मैंने पैसे नहीं चुराए कहानी
रोमी के पापा ने अपने मोहल्ले में नई दुकान खोली थी । पहले उनकी दुकान कहीं और थी पर वहां कोई खास नहीं चली । इसलिए उन्होंने अपने मोहल्ले में ही दुकान खोल ली थी । यहां एक तो अपनी दुकान थी , दूसरे घर भी बिल्कुल पास था । रोमी के पापा को दुकान के छोटे - मोटे कामों के लिए किसी नौकर की जरूरत थी ।
एक दिन उन्होंने रामलाल से इस सम्बन्धी में बात की । रामलाल को वह जानते थे जो शहर के बाहर नाले के पास झुग्गियों में रहता था । उसका अपना नौ - दस वर्ष का बेटा बाली था । अगले दिन ही वह बाली को दुकान पर ले आया और रोमी के पापा से बात करके दुकान पर नौकर रखवा दिया ।
बाली सुबह होते ही दुकान पर आ जाता और रात को अपने माता पिता के पास चला जाता । वह न केवल समझदार , बल्कि ईमानदार भी था । यदि कभी रोमी के पापा को किसी काम के लिए इधर - उधर जाना पड़ जाता तो क्या मजाल थी कि मौके का लाभ उठा कर यह कोई चाकलेट या टॉफी उठा कर मुंह में डाल जाता ।
रोमी भी स्कूल से आ कर दुकान में थोड़ा बहुत हाथ बंटाता रहता। पिछले महीने से जब उनके पड़ोस में ही वीडियो गेम की दुकान खुली थी , वह फूला नहीं समा रहा था । स्कूल से आकर वह अपना ज्यादा समय वहीं व्यतीत करता । रोमी की मम्मी उसे ढूंढ कर लाने के लिए बाली को कहती । बाली को पता होता था कि वह वीडियो गेम की दुकान पर ही होगा ।
वह सीधा वहां जाता और उसे घर आने के लिए कह आता । रोमी के पापा की कई दिनों से चिंता बढ़ती जा रही थी । चिंता का कारण यह था कि दुकान की गुल्लक से पैसे गायब होने लगे थे । यह बात उन्होंने गुप्त ही रखी हुई थी । रोमी के पापा का शक बाली पर ही था । एक दिन रोमी के पापा ने गुल्लक में पड़े रुपए गिने ।
फिर अचानक ख्याल आया कि थोक की बड़ी दुकान , जहां से उनकी दुकान के लिए राशन वगैरह आता था , वहां राशन की लिस्ट देने जाना है । उन्होंने बाली को दुकान का पूरा ख्याल रखने के लिए कहा और फिर साइकिल पर लिस्ट देने के लिए रवाना हो गए । इतने में रोमी भी स्कूल से पढ़ कर आ गया ।
उसे पता लगा कि उसके पापा अभी थोक की दुकान पर गए हैं तो मन ही मन वह बल्लियों उछलने लगा । रोमी बाली को कहने लगा , " बाली , तुम ऐसा करो । फटाफट जा कर देख आओ कि वह मोड़ वाली डिस्पैंसरी खुल गई है या नहीं ? "बाली पता करने चला गया । रोमी ने बाली को क्यों भेजा था , यह उसे ही पता था।
अभी खुली नहीं । " बाली ने आकर रोमी को बताया । " ठीक है। " रोमी बोला । फिर उसने दुकान से बाहर निकल देखा , उसके पापा उसे दूर आते हुए दिखाई दिए । मौका पाते ही रोमी पिछले दरवाजे से होता हुआ अपनी साइकिल उठाकर वीडियो गेम की दुकान पर जा पहुंचा ।
रोमी के पापा ने दुकान पर आते ही सबसे पहले गुल्लक में कुछ कागज पत्र डालने के बहाने रुपए निकाले और गिने । दस रुपए कम थे । उनका माथा ठनका । उन्होंने मन ही मन सोचा , " मेरा जो शक था , वह ठीक ही निकला । " ' बाली , यहां आओ । " रोमी के पापा ने कहा । बाली उनके नजदीक आ गया । " अपनी जेबें दिखाओ । " उन्होंने कहा ।
