साहस और बुद्धिमानी | युवक और आग उगलने वाला समुद्री दैत्य | कहानी
साहस और बुद्धिमानी
प्राचीन काल की बात है । जापान म समुद्र के किनारे मछुआरों की बहुत बड़ी बस्ती थी । सब लोग समुद्र से छोटी - बड़ी पकलियां पकड़ते और शहर जाकर बैच आते थे । अच्छी आय हो जाती थी । सब आराम से हंसी - खुशी जीवन व्यतीत कर रहे थे ।
अचानक बस्ती पर बुरे दिनों का साया पड़ गया । जाने कहां से एक अद्भुत विशाल आकार का जीव समुद्र से निकल कर टापू पर आ गया । उसका मुंह और जबड़ा मगरमच्छ की तरह बड़ा और दांत पैने तथा लम्बे थे । आंखें अंगारे की तरह दहकती थीं । वह किसी को भी अपने मुंह में दबाकर एक ही बार में निगल जाता था ।
मनुष्य के सामने आकर वह अपने पिछले पैरों पर खड़ा होकर कुछ देर नाचने जैसी हरकत करता था । उसके मुंह से आग की लपटें निकलती थीं । लपटों से वह अपने सामने वाले को झुलसा कर बेहोश कर देता था । उसके बाद वह उसे अपना शिकार बना लेता था ।
उसकी ऊपर की चमड़ी इतनी कठोर और खुरदरी थी कि तलवार का प्रहार उस पर कोई असर नहीं करता था । बस्ती के कई मछुआरों , पालतू पशुओं को तो वह खा ही चुका था । आस - पास की फसल को भी चट कर चुका था । उसके आतंक से बस्ती में हाहाकार मच गया था । लोग भयभीत और सहमे हुए थे ।
किसी की भी हिम्मत उस ओर जाने की नहीं थी । जब लोगों का जीवन दूभर हो गया और काम - धंधा छोड़कर घर में कैद हो गए तो बस्ती के कुछ बुजुर्ग लोग इकट्ठे होकर राजा के पास गए और उन्हें उस अद्भुत जीव के आतंक के विषय में बताकर उनसे तुरन्त सहायता की गुहार लगाई ।
इस अद्भुत जीव के कारण अपनी प्रजा की ऐसी दुर्दशा देखकर राजा को बड़ा दुख हुआ । उसने सेना के उच्चाधिकारी को बुलाया और आदेश दिया कि उस ' विशाल अद्भुत जीव के ऊपर सैनिकों द्वारा हमला करके उसे जितनी जल्दी हो सके समाप्त कर दिया जाए ।
उस विशाल जीव को मारने के लिए कई वीर सैनिकों को भेजा गया लेकिन कुछ को उस अद्भुत विशाल जीव ने मौत के घाट उतार दिया और कुछ को गंभीर रूप से घायल कर दिया । राजा तथा उसके बड़े अधिकारी बहुत चिंतित थे । उनकी समझ में नहीं आ रहा था कि अद्भुत विशाल जीव का अंत कैसे किया जाए ।
राजा की एक बड़ी सुन्दर कन्या थी । वह विवाह योग्य हो गई थी । जब अद्भुत जीव को मारने के लिए राजा के सारे उपाय बेकार हो गए तो अंत में उसने सारे नगर में यह घोषणा करा दी कि जो कोई भी अद्भुत जीव को मार गिराएगा उसी के साथ राजकुमारी का विवाह होगा ।
उसी नगर में एक गरीब विधवा रहती थी । उसका एक बेटा था । वह बड़ा हष्ट - पुष्ट , लम्बा , बलशाली और सुन्दर व्यक्तित्व का मालिक तो था ही , साथ ही साहसी , निडर और बड़ा बुद्धिमान भी था । तीरंदाजी में तो आस - पास उसका कोई मुकाबला नहीं था ।
