प्राकृतिक अजूबे (पेटागोनिया की प्राकृतिक सुंदरता और पेन अमेरिकन हाईवे)
पेटागोनिया की प्राकृतिक सुंदरता
पैटागोनिा बर्फ का एक अत्यंत विशाल पिंड , जो टूट कर अलग हुआ है , समुद्र में कुछ इस तरह इसे तैरता दिखाई देता है जैसे किसी खूंखार जानवर का बड़ा - सा पिंजर । यह अत्यंत विषम केप हार्न के नजदीक है जहां दक्षिणी महासागर से उठने वाले बड़े - बड़े तूफान प्रशांत तथा अटलांटिक महासागरों के तूफानों से टकराते हैं ।
अर्जेंटीना तथा चिली के इस दुर्गम सिरे को इसका नाम पुर्तगाली नाविक फर्डिनांड मागेलान से मिला , जिन्होंने इसे पैटागोनिया पैटागोन्स या बड़े पैरों के उन निशानों के कारण यह नाम दिया जो उन्हें वहां हर स्थान पर मिले । ये निशान वहां रहने वाले आदमकालीन लोगों के जूतों के थे , जो उन्होंने लासा जैसे एक जीव गुआनाकोस की खाल से बनाए थे । न तो मागेलान तथा न ही ब्रिटिश प्रकृतिवादी चार्ल्स डार्विन ( 1834 में ) को कॉर्डिलेरा की चोटियों ने आकर्षित किया ।
दूसरी ओर जर्मन विमान चालक - खोजकर्ता पल्शो को यह रंग - बिरंगा परिदृश्य बहुत ही आकर्षक तथा रोमांचकारी लगा । उनके वर्णनों ने लोगों में इसके प्रति रुचि जगाई और अंततः धीरे - धीरे पृथ्वी के इस दूरस्थ कोने के लिए भी पर्यटकों की रूचि बढ़ने लगी जहां संकरे समुद्री मार्ग ( पियोर्ड्स ) , ग्लेशियर्स , आदिकलीन जंगल ,निर्जन- रेगिस्तान , सीलों के द्वीप तथा विश्व के सबसे बड़े भेड़ों के चरागाह हैं । " कोलोराडो वैल्स से लेकर केप हॉर्न तक पैटागोनिया 1242 मील के क्षेत्र में फैला हुआ है । इसका पूर्वी भाग चिलियन है , जबकि कम पर्वतीय तथा अधिक फैला हुआ पश्चिमी भाग अर्जेंटीना में है ।
उत्तर से दक्षिण की ओर बढ़ते बर्फ से ढंके पर्वत दोनों देशों के बीच सीमा बनाते हैं । अर्जेंटीना में पैटागोनिया के अधिकतर भाग घासीले मैदान हैं जहां तेज बर्फानी हवाएं चलती हैं परन्तु इस कठिन जलवायु के बावजूद भूमि उपजाऊ है तथा लगभग 2 करोड़ भेड़ों के लिए | मोरेनो ग्लेशियर : की दीवार चरागाह उपलब्ध कराती है । चिली के अधीन आने वाले पश्चिमी तट पर वर्षा होती है तथा सब कुछ हरियाली से ढंका है ।
इन पर्वतों का उत्तरी पश्चिमी भाग यूरोपियन एलप्स जैसा लगता है जिसकी वजह से इसे दक्षिण - अमेरिकी स्विट्जरलैंड का नाम दिया गया है । और अधिक दक्षिण में जाएं तो पर्वत जो सीमा निर्धारित करते हैं दोनों ध्रुवों के अलावा विश्व की सबसे बड़ी बर्फ की चादर से ढंके हैं । निरन्तर होने वाले हिमपात ने यहां आईसशीट से भी दोगुनी मोटी बर्फ की चादर बना दी है । यही कारण है कि यहां विशाल ग्लेशियर बने हैं जो नीचे की ओर अपना रास्ता बनाते जाते हैं । चिली वाले छोर की तरफ ये समुद्र के लिए नए हिमशैल बनाते रहते हैं , जबकि अर्जेंटीना की ओर ग्लेशियरों की नीली बर्फ बड़े जोर से नीचे गिरती है , जिससे बड़ी भयंकर बाढ़ें आती हैं ।
रोमांच की राहः पैन - अमेरिकन हाईवे
रोमांच की राहः पैन - अमेरिकन हाईवे उत्तरी अमेरिका स्थित अलास्का से दक्षिणी अमेरिका स्थित अर्जेंटीना की पर्वतमाला के दक्षिणी क्षेत्र तक जाता है । इस हाईवे को . अनेक दार्शनिकों ने रोमांच के लिए ' उपयुक्त ' राह कहा है । इस हाईवे पर सफर करने वालों को सुखद एवं दुखद दोनों ही तरह की परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है ।
मगर सन् 1923 में सानटियागो , चिली में हुई एक बैठक में हाईवे की परियोजना को मंजूरी दे दी गई जिसे स्पेनिश में ' कैरेटेरा इंटर अमेरिकाना ' नाम दिया गया । अमेरिका के पश्चिमी भाग को इस महापरियोजना के लिए चुना गया परन्तु मध्य एवं दक्षिणी अमेरिका की प्राकृतिक कठिनाइयों के कारण यह निर्बाध मार्ग नहीं बन पाया ।
इसका कुछ भाग दलदली क्षेत्र से गुजरता था तो कुछ कटिबंधीय जंगलों में पड़ता था । सुझाए गए हाईवे का पूर्वी पानामा एवं कोलम्बिया के बीच पड़ने वाला भाग अभी तक पूरा नहीं किया जा सका है और राजनीतिक एवं प्राकृतिक समस्याओं के कारण इसके पूरा होने की उम्मीद भी नहीं है ।
1942 में पैन अमेरिकन हाईवे का एक प्रमुख भाग अलास्का हाईवे कुछ महीनों में ही तैयार कर दिया गया था क्योंकि संयुक्त राज्य अमेरिका के सबसे उत्तरी भाग को जापानी विद्रोह से सुरक्षा की आवश्यकता थी । तभी से सेना एवं आम नागरिक भी इसका इस्तेमाल करते हैं ।
यह हाईवे सर्दियों में भी खुला रहता है । एक स्विस लेखक पीटर रच के अनुसार उसने 15,500 मील का सफर मोटरबाइक पर पांच माह में तय किया था ।
इस सफर के अनुभवों में उसने अलास्का स्थित माटानुस्का ग्लेशियर , कनाडा की फ्रेजर वैली की मनभावक दृश्यावली एवं मैक्सिको के ग्वाडालाराजा तथा पट्जकुआरो खूबसूरत शहर और हांडू स्थित कोपन में मयान के अवशेषों तथा चिली में पूर्व कन हाइव दक्षिण अमेरिका के उशाइशा नामक स्थान से यात्रा शुरू की और 18 देशों को पार करता हुआ 44,620 किलोमीटर की यात्रा तय कर तीन वर्ष बाद अपनी यात्रा सम्पन्न की । इस दौरान के खट्टे - मीठे अनुभवों का विवरण उसने पुस्तकों और लेखों में दिया है ।
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