मल्टीमीडिया तथा इलेक्ट्रॉनिक मेल क्या है? | इनकी जीवन में क्या है उपयोगिता
मल्टीमीडिया क्या है ?
कम्प्यूटर आज हमारे जीवन का अभिन्न अंग बन चुके हैं । जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में इनके प्रवेश ने इसे हमारे लिए अनिवार्य बना दिया है और मीडिया क्षेत्र भी इसका कोई अपवाद नहीं है । मल्टीमीडिया विजुअल तथा ऑडियो संचार इन दोनों का एक बहुत अच्छा मिश्रण है ।
यह व्याख्या तो मानो एक विशाल हिम शैल का एक कणमात्र है , सच तो यह है कि यह हमारे डैस्क तक पहुंचने वाले विभिन्न संचार नैटवर्क्स में समन्वय करता है जिसके कारण हैरानीजनक परिणाम सामने आते हैं । लेकिन यह मल्टीमीडिया है क्या ? मल्टीमीडिया सॉफ्टवेयर दो या अधिक मीडिया प्रेजेंटेशन या विश्लेषण को मिश्रित करना है।
यह एक समन्वय का परिणाम होता है - वीडियो , ऑडियो तथा ग्राफिक्स के कार्य का । पहले पर्सनल कम्प्यूटर मोनो मीडिया थे क्योंकि वे फ्लॉपी डिस्क में टैक्स्ट , चित्र , ध्वनि , एनीमेशन आदि होती केवल एक माध्यम को दर्शाते थे । मोनोमीडिया कम्प्यूटर्स जब स्क्रीन पर टैक्स्ट को दिखाते थे तो वे आवाज नहीं उत्पन्न कर सकते थे ।
मल्टीमीडिया के लिए आधार धीरे - धीरे नई तकनीकों के विकास से तैयार हुआ जिनसे पर्सनल कम्प्यूटर्स को अधिक शक्ति तथा विस्तृत दायरा मिला । अब एक मौलिक प्रश्न उत्पन्न होता है कि एक मल्टीमीडिया कम्प्यूटर किस तरह के विशेष कार्य करता है । एक मल्टीमीडिया कम्प्यूटर वाद्य यंत्रों की आवाज को पुन : उत्पन्न कर सकता है तथा यह रिकार्डिड आवाजों को भी प्ले कर सकता है ।
यह मॉनिटर पर तस्वीरें तथा फिल्में दिखा सकता है । यह कम्प्यूटर डिस्क में संग्रहीत सूचना को भी पढ़ सकता है । रिकार्डिड आवाजें , फिल्में , चित्र तथा टैक्स्ट तो वर्षों पहले भी थे परंतु मल्टीमीडिया क्या करता है कि इन सभी माध्यमों का एक मिश्रित प्रभाव पैदा करता है । यह एनिमेटिड चित्र दिखा सकता है तथा ग्राफिक डिजाइन तैयार कर सकता है ।
कम्प्यूटर आधारित शिक्षा मल्टीमीडिया का एक अन्य उपहार है । शिक्षा और अधिक आसान तथा तेज हो जाती है जब इसके साथ ऑडियो - विजुअल सहयोग शामिल हो जाता है और इसी कारण से यह बच्चों के साथ - साथ यह वयस्कों के लिए भी शिक्षा का प्रभावी माध्यम बन गया है । स्क्रीन पर दिखाए जा रहे टैक्सट को ध्वनि निर्देशों तथा वीडियो एड्स की सहायता से आसानी से समझा जा सकता है जिससे विद्यार्थियों को समझने तथा याद रखने की क्षमता में वृद्धि होती है ।
सभी मल्टीमीडिया प्रोग्राम्स में छह सांझे तत्व शामिल होते हैं - टैक्स्ट्स , चित्र , फिल्में एनिमेशन , ध्वनि तथा अधिक नियंत्रण । यूजर के अंतर्व्यवहार की प्रवृति के आधार पर मल्टीमीडिया को दो किस्मों में बांटा गया है - गैर अंतर्व्यावहारिक तथा अंतर्व्यावहारिक ।
गैर अंतर्व्यावहारिक प्रोग्राम्स में हम केवल हजारों तक पहुंचाई जा रही सूचना ही ग्रहण करते हैं जो पहले से ही तैयार की गई होती हैं और जिन्हें कम्प्यूटर यूजर की दखलंदाजी से प्रोसेस करता है। चित्र ध्वनि तथा एनिमेशन आदि को कंप्यूटर प्रोजेक्शन प्रणाली के माध्यम से डेस्कटॉप से सीधे एक बड़ी स्क्रीन पर प्रोजेक्ट किया जाता है या फिर उस कंप्यूटर स्क्रीन पर सीधे देखा जा सकता है। दूसरे और
