इलैक्ट्रोमैग्नेटिज्म के प्रभावों का अध्ययन पहले ओसटेड द्वारा किया गया, बाद में माईकल फैराडे ने इस पर गहराई से कार्य किया । इलैक्ट्रोमैग्नेटिज्म के बारे में सबसे सामान्य व्याख्या यह है कि किसी तार में प्रवाहित हो रहा करंट एक चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न कर देता है । मैग्नेटिक फील्ड की आकर्षित करने वाली तथा विकर्षक शक्तियों के माध्यम से इसे एक मोटर का चलाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता लेकिन फैराडे इस प्रश्न पर एक कदम और आगे बढ़ गए कि यदि विद्युत प्रवाह चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न कर सकता है तो क्या चुम्बक भी करंट उत्पन्न कर सकता है ?
आधुनिक खगोल रिसर्च में चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं को लोहे के चूरे से उत्पन्न किया जाता है जो अंततः यह समझने में सहायता करता है कि रोशनी तथा रेडियों तरंगें किस तरह अंतरिक्ष में यात्रा करती हैं ।
"एक इलैक्ट्रोमैग्नेट , जो चुम्बकीय नहीं है को ऐसा इसके गिर्द लपेटी तार की क्वायल में से विद्युत तरंगें गुजार कर बनाया जा सकता है ।"
फ्यूल सेल क्या है ?
वह दिन दूर नहीं जब घरों को रोशन करने के लिए बिजली बाहर से नहीं आएगी बल्कि उसे घर के ही किसी कोने में बड़े ही सुरक्षित और किफायती ढंग से बनाया जा सकेगा और यह संभव होगा फ्यूल सैल के माध्यम से ।
फ्यूल सैल एक ऐसी प्रणाली है जिसमें हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के मिश्रण से विद्युत पैदा की जाती है । साथ ही इस प्रक्रिया में पानी भी बनता है । सामान्य बैटरी की तरह इसका चार्ज खत्म नहीं होता बल्कि लम्बे समय तक लगातार चलता रहता है ।
सामान्यतः यह प्राकृतिक गैस ( हाईड्रोजन ) का स्रोत और वायु ( ऑक्सीजन का स्रोत ) से चलता है एक फ्यूल सैल 0.7 से 1.0 वोल्ट क्षमता की बिजली ही दे पाता है परन्तु उनको आपस में जोड़ कर अधिक बिजली पाई जा सकती है।
जैनरेटर द्वारा बिना प्रदूषण फैलाए बिजली पैदा नहीं की जा सकती परन्तु फ्यूल सैल प्रदूषण रहित है और सह - उत्पाद के रूप में शुद्ध पानी बनाता है । फ्यूल सैल कोई नया आविष्कार नहीं है । वकील से वैज्ञानिक बने अंग्रेज विलियम रॉबर्ट ग्रोव आज से लगभग 150 साल पहले इसका आविष्कार किया था परन्तु उस समय लोगों ने इसमें ज्यादा रुचि नहीं दिखाई और काफी समय तक इसकी उपेक्षा होती रही परन्तु द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद इस पर काफी शोध और विकास हुआ ।
अब तो बहुत से देशों में मोबाइल फोन , कारें और बसें फ्यूल सैल पर चल रहे हैं । न्यूयार्क की एक संस्था ने बिजली के घरेलू उपयोग के लिए फ्यूल सैल केंद्र तैयार किया है । अभी फ्यूल सैल की कीमत कुछ अधिक है परन्तु भारत और अन्य देशों में इस विषय पर काफी शोध हुआ है । आने वाले वर्षों में यह तकनीक एक क्रांति लाएगी।
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