लोग नींद में क्यों चलते हैं ? नींद में चलने के कारण, लक्षण, उपचार व बचाव। Sleep Walking Causes, Symptoms, Treatments and Prevention in Hindi
लोग नींद में क्यों चलते हैं ? Sleep Walking Causes
लोग नींद में क्यों चलते हैं ? महक ने पूछा , " मैम मेरा भाई आमतौर पर नींद में चलता है । यहां तक कि उस दिन वह छत पर जाने के लिए सीढ़ियां भी चढ़ गया । भगवान का शुक्र है कि मेरी मां जाग रही थीं । वह उसे नीचे ले आईं । मैम वह नींद में क्यों चलता है ?
" मैम ने उत्तर दिया , " दिमाग में एक स्लीप सैंटर ' होता है जो शरीर के चलने तथा सोने को नियंत्रित करता है । रक्त ' स्लीप सैंटर ' को नियंत्रित करता है । हमारे शरीर की क्रिया सारा दिन रक्त एवं कुछ अन्य पदार्थ छोड़ती रहती है । उनमें से कैल्शियम एक है । कैल्शियम रक्त में से होता हुआ स्लीप सैंटर को उत्तेजित करता है ।
" जब स्लीप सैंटर सक्रिय होता है तो यह दो काम करता है - पहला यह कि यह दिमाग के एक भाग को ब्लॉक कर देता है ताकि हममें कुछ करने की इच्छा न रहे । दूसरा काम यह कि यह दिमाग के आधार में कुछ स्नायुओं को अवरुद्ध कर देता है ताकि हमारे कुछ भीतरी अंग तथा हमारे बाह्य अंग सो जाएं । इसे ' बॉडी स्लीप ' अर्थात शरीर का सोना कहते हैं ।
सामान्यतः ये दोनों क्रियाएं आपस में सम्बद्ध होते हैं लेकिन कई बार ये अलग भी हो सकती हैं । दिमाग सोया हो सकता है , जबकि शरीर जाग रहा होता है । " महक , तुम्हारा भाई नींद में उस समय चलता है जब उसका शरीर जाग रहा होता है । " दिमाग शरीर को संदेश कैसे भेजता है ? राहुल ने प्रश्न किया , " टीचर , हमारा दिमाग हमारे शरीर को संदेश कैसे भेजता है बताएं ?
अपने शरीर के काम करने के तरीके के बारे में जानना बहुत दिलचस्प है । " मैम ने उत्तर दिया , " हमारा दिमाग किस तरह काम करता है यह जानना सचमुच दिलचस्प है कि एक सैकंड से भी कम समय में यह संकेत प्राप्त करता है । उन्हें पढ़ता है तथा प्रतिक्रिया के लिए संकेत वापस भेज देता है । दिमाग के अलग - अलग भाग अलग - अलग कार्य करते हैं ।
" मज्जा ( मेडुला ) का क्या काम है ? मज्जा भी मेरू रजू के ऊपरी सिरे पर होती है । यह स्नायुओं की नियंत्रित करती हैं जो शरीर की कुछ मांसपेशियों तथा ग्रंथियों को नियंत्रित करती हैं । मज्जा हमारे दिल की धड़कन को कायम रखती है । हमारे फेफड़े हवा भीतर खींचते हैं तथा आमाशय भोजन को पचाता है । शरीर की क्रियाओं तथा संतुलन को नियंत्रित करता है ।
सोचना , सीखना , याद रखना , निर्णय लेना तथा जागरूकता यह सब यहां से होता है । इससे भी बढ़ कर देखने , सुनने , सूंघने , स्वाद चखने तथा छूने की अनुभूतियां भी यहीं केन्द्रित होती हैं । संदेश , जो स्नायु तंत्र के माध्यम से दिमाग तक आते - जाते हैं , कमजोर विद्युत संकेत होते हैं ।
योज तंत्रिकाएं स्नायु कोशिकाओं से बनी होती हैं । एक स्नायु कोशिका में एक ' सैंट्रल सैल बॉडी ' होती है , जिसमें रेशों जैसे भाग होते हैं जो इससे बाहर निकले होते हैं । संदेश इन्हीं रेशों के माध्यम से एक कोशिका से दूसरी कोशिका तक पहुंचते हैं । कितने आश्चर्य की बात है कि किस तरह हमारे शरीर में ये अरबों स्नायु कोशिकाएं एक विशाल नैटवर्क बनाती हैं जो रीढ़ की ओर जाता है ।
