक आत्मकथा ( कहानी )

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शाम का वक्त हो चला था मैं अपनी बेटी आराध्या के साथ बाजार से सामान खरीद कर वापस अपने गांव की तरफ लौट रहा था । हम दोनों पैदल ही थे और आपस में बातें करते हुए धीरे धीरे चल रहे थे । 




मैंने देखा आगे नहर के पुल पर 40 से 50 गांव के लोग जिसमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे कुछ देख रहे थे। मैंने सोचा शायद जेसीबी से नहर की खुदाई चल रही है और गांव के लोग यह खुदाई देखने के लिए यहां इकट्ठे हुए हैं। 




आराध्या ने कहा, 'पापा वहां इतनी भीड़ क्यों है।' मैंने कहा, 'चलो वहां चल कर देखते हैं आखिर मामला क्या है।' जैसे ही हम वहां पहुंचे वहां का नजारा अलग ही था। वहां जेसीबी की खुदाई नहीं बल्कि गांव के कुछ लड़के मिलकर नहर में मछली पकड़ रहे थे। उन्हें देखने के लिए गांव की भीड़ जमा थी। 




गांव के बुजुर्ग लोग जो कि पुल पर आगे बैठे हुए थे वह उन लड़कों को मछली पकड़ने के तरीके बता रहे थे। नहर धीरे-धीरे सूख रहा था जिसके कारण नहर में पानी ज्यादा नहीं था। उसमें अलग-अलग जगह पर पानी इकट्ठा हो गया था जिसके कारण मछलियां थोड़ी ही दूर में सिमट कर रह गई थी। 




पानी गंदा और मटमैला होने के कारण वह बार-बार मुंह खोल कर ऊपर की तरफ आ रही थी। जिन्हें देखने के लिए लोगों में कौतूहल मचा था। मेरी बेटी आराध्या ने पूछा, 'पापा यह लोग क्या कर रहे हैं ?' मैंने कहा, 'यह लोग मछली पकड़ रहे हैं।' आराध्या ने दोबारा प्रश्न किया, पापा यह कौन सी मछली है ?' मैंने कहा, 'मुझे तो यह गरई मछली लग रही है। 




गरई मछली का नाम सुनते ही पीछे खड़े बुजुर्ग ने ऊंची आवाज में मुझसे कहा, 'यह गरई मछली नहीं बरारी मछली है।' यह बोलकर वह बुजुर्ग अपने मूछों पर हाथ फेरने लगा ऐसा लग रहा था जैसे वह मछलियों का एक्सपर्ट हो। उस नहर में अलग-अलग तरह की मछलियां थी किसी एक तरह का कहना उचित नहीं होगा। 




इतने में दूसरा बुजुर्ग उन मछली पकड़ने वाले लड़कों को कहने लगा, 'बेटा तुम लोग गलत तरह से मछली पकड़ रहे हो ऐसे पकड़ोगे तो तुम्हारे हाथ कुछ नहीं लगेगा। इतना सुनते ही एक लड़के ने बोला, 'ताऊ हमें ना सिखाओ मछली कैसे पकड़नी है तुम अपनी धोती संभालो और हमें अपना काम करने दो।' उस नौजवान लड़के के सामने बुजुर्ग की एक ना चली और उस बुजुर्ग की सलाह बेकार ही चली गई । 




वह बुजुर्ग अपने बेज्जती होता देख गुस्से से आगबबूला हो गया और भीड़ को कहने लगा, 'आजकल के लड़के क्या जाने मछली कैसे पकड़ी जाती है। हम अपने जमाने में पांच-पांच किलो की मछली बिना जाल लगाए ही पकड़ लिया करते थे। आज कल के लड़के चार-चार इंच की मछली पकड़ने के लिए इस कीचड़ में अपने को उस्ताद समझ रहे है । 




