चौकड़ी राम का मकान
रिमझिम वन में एक बहुत बड़ा तालाब था । तालाब जैसा सुन्दर था , उसमें रहने वाली मछलियां भी उतनी ही सुन्दर थीं । नीली मछलियां , लाल मछलियां , गुलाबी मछलियां और सुनहरी मछलियां । इस तालाब में एक नटखट मेंढक भी रहता था , जिसका नाम था चौकड़ी राम ।
एक बार चौकड़ी राम ने एक मछुआरे के आने की खबर देकर सब मछलियों की जान भी बचाई थी । जब तक मछुआरा अपने लंबे - चौड़े जाल को तालाब में डालता , तब तक सभी मछलियां सुरक्षित स्थानों में जा छिपी थीं । मेंढ़क चौकड़ी राम के कारण ही मछलियां दूसरे तालाब की मछलियों का हालचाल भी जान लेती थीं । इस सब के बदले सभी मछलियां चौकड़ी राम को बड़े प्यार से अपने साथ रखती थीं ।
चौकड़ी राम के चारों तरफ घेरा बना कर जब वे तैरतीं तो चौकड़ी राम तालियां बजा बजा कर नाचता । चौकड़ी राम की एक बुरी आदत भी थी । वह बेसिर - पैर की गप्पें बहुत हांकता रहता था । एक दिन जब चौकड़ी राम बाहर से लौटा तो उसने मछलियों को बताया , " मैंने रिमझिम वन के साथ वाले गांव में कुछ जमीन खरीदी है , वहां मेरा मकान बन रहा है । इस समय कई मजदूर वहां काम कर रहे हैं । "
" लेकिन पहले तो कभी तुमने इसके बारे में हमें कुछ नहीं बताया। " टीना मछली ने कहा । " मुझे डर था कि इस खबर को सुन कर तुम्हें दुख होगा क्योंकि मैं कुछ ही दिन बाद इस तालाब को छोड़ने का फैसला कर चुका था लेकिन अब मैं मकान के साथ एक तालाब भी बनवा रहा हूं। तालाब बनते ही हम सब एक साथ वहां जाएंगे । चौकड़ी बोला । " हम सब ? "
कई मछलियों ने एक साथ खुशी से चहकते हुए पूछा , " लेकिन हम सब वहां पहुंचेंगी कैसे ? " चौकड़ी राम उछल कर बोला , " एक हैलीकॉप्टर वाला मेरा दोस्त है । वह हैलीकॉप्टर से बंधा एक टब यहां लटकाएगा और तुम सब उसी टब से मेरे तालाब में पहुंचोगी । ' एक बड़ी मछली ने हैरानी से कहा , " चौकड़ी भैया , तुम तो बड़े छुपे रुस्तम निकले ।
यह तो बताओ कि तुमने इतना सारा पैसा कहां से कमा लिया ? मकान वगैरह बनवाने के लिए तो बहुत सारा पैसा चाहिए ? " ' अब तुमसे क्या छिपाना ? " चौकड़ी बोला , " मैं एक जासूस हूं और चोरी - छिपे कई समुद्री जानवरों के लिए काम करता हूं । मैं समुद्र में छिपे उनके दुश्मन देशों की खबरें देकर ढेरों रुपए कमाता हूं । " सभी मछलियां चौकड़ी राम की बातें सुन कर दंग रह गईं ।
लगभग दो सप्ताह के बाद मछलियों ने चौकड़ी राम से पूछा, ' अभी तक तुम्हारे मकान और तालाब का काम पूरा नहीं हुआ ? तुम्हारे दोस्त का हैलीकॉप्टर हमें लेने के लिए कब आ रहा है । चौकड़ी राम ने एकाएक जवाब दिया , “ मकान तो तैयार है । तालाब भी लगभग तैयार है लेकिन मैं उसके ऊपर कूदने वाली सीढ़ी लगवाना चाहता हूं ।
वह सीढ़ी रूस से आएगी । मेरे दोस्त का हैलीकॉप्टर उसी सीढ़ी को लेने गया है । परसों तक हम तुम्हें अपने तालाब में पहुंचा देंगे। " इसी तरह एक सप्ताह बीत गया । मछलियों ने कहा , चौकड़ी भाई , तुम्हारे दोस्त का हैलीकॉप्टर शायद रास्ते में ही खराब हो गया । है मगर हम तो अभी तुम्हारे तालाब में पहुंचना चाहती हैं ।
कुछ देर पहले यहां चार हंस आए थे , हमने उनसे प्रार्थना की थी कि आज हमें तुम्हारे घर तक पहुंचा दें । " तभी वे चारों हंस भी वहां आ पहुंचे । उनके पास एक बड़ा टब था , जिसे चारों हंसों ने पकड़ कर लटका रखा था । " हंस भाइयो । " चौकड़ी बोला , " मैंने अपने मकान और तालाब का उद्घाटन करने के लिए एक नेता को बुला रखा है , वह थोड़ी ही देर में वहां आने वाले हैं ।
पहले मैं उद्घाटन करा लूं । फिर हम सब वहां इकट्ठे चलेंगे । " कह कर चौकड़ी राम चला गया । लगभग दो सप्ताह के बाद जब चौकड़ी तालाब में धीरे से कूदा तो सभी मछलियों ने उसे घेर लिया । इससे पहले कि वह कुछ कहता , एक बूढ़ी मछली ने हंसते हुए कहा , " अब कोई और गप्प न हांकना चौकड़ी भैया । " यह सुनते हैं । चौकड़ी सिर झुका कर बोला ,
" जानता हूं कि हंसो ने तुम्हें खबर दे दो होगी कि न तो मैं जासूस हूं , न मेरा कोई मकान है और ना ही मैंने तुम्हारे लिए कोई तालाब बनवाया है । एक दिन मैंने तुमसे एक झूठ बोला , बस फिर उस झूठ को छिपाने के लिए झूठ पर झूठ बोलता चला गया। तुम चाहो तो मुझे अपने तालाब से बाहर निकाल सकती हो । मैं वास्तव में बहुत शर्मिन्दा हूं । "
मछलियों ने चौकड़ी के चारों तरफ घेरा बना कर नाचते कहा , “ चलो , हमारे बीच उछलते हुए कसम खाओ कि न तो हमारे तालाब से बाहर जाओगे और न ही अब कभी हमें मूर्ख बनाओगे। " चौकड़ी ने खुशी - खुशी मछलियों के इस अनोखे हुक्म का पालन किया । -अशोक कुमार
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