यह सुनते ही बाली चौंक गया । यह क्या हो रहा था ? तलाशी लेने पर उनकी जेब से दस रुपए का नोट निकला । " ये दस रुपए कहां से आए हैं ? " उन्होंने जरा कड़वी आवाज में पूछा । " ये तो मेरी बुआ जी आई थीं , वह देकर गई हैं आज मुझे । " बाली ने अभी इतना कहा ही था कि उसके गाल पर एक जोरदार तमाचा पड़ा
और साथ ही रोमी के पापा के बोल गूंजे , " चोर कहीं के । झूठ बोल रहे हो । मुझे तुझ पर पहले ही शक था लेकिन आज तुम रंगे हाथ पकड़े गए हो । जाओ अपने पिता को बुला कर लाओ । उनसे ही बात करूंगा । " यह कह कर रोमी के पापा ने उसके दस रुपए छीन लिए । " नहीं जी , मैं झूठ नहीं बोलता । मेरी बुआ देकर गई हैं ये दस रुपए । "
बाली सफाई देने की कोशिश कर रहा था लेकिन उसकी एक न सुनी गई और दुकान से बाहर निकाल दिया गया । " बाली रोता हुआ अपनी झुग्गी की तरफ जा रहा था कि सामने से उसे रोमी अपनी साइकिल पर आता हुआ दिखाई दिया । " क्या बात हो गई बाली ? क्यों पर आते ही सबसे पहल रो रहे हो ? " रोमी ने साइकिल रोक कर हैरानी से उसे पूछा ।
बाली बोला , " मालिक ने पीटा है । कहते हैं मैंने गुल्लक से दस रुपए रुपए चुराए हैं । उन्होंने मेरे दस रुपए भी छीन लिए और दुकान से बाहर निकाल दिया । वह रुपए तो मेरी बुआ देकर गई थी आज मुझे । " यह सुनकर रोमी को अपने आप पर बड़ी शर्म आई । उसकी हालत चुल्लू भर पानी में डूब मरने जैसी ही गई ।
उसे कुछ नहीं सूझ रहा था कि क्या करे और क्या न करे ? ' आओ बाली , मेरी साइकिल पर पीछे बैठो । " रोमी बोला । बाली उसकी साइकिल के पीछे बैठ कर दुकान पर आ गया । " इस चोर को क्यों ले आए हो फिर ? " रोमी के पापा ने रोमी को गुस्से से पूछा । रोमी दुकान के अंदर प्रवेश करता हुआ सिर झुकाता हुआ बोला , “ पिता जी , चोर बाली नहीं , मैं हूं । " ' क्या ? चोर तुम हो ?
गुल्लक से दस रुपए तुमने चुराए थे ? " रोमी के पापा ने गुस्से भरे स्वर में पूछा । " हां , पिता जी , चोर मैं ही हूं । मैं आपसे और बाली से क्षमा मांगता हूं कि मेरे कारण ऐसा हुआ है । मैंने एक बार पहले भी वीडियो गेम के लिए दस रुपए चुराए थे । लेकिन अब कभी ऐसा नहीं होगा । मुझे क्षमा कर दें । "
रोमी के पापा का पारा चढ़ गया लेकिन क्षमा के लिए गिड़गिड़ाता देख कर वह अपने गुस्से को अंदर ही अंदर पी गए । रोमी के पापा ने बाली को एकदम अपनी बगल में ले लिया और बोले , " बाली बेटा , मैं शर्मिंदा हूं कि चोरी रोमी ने की और भुगतनी तुझे पड़ी ।
मैंने खामख्वाह तुम पर शक किया । तुम सचमुच ईमानदार लड़के हो और मुझे तुम्हारी बेहद जरूरत है । " - डॉ. दर्शन सिंह आशट
🙏दोस्तों अगर आपको यह कहानी अच्छी लगी हो तो आप कमेंट करना ना भूलें नीचे कमेंट बॉक्स में अपनी कीमती राय जरूर दें। Discovery World Hindi पर बने रहने के लिए हृदय से धन्यवाद ।
यह भी पढ़ें:-
💙💙💙 Discovery World 💙💙💙
No comments:
Write the Comments