अंतव्यवहारिक मल्टीमीडिया व्यक्तिगत इस्तेमाल के लिए अर्थात यूजर कंप्यूटर के साथ सीधे संचार में होता है और इनपुट डाटा का तुरंत प्रक्रिया प्राप्त करता है। मल्टीमीडिया का इस तरह का इस्तेमाल आजकल अधिक सामान्य है। मल्टीमीडिया में गुणवत्ता युक्त तस्वीरें टैक्स्टस, एनिमेशन, ध्वनि, संगीत, तथा वीडियो की स्टोरेज की आवश्यकता होती है।
फ्लॉपी डिस्क के इस्तेमाल से कोई मदद नहीं मिलती क्योंकि वह वितरण करने में आसान होती है। इसी कारण से मल्टीमीडिया सूचना सी .डी.- रोम ( कॉम्पैक्ट डिस्कस - रीड ओनली मैमरी ) में संग्रह की जाती है । एक सी.डी. -रोम में 600 मैगाबाईट तक डाटा रखा जा सा उदाहरण के लिए सम्पूर्ण ' एन्साईक्लोपीडिया ब्रिटैनिका सभी वाल्यूम्स सहित केवल एक सी.डी. रोम में , संग्रह किया जा सकता है जिसे आप अपनी जेब में रख सकते हैं । लेकिन अब इसकी जगह कंप्यूटर की हार्ड ड्राइव ने ले लिया है जिसकी संग्रह क्षमता एक सीडी रोम से कई गुना अधिक है।
आज के समय में कंप्यूटर में स्टोरेज क्षमता का स्तर बहुत अधिक बढ़ गया है कंप्यूटर की स्टोर करने की क्षमता 1 TB से भी कहीं अधिक बढ़ाई जा सकती है।
इलेक्ट्रॉनिक मेल क्या है ?
इलैक्ट्रॉनिक मेल डाकिए को शामिल किए बिना पत्रों को तुरंत एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाने का आधुनिक तरीका है । डाक की इस प्रणाली में संदेशों को कम्प्यूटर की सहायता से भेजा जाता है । इलैक्ट्रॉनिक मेल प्रणाली में एक पत्र या किसी भी दस्तावेज को एक कम्प्यूटर पर टाइप तथा सम्पादित किया जाता है ।
फिर इसे एक कम्प्यूटर नेटवर्क के माध्यम से विद्युत संकेतों के रूप में एड्रैसी ( प्राप्त कर्ता ) तक पहुंचाया जाता है । प्राप्तकर्ता विश्व में कहीं भी हो सकता है लेकिन उसके पास भी एक इलैक्ट्रॉनिक मेल प्रणाली का होना आवश्यक है । भेजे गए पत्रों या दस्तावेजों की विषय - सामग्री प्राप्तकर्ता के कम्प्यूटर के स्क्रीन पर दिखाई देती है । यदि वह चाहे तो संदेश की प्रिंटिंग ( छपाई ) भी प्राप्त कर सकता है ।
यदि प्राप्तकर्ता मौजूद न हो तो प्रसारित विषय सामग्री अपने आप ही कम्प्यूटर की मैमोरी में स्टोर हो जाती है । जब प्राप्तकर्ता लौटता है तो कम्प्यूटर उसे एक संकेत देता है कि कोई डाक उसकी प्रतीक्षा कर रही है । इलैक्ट्रॉनिक मेल प्रणाली की सहायता से टाइप किए हुए तथा हाथ से लिखे , दोनों तरह के मैटर प्रसारित किए जा सकते हैं ।
इलैक्ट्रॉनिक मेल बहुत तीव्र है तथा समय और कागज की बचत करती है। यह अधिकतर लोगों की पहुंच में है क्योंकि यह मल्टीमीडिया मोबाइल फोन में देखने को आसानी से मिल जाती है । इसका इस्तेमाल करना भी बहुत ही आसान है । पहले इसके लिए एक उपग्रह ( सैटेलाइट ) , टैलीफोन तथा टेलीविजन या मॉनिटर , आवाज और कम्प्यूटर डाटा टैलीकम्युनिकेशंस के साथ केबल लिंक्स की आवश्यकता पड़ती थी ।
बदलते समय के साथ साथ है टेक्नोलॉजी का विकास हुआ और अब इलेक्ट्रॉनिक मेल आपको हर स्मार्टफोन में आसानी से उपलब्ध हो जाती है। एक समय इलैक्ट्रॉनिक मेल प्रणाली आम घरेलू लोगों की पहुंच में नहीं थी । यह प्रणाली बहुत कम लोगों के पास उपलब्ध थी और महंगी होने के कारण आम लोगों से दूर थी।
इस प्रणाली का इस्तेमाल पहले विकसित देशों में बड़े पैमाने पर किया जा रहा था । लेकिन आज यह प्रणाली आम आदमी के पहुंच में है । कोई भी इसे आसानी से इस्तेमाल कर सकता है। इंटरनैट सेवाओं में ई - मेल का इस्तेमाल व्यापक तौर पर हो रहा है । यह अन्य प्रणालियों के साथ भी जुड़ी होती है जिसमें ई - मेल्स का हस्तांतरण प्रभावी हो जाता है ।
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