नहर के किनारे बैठी गांव की एक महिला मछली पकड़ने वालों के इंतजार में बैठी थी। उसके एक हाथ में प्लास्टिक का एक काली थैली और दूसरे हाथ में ₹20 का नोट था। वह महिला उन लड़कों से बोली, मुझे मछलियां बेंचोगे। मेरे पास ₹20 हैं उनमें से एक लड़के ने बोला, 'चाची ₹20 में तो केवल चार मछलियां ही मिलेंगी।' 




चार मछलियों का नाम सुनकर वह महिला उन लड़कों को कहने लगी, 'ज्यादा ना बोलो मुझे मालूम है ₹20 में आधा किलो मछली आती है। इस कीचड़ की मछलियों को लेने के लिए मैं ₹20 से ज्यादा नहीं दूंगी।' यह कहकर वह औरत वह काली थैली फेंकते हुए वहां से चली गई । उस महिला का आज के दिन मछली खाने का सपना टूट सा गया था। 


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मछली पकड़ने वाले लड़कों ने उन मछलियों को चारों तरफ से मिट्टी का बांध लगाकर घेर लिया था और धीरे-धीरे बाल्टीयों से पानी को निकाल रहे थे। जिसके कारण पानी का स्तर धीरे-धीरे नीचे जा रहा था और मछलियां पानी के अभाव से तड़प रही थी। ऑक्सीजन के अभाव में ऊपर की तरफ कूद रही थी। 



पानी जैसे-जैसे कम होता उन तड़पती मछलियों को देखने के लिए लोगों की और भीड़ जमा होती जाती । आराध्या ने कहा, 'पापा क्या यह सारी मछलियां मर जाएंगी ?' मैंने कहा, 'हां बेटा अब यह लड़के इन मछलियों को पकड़ कर या तो इन्हें बेच देंगे या आपस में बांट कर ले जाएंगे' तड़पती मछलियों को देखकर आराध्या का मन बहुत ही दुखी था। 




मैं इस चीज को महसूस कर रहा था पर मैं क्या कर सकता था। धीरे-धीरे शाम का समय और बढ़ता चला गया अंधेरा छाने लगा लेकिन तभी कुछ ऐसा हुआ जिसे देखकर सारे लोग चौक गए। वह मछली पकड़ने वाले लड़के भी हैरान थे। नहर का पानी छोड़ दिया गया था जिसके कारण व धीरे-धरे आगे की तरफ बहता हुआ दिखाई दे रहा था। 




इतना देखते हैं वह लड़के अपनी बाल्टी से पानी को जल्दी जल्दी निकालने लगे ताकि जल्द से जल्द उन मछलियों को पकड़ सके। लेकिन ईश्वर को कुछ और ही मंजूर था। नहर का पानी धीरे-धीरे आगे की ओर बढ़ रहा था और जल्द ही उनके समीप आ गया। उन्होंने जो बांध बना रखा था । वह धीरे-धीरे पानी से रिसने लगा और अचानक से टूट गया। 




जिसके कारण वह गड्ढा जिसमें मछलियां फंसी हुई थी वह पानी से लबालब हो गया और मछलियों को दोबारा नया जीवन मिल गया। मछली पकड़ने वाले लड़कों की मेहनत एक पल में बेकार हो गई । उन्हें मायूस ही उस नहर से बाहर निकलना पड़ा। 


जब मैं सुबह किसी काम से उस नहर के नजदीक पहुंचा तब वह नहर का पानी से लबालब था । पानी का रंग हल्का नीला था जो बहुत सुंदर दिखाई दे रहा था।


दोस्तों आपको यह कहानी कैसी लगी और भी ऐसी रोमांचक कहानी पढ़ने के लिए आप हमारे डिस्कवरी वर्ल्ड हिंदी पर बने रहें।

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नहर की मछलियों को किसने बचाया ? एक रोचक आत्मकथा ( कहानी ) Reviewed by Jeetender on September 20, 2021 Rating: 5

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