राजा की घोषणा सुनकर उसने अपनी मां से उस अद्भुत जीव को मारने की आज्ञा मांगी । पहले तो मां डर गई लेकिन उसे अपने बेटे की वीरता और बुद्धिमानी पर पूरा भरोसा था , इसलिए उसने पुत्र को आज्ञा दे दी । विधवा पुत्र राजा के महल में जाकर राजा के सम्मुख उपस्थित हुआ और उस अद्भुत जीव से युद्ध करने की इच्छा बताई ।
राजा युवक के आकर्षक व्यक्तित्व और दिलेरी को देखकर बहुत प्रभावित हुआ । राजा ने युवक को वचन दिया कि अगर वह उस अद्भुत जीव को मारने में सफल हो गया तो राजकुमारी का विवाह उसके साथ धूमधाम से सम्पन्न होगा ।
"जैसे ही अद्भुत जीव युवक के समीप आया तो उसने अपने पैरों को अजीब अंदाज में हिलाना शुरू कर दिया । फिर फुफकार कर मुंह से आग की लपटें निकालनी शुरू कर दीं । युवक ने हाथ में पकड़ी पोटली संभाली और चीते जैसी फुर्ती के साथ अपना बचाव किया ।"
उसके बाद राजपाट का वारिस भी वही होगा । विधवा का पुत्र उस अद्भुत जीव को मारने के लिए समुद्र की ओर चल पड़ा । उसके कंधे पर तीर कमान और कमर में तलवार लटक रही थी । उसके हाथ में एक पोटली थी । अनेक तमाशाई उसके पीछे चल रहे थे ।
कुछ समय के पश्चात युवक उस टापू पर पहुंच गया जहां अद्भुत जीव ने अपना डेरा जमा रखा था । उसने जोरदार आवाज में उसे ललकारा । उस योद्धा युवक को देखकर अद्भुत जीव एकदम खड़ा हो गया । वह खुश था कि शिकार खुद चल कर उसके पास आया था ।
अद्भुत जीव गुर्राते हुए युवक की ओर बढ़ने लगा । उसकी आंखों से आग बरस रही थी । अद्भुत जीव की अद्भुत विशालकाय आकृति देखकर एक बार तो युवक भी डर गया लेकिन उसने अपना साहस और धैर्य नहीं छोड़ा । उससे युद्ध करने के लिए वह सचेत हो गया ।
जैसे ही अद्भुत जीव समीप आया तो उसने अपने पैरों को अजीब अंदाज में हिलाना शुरू कर दिया । फिर फुफकार कर मुंह से आग की लपटें निकालनी शुरू कर दी । युवक ने हाथ में पकड़ी पोटली संभाली और चीते जैसी फुर्ती के साथ अपना बचाव किया।
उसने पोटली खोली और मुट्ठी भरकर पाऊडर निकाला और अद्भुत जीव के मुंह पर फैंक दिया । यह बहुत बारीक तेज मिर्च का पाऊडर था । मिर्च का ढेर सा पाऊडर अद्भुत जीव की नाक , आंख और मुंह में जा गिरा । अद्भुत जीव एकदम तड़प उठा और फुफकारते हुए मिर्च की असहाय अग्नि से परेशान होकर इधर - उधर दौड़ने लगा ।
युवक ने बची हुई मिर्च का पाऊडर भी उसके मुंह पर फैंक दिया । अद्भुत जीव तड़प कर चिल्ला रहा था । तभी युवक ने कमान पर तीर चढ़ाकर उसके कोमल भाग पर वार कर दिया। अद्भुत जीव तड़प तड़प कर मर गया ।
अद्भुत जीव के मारे जाने की खबर सारे नगर में आग की तरह फैल गई । सारा नगर उसे देखने के लिए उमड़ पड़ा । राजा भी आया । सबने युवक के साहस और बुद्धिमानी की खूब प्रशंसा की । चारों ओर त्यौहार जैसा माहौल था । मछुआरे युवक योद्धा के सामने अपना आभार प्रकट कर रहे थे ।
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