मुझे भी साथ ले चलिए | शेरू कुत्ते की रुला देने वाली कहानी | Emotional Stories
शाम हो चली थी राजू अपनी दुकान पर बैठा लोगों को सड़क पर आते - जाते देख रहा था । राजू की दुकान के सामने एक घर था । छोटा लेकिन ऊंचा ।
राजू ने देखा एक-एक कर उस घर के सभी सदस्य बाहर आकर खड़े हो गए । घर के पास ही एक कार खड़ी थी । सभी लोग उसी कार में जाकर बैठने लगे । घर से लोगों के साथ एक कुत्ता भी निकला था ।
ऐसा प्रतीत होता था कि शायद सभी कहीं बाहर जा रहे थे । सच्चाई भी यही थी । राजू ने घर के एक सदस्य को कार की डिग्गी खोल कर वहां एक अटैची भी रखते हुए देखा था । कुत्ते को लेकर राजू रोमांचित था ।
वह सोच रहा था कि देखें यदि यह भी साथ गया तो कार में यह कहां और कैसे बैठता है । जब घर के एक सदस्य ने मेन गेट को ताला लगा दिया तो राजू को पूरा विश्वास हो गया था कुत्ता जिसका नाम शेरु था ... भी साथ जाएगा ।
शेरु फुर्ती से कार के इधर - उधर चक्कर लगा रहा था। राजू को लगा कि वह भी शायद कार में बैठकर घूमने जाने को लेकर खुश था । तभी शेरु छलांग लगाकर कार के अंदर जा पहुंचा । बाहर से एक सदस्य ने आवाज लगाई , " शेरू ... बाहर निकल । "
राजू के कान में भी यह आवाज पड़ी । उसने सोचा । शायद शेरु गलत सीट पर जाकर बैठ गया है और एडजस्ट करने के बाद उसे व कहीं और बैठाया जाएगा । पर यह क्या ? एक - एक कर सभी लोग कार में बैठ गए और उन्होंने कार के दरवाजे भी बंद कर लिए ।
तो क्या शेरु साथ नहीं जाएगा ? राजू ने सोचा , उसने यह भी सोचा कि यदि ऐसा हुआ तो शेरु कहां जाएगा ? घर को तो ताला लग गया है ? उसकी देखभाल कौन करेगा ? कार चल दी थी । शेरु भी साथ - साथ दौड़ने लगा था ।
अब तो राजू की सोच का कोई ठिकाना न था ... तो क्या शेरु कार का पीछ करेगा ? लेकिन कितनी देर तक ? क्या वह थक नहीं जाएगा ? न जाने कितनी दूर का सफर हो ! आगे चौराहे पर जाकर कार मुड़ गई शेरु भी मुड़ गया ।
राजू की निगाहें पीछा करती रहीं । फिर कार नजरों से ओझल हो गई और शेरु भी ! राजू सोचता रहा ...। अभी दो - चार मिनट ही हुए होंगे कि राजू को शेरु आता दिखाई दिया । उसे घर का ही एक सदस्य उसका गले वाला पट्टा पकड़ कर लगभग घसीट रहा था ...।
शेरू चलते समय लंगड़ा रहा था शायद वह दौड़ते हुए किसी चीज से टकरा गया था जिससे उसके पैर में चोट लग गई थी । राजू को शेरु को इस तरह घसीटे जाना अच्छा न लगा । उसे लगा मानो शेरु कह रहा हो । ' प्लीज मुझे भी साथ ले चलिए न !
" फिर घरवाला शेरु को घर के नीचे बनी एक दुकान के पास ले आया और दुकानदार को बुलाकर बोला , ' इसे पकड़ो ! ' राजू के लिए यह सब नया था । लेकिन शायद दुकानदार के लिए यह
दुकानदार के हाथों थमा शेरु छटपटा रहा था । वह बार-बार पट्टा छुड़ाने की कोशिश कर रहा था लेकिन दुकानदार उसे मजबूती से पकड़े रहा । फिर थोड़ी देर बाद दुकानदार ने शेरु को छोड़ दिया । शेरु पकड़ छूटते ही उसी दिशा की तरफ भागा जिधर कार गई थी ।
सब पुरानी बात थी । तभी तो वह दुकान से निकल कर फौरन बाहर आया और शेरु का पट्टा थाम लिया । फिर शेरु को दुकानदार के हाथों थमा कर घरवाला चला गया । राजू के लिए अब यह कल्पना करना कठिन नहीं था कि जरूर कार कहीं रुकी थी और शेरु को छोड़कर सभी लोग चले जाने थे ।
दुकानदार के हाथों थमा शेरु छटपटा रहा था । वह बार - बार पट्टा छुड़ाने की कोशिश कर रहा लेकिन दुकानदार उसे मजबूती से पकड़े रहा । फिर थोड़ी देर बाद दुकानदार ने शेरु को छोड़ दिया । शेरु पकड़ छूटते ही उसी दिशा की तरफ भागा जिधर कार गई थी।
लेकिन थोड़ी देर बाद वह वापस आ गया । शेरु तो शेरु था । वह क्या जाने कि आगे जाकर कार किधर कहां मुड़ गई थी ? राजू ने जब सारी बात दुकान पर बैठे पापा को बताई तो वह बोले , " बेटे शेरु पालतू कुत्ता है । सामने के घरवाले हर पन्द्रह दिन बाद बरेली जाते हैं ।
शेरु को यहीं छोड़ जाते हैं । कल तक सभी लोग वापस भी आ जाएंगे । तब तक शेरु इधर - उधर घूमता फिरता रहेगा । वैसे यह ज्यादातर घर के आसपास ही रहता है ।राजू को सारी बात पता चलते ही अजीब - सा लगा । यह ठीक था कि शेरु से उसका कोई लेना - देना नहीं था ?
फिर भी उसे यह बात बुरी लगी कि शेरु जानवर है तो क्या हुआ ? उसे इस तरह अकेले भूखा - प्यासा छोड़ देना कोई अच्छी बात तो नहीं । पालतू जानवर घर का ही एक सदस्य होता है । क्या शेरु के प्रति घरवालों का कोई कर्त्तव्य था कि नहीं ? उसने पापा से कहा , " इस तरह शेरु को अकेले छोड़ना गलत नहीं है ? '
" पर क्या किया जा सकता है ? अपने शहर में अभी ऐसा कोई स्थान नहीं है जहां पालतू जानवरों को कुछ समय के लिए छोड़ा जा सके । ' ' तब तक क्या शेरु को किसी परिचित के यहां छोड़ देना ठीक नहीं रहता ? " राजू ने पूछा । " बेटे ! तुम्हारी बात सही है शेरु के मालिकों को उसे किसी सुरक्षित स्थान पर छोड़ कर जाना चाहिए था ... कहकर पापा चुप हो गए ।
राजू भी चुप हो गया । शेरु घर के आसपास अभी चक्कर लगा रहा था । वह उदास - सा था । रात के समय वह जोर-जोर से रोने जैसी आवाज निकालता है शायद रो भी रहा हो । यह देखकर राजू भी उदास हो गया । वह देर तक सोचता रहा था कि इसी सिलसिले में लौटने पर सामने वाले अंकल से बात जरूर करेगा ।
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Nice story
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