शरीर के विभिन्न भागों से तंत्रिकाएं एक मोटे गुच्छे के रूप में आती हैं । तंत्रिकाओं की एक मोटी केबल रीढ़ के खाली भाग से होती हुई दिमाग तक जाती है । केबल में तंत्रिकाओं का एक सैट ज्ञानेन्द्रियों से संकेतों को दिमाग तक पहुंचाता है तथा दूसरा सैट दिमाग से संकेतों को मांसपेशियों तथा ग्रंथियों तक पहुंचाता है । दिमाग संकेतों को अलग - अलग करके सही कनैक्शन बनाता है ।
नींद में चलने का कारण (Reason)
- नींद में चलने के अलग-अलग कारण हो सकते हैं कुछ कारण बाहरी तो कुछ कारण अंदरूनी भी हो सकता हैं।
- व्यक्ति में बुखार का बार-बर आना।
- बार-बार अपनी टांगों को हिलाते रहने की आदत।
- व्यक्ति में स्ट्रोक का होना।
- व्यक्ति में थायराइड की समस्या।
- व्यक्ति के सिर में चोट आदि का लगना।
- व्यक्ति में नार्कोलेप्सी की समस्या।
नींद में चलने के लक्षण(Symptoms)
- नींद में चलने की समस्या आमतौर पर बच्चों के अंदर अधिक पाई जाती है। लेकिन उनके बड़े होने के साथ-साथ यह समस्या अपने आप खत्म भी हो जाती है। अगर यह समस्या बड़े होने के साथ-साथ भी आगे बनी रहे तब यह बहुत जटिल समस्या का रूप ले लेती है।
- नींद में चलने की समस्या कई व्यक्ति में रात के साथ-साथ दिन में भी दिखाई देती है यह समस्या प्रत्येक लोगों में अलग अलग हो सकती है।
- इसका प्रमुख लक्षण जैसे बच्चों का बिस्तर से अचानक उठ जाना और जोर जोर से रोने लगना जल्दी चुप ना होना, डरना, इधर-उधर भागना, इत्यादि।
अक्सर ऐसा इसलिए होता है जब बच्चा रो रहा होता है और जल्दी चुप नहीं होता तो वह उस समय भी नींद में ही होता है। बार-बर उसे चुप कराने की कोशिश करने और थपकी देने पर वह जाग जाता है फिर वह बच्चा चुप हो जाता है।
अगर बच्चे में बार-बार यह समस्या उत्पन्न हो रही है तो उसके लक्षणों पर नजर रखनी चाहिए और डॉक्टर को इस बारे में सूचित करना चाहिए।
नींद में चलने का इलाज (Treatments)
नींद में चलने का कोई पक्का इलाज आज तक डॉक्टरों के पास नहीं है। इस पर अभी भी रिसर्च किए जा रहे हैं संभावित है कि आगे चलकर इसका इलाज खोज लिया जाए।
- व्यक्ति को अगर बार-बार नींद में चलने की आदत हो और किसी दुर्घटना की संभावना हो तो उसे डॉक्टर की सलाह से कुछ दवाइयों दी जा सकती है। दरअसल यह दवाइयां नींद की होती हैं जिससे मरीज को अच्छे नींद आ जाए और वह सो जाए।
- व्यक्ति को बार-बार नींद में चलने की आदत हो तो व्यक्ति के सोने की जगह को साफ और सुथरा रखें बिस्तर पर किसी प्रकार का नुकीला सामान नहीं होना चाहिए खिड़कियां और अलमारी बंद ही रखें ताकि नींद में कोई दुर्घटना ना घट सके।
- अगर रोगी बच्चा है तो रात के समय उसके साथ किसी बड़े व्यक्ति को सुलाना चाहिए जिसे संभावित होने वाले खतरे से बचा जा सके।
नींद में चलने से कैसे बचाव करें। (Prevention)
नींद में चलने का बचाओ निम्नलिखित उपायों द्वारा किया जा सकता है।
- रात में जल्दी सोने और सुबह जल्दी उठने की आदत डाल कर इससे बचा जा सकता है।
- शरीर में अगर अनिद्रा की शिकायत है। डॉक्टर से सही उपचार करा कर बचाव किया जा सकता है।
- चाय और कॉफी का सेवन कम करें। यह नींद में रूकावट डालती है ।अतः इसका सेवन कम करके भी बचाव किया जा सकता है।
- सुबह-सुबह की सैर और व्यायाम शरीर के तनाव को दूर रखती है। जिससे रात को अच्छी नींद आती है।
- रात के समय बच्चों को पेशाब करा कर सुलाना चाहिए। जिससे बच्चा रात के समय बार-बार ना उठे और एक अच्छी नींद ले सके।
- अगर समस्या बहुत ज्यादा गंभीर है तो किसी अच्छे Psychiatrist के पास दिखाना चाहिए।
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