लोगों ने पहले मुद्रा कब इस्तेमाल की ? When did people first use currency Hindi
जानकारी
दोस्तों आज के समय में हम कोई भी लेनदेन सरकार द्वारा चलाए गए रुपयों और सिक्कों के माध्यम से करते हैं । हम इसके बदले में कोई भी वस्तु जिसे हम पसंद करते हैं खरीद सकते हैं। हमें सरकार द्वारा चलाए गए सिक्कों और नोटों पर पूर्ण रुप से विश्वास होता है।
रुपयों सिक्को का संरक्षण करने के लिए हम बैंकों का प्रयोग करते हैं पर क्या आप जानते हैं हम से पहले के समय में जिस समय सिक्कों और रुपयों का चलन नहीं था उस समय लोग सामानों का खरीद और विक्रय कैसे किया करते थे। आइए इस बारे में जानते हैं।
रुपया - पैसा अरस्तु से लेकर आज के समय तक हमेशा लोगों को लुभाता आया है । अरस्तु ने अध्ययन किया कि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है तथा उन्होंने अपने सामाजिक आचार - व्यवहार के लिए कुछ नियम निर्धारित किए हैं । मनुष्य ने आर्थिक पक्ष से वस्तुओं के आदान - प्रदान के लिए धन को एक माध्यम के रूप में स्थापित किया ।
आदमकालीन समय में जब लोग किसी वस्तु को खरीदना चाहते थे तो उसके बदले में उन्हें कोई न कोई वस्तु देनी पड़ती थी । उदाहरण के लिए यदि किसी बर्तन बनाने वाले को किसान से चावल खरीदने होते तो उसे किसान को मिट्टी के बने पात्र देने होते थे । किसान पात्रों या बर्तनों को इसलिए स्वीकार करता था क्योंकि उसे इनकी आवश्यकता होती थी ।
इसे ' बार्टर सिस्टम ' अर्थात अदला - बदली प्रणाली कहा जाता था जिसमें वस्तुओं के बदले वस्तुओं का लेन - देन होता था । उस समय के दौरान धन की जगह वस्तुओं का इस्तेमाल किया जाता था लेकिन व्यापार के विकसित होने के साथ ' बार्टर सिस्टम ' खरीद - फरोख्त के लिए आसान विनिमय प्रणाली के रूप में सफल नहीं रहा था ।
विश्व भर में लोगों ने विनिमय के लिए टोकनों तथा अन्य तरह की प्रतीकात्मक वस्तुओं का इस्तेमाल प्रारम्भ कर दिया । अमेरिकन इंडियन्स घोंघों की झालर का , फेजियन्स व्हेल के दांतों का तथा नार्थ अमेरिकन्स तम्बाकू का प्रयोग अपनी विनिमय प्रणाली में करते थे । रोमन सैनिकों को उनकी सेवाओं के बदले में नमक उपलब्ध कराया जाता था परंतु यहां हमारा प्रश्न यह है कि धन के तौर पर सिक्के का इस्तेमाल पहले-पहल कब किया गया ?
सिक्कों के रूप में धन के इस्तेमाल के बारे में किसी तिथि की निश्चित रूप में जानकारी नहीं है । उपलब्ध स्रोतों के अनुसार पहले - पहल सिक्कों ना इस्तेमाल 700 ईसा पूर्व में किया गया , जब एशिया में रहने वाले लिडियन लोगों ने विनिमय के लिए धातु के टुकड़ों का इस्तेमाल किया।
कुछ लोगों का मानना है कि चीनियों ने इससे भी पहले सिक्कों का इस्तेमाल शुरू कर दिया था । सिक्कों को इसलिए प्राथमिकता दी जाती थी । क्योंकि इन्हें एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाना आसान था और यह टिकाऊ थीं । पहले-पहल के सिक्कों की कोई नियमित आकृति नहीं थी तथा उन पर ऊबड़ - खाबड़ से डिजाईन बनाए जाते थे ।
सिक्कों की कीमत उस धातु पर निर्भर करती थी जिससे वे बनाए जाते थे । सिक्के अधिर सोने , चांदी या तांबे के बनाए जाते थे क्योंकि ये धातुएं कीमती तथा टिकाऊ थीं । कागज की बनी मुद्रा का इस्तेमाल पहले - पहल 9 वीं शताब्दी में चीन में होने के बारे में जानकारी है लेकिन यूरोप में यह 17 वीं शताब्दी तक विकसित नहीं हो सकी थी ।
विभिन्न देशों की सरकारें मौद्रिक मामलो को आसान बनाने के लिए कागज की मुद्रा तथा सिक्कों के इस्तेमाल को सम्मान देती हैं और महत्वपूर्ण बात यह है कि मुद्रा की कीमत उस पर मुद्रित होती है न कि वस्तु की असल कीमत पर ध्यान दिया जाता है । ऐसा इसलिए क्योंकि मुद्रा पर अंकित कीमत सरकार द्वारा खरीद शक्ति को दर्शाती है ।
लोग भुगतान के रूप में सिक्के या मुद्रा को इसलिए स्वीकार करते हैं क्योंकि उन्हें उसे जारी करने वाली अथॉरिटी पर विश्वास होता है न कि इसलिए कि उस पर कीमत अंकित होती है चूंकि सिक्के भारी तथा अधिक स्थान घेरने वाले होते हैं इसलिए बड़े भुगतान उचित कानूनी अथॉरिटी द्वारा कागज की मुद्रा के रूप में किए जाते हैं ।
★ व्यापार का पहले पहल का तरीका था ' बार्टर सिस्टम ' जिसमें केवल वस्तुओं का आदान प्रदान किया जाता था।
★ मुद्रा हर तरह की आकृति तथा आकार में बनाई जाती है लेकिन यह ऐसी अवश्य होनी चाहिए कि प्रयोग करने में आसानी हो तथा संग्रह की जा सके।
★ सिक्के इसलिए लोकप्रिय बने क्योंकि उन्हें लाना ले जाना आसान है तथा वे टिकाऊ होते हैं। बैंक नोट एक तरह का वायदा है यह धन की एक विशेष राशि के प्रतीक होते हैं।
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