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हकीम अब्बू ने कैसे मनोविज्ञान के द्वारा शहजादे का इलाज किया | तुर्की के काजी ने कैसे अपने एक फैसले द्वारा चोर को पकड़ा ? Interesting Story

मनोविज्ञान से इलाज



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यह बात कोई साल - दो साल की नहीं , पूरे एक हजार साल पुरानी है । ईरान के शहंशाह को काफी मन्नतों के बाद एक बेटा हासिल हुआ । स्वाभाविक था कि शहजादे को रूई के फाहों में पाला गया लेकिन जितने उसके नाज - नखरे उठाए गए , बच्चा उतना ही कमजोर , दुबला - पतला और मिनमिना होता गया । 



खाने - पीने में उसकी जरा भी दिलचस्पी न थी । होते - होते वह 7-8 वर्ष का हो गया , पर रहा बेहद दुबला और कमजोर । एक दिन पता नहीं क्या हुआ कि वह चौपायों की तरह सारे महल में घूमने और बकरी की तरह मैं - मैं करने लगा । पूछने पर कहता , " मैं तो बकरी हूं । आप लोग मुझे काटो और मेरा मांस खा जाओ। 



" उसकी यह हालत देख कर शहंशाह परेशान और मल्लिका हैरान , शहजादा था कि किसी की बात सुनने के लिए तैयार ही नहीं था । प्यार , पुचकार , मनुहार , गुहार किसी से भी बच्चे के कान पर जूं तक नहीं रेंगी । लाचार होकर शहंशाह ने राज्य के नामी हकीम अबू इब्न सिना (980-1037 ) के पास आदमी भेजा कि आकर शहजादे का इलाज करें । 



अबू आए और सारा मामला सुना और समझा । फिर उन्होंने शहंशाह से आग्रह किया कि शहजादे के सामने मुझे ' हकीम ' नहीं बल्कि ' कसाई ' कहिएगा । शहंशाह राजी हो गए । उन्हें महल में ले जाया गया । थोड़ी देर बाद हाथ - पैरों पर चलता और ' मैं - मैं ' करता हुआ शहजादा भी आ पहुंचा । 



"देखो , हमने यह कसाई बुलवा लिया । अब यह तुम्हें काटेगा , जैसा कि तुम चाहते थे । " शहंशाह ने कहा । शहजादे ने हकीम के पास पहुंच कर अपना सिर अदब से उनके पैरों से लगा दिया , मानो उन्हें प्यार कर रहा हो । अबू ने भी बड़े प्यार से उसके सिर पर हाथ फेरा , उसे पुचकारा । 



फिर उसके शरीर को उंगलियों से टटोला , जैसे कसाई पशु को टटोलते हैं । " यह क्या ! यह बकरी है या हड्डियों का ढांचा ? इसमें से क्या गोश्त निकलेगा कि कोई खाए ! " अबू ने शहंशाह से कहा , " हजूर , इसे पहले खिला - पिला कर कुछ मोटा तो कीजिए । तभी इसके काटने से किसी का पेट भरेगा । " बात शहजादे की समझ में आ गई । 



उसने पहले बर्तन में मुंह डाल कर दूध पिया फिर , सानी की तरह कुछ दलिया खाया । दो चार दिन में वह ठीक से पूरा खाना खाने लगा ।  दो - तीन महीनों में शहजादे की सेहत में बड़ा फर्क नजर आया । ठीक से खाना खाने के कारण उसकी शारीरिक कमजोरी दूर हो गई । साथ ही उसका भ्रम भी खुद - ब - खुद मिट गया । 



उसने अपने को बकरी समझना तथा मैं - मैं करना भी बंद कर दिया । महल में सबने चैन की सांस ली । महान हकीम और वैज्ञानिक अबू इब्न सिना ( अबेसिना ) दुनिया के मानसिक चिकित्सकों में से एक माने जाते हैं । इस मामले में वह समझ गए थे कि यह एक प्रकार का मानसिक विकार है । 


अतः उन्होंने इसका इलाज भी उसी होशियारी से किया और कामयाब भी हुए । 



काजी का फैसला



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तुर्की में एक काजी था । उसकी  अक्लमंदी की चारों ओर बड़ी शोहरत थी । एक बार एक दुकानदार उसकी अदालत में अपनी शिकायत लेकर हाजिर हुआ । उसने अर्ज किया कि , " हुजूर , मेरी दुकान में घुस कर किसी ने चोरी की है । असल में हुजूर , ऐसी वारदात दूसरी बार हुई है । 



पिछले महीने भी मेरी दुकान में चोरी हुई थी । मेरा ख्याल है , दोनों चोरियां एक ही आदमी ने की होंगी । " काजी थोड़ी देर सोचता रहा । फिर उसने कहा , " तुम्हारी किवाड़ ने अपना दुकान के फर्ज नहीं निभाया । दुकान की रक्षा करना उसका काम था । हमें उसे सजा देनी पड़ेगी । 



"अदालत में दबी आवाज में काना - फूसी होने लगी । “ काजी जी सठिया गए हैं क्या ! " , " लगता तो कुछ ऐसा ही है । " , ' फैसला करते नहीं बना तो ऊल जलूल बातें बना रहे हैं , " आदि - आदि । काजी के आदमियों ने कब्जे खोल कर दुकान का दरवाजा निकाल लिया और उसे ले जाकर हवालात में बंद कर दिया । 



इसके बाद काजी ने ऐलान किया कि सरे बाजार दरवाजे को कोड़े मारे जाएंगे । ज्यादा से ज्यादा लोग वहां हाजिर रहें । सजा का यह अजीबोगरीब नजारा देखने के लिए सारा शहर उमड़ पड़ा। सभी चकित थे कि विद्वान काजी जी को आखिर हो क्या गया है ! खैर , दरवाजे को बाकायदा बीस कोड़े जमाए गए । 



उसके बाद काजी ने दरवाजे के पास जा कर उसे सख्ती से घूरते हुए सवाल यिा , " सच - सच बता , दुकान में घुस कर चोरी किसने की थी ? " “ फिर काजी ने अपना एक कान दरवाजे से सटा दिया । कुछ देर बाद जब उन्होंने अपना सिर ऊंचा किया तो उसके चेहरे पर तसल्ली का भाव था । 



मानो जो कुछ वह जानना चाहता था वह उन्हें पता लग गया हो । " अब काजी ने बुलंद और साफ आवाज में ऐलान किया , " दरवाजा कहता है कि दोनों चोरियां उस आदमी ने की थीं जिसकी पगड़ी पर मकड़ी का जाला चिपका हुआ है । " 



" फौरन वहां खड़े एक आदमी का हाथ अपनी पगड़ी पर चला गया और काजी के आदमियों ने , जो कि लोगों पर नजर रखे हुए थे , लपक कर उसे पकड़ लिया । जब उसके घर की तलाशी ली गई तो चोरी का माल वहां से बरामद हुआ । "




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हकीम अब्बू ने कैसे मनोविज्ञान के द्वारा शहजादे का इलाज किया | तुर्की के काजी ने कैसे अपने एक फैसले द्वारा चोर को पकड़ा ? Interesting Story Reviewed by Jeetender on February 22, 2022 Rating: 5

1 comment:

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