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दीपक का सपना | सचिन तेंदुलकर का क्रिकेट बैट पाने की ख्वाहिश | हौसले बुलंद हो तो जीत पक्की | Motivational Story

दीपक का सपना


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 चौदह साल का दीपक विद्या निकेतन में 8 वीं कक्षा का छात्र था। अपनी उम्र के अन्य बच्चों की तरह उसकी ज़िन्दगी भी पढ़ाई और सांस्कृतिक गतिविधियों के बीच बंटी हुई थी । सप्ताह के अन्त में अपने दोस्तों के साथ फिल्म देखने का वह पूरा सप्ताह इंतज़ार किया करता था । 




दीपक की 16 वर्षीय बहन को लोक नृत्य का शौक था तो दीपक को खेलने का । क्रिकेट के लिए तो उसका झुकाव इतना ज्यादा था कि वह हर सप्ताह की फिल्म तक क्रिकेट के लिए छोड़ दिया करता था । इतवार की सुबह नाश्ते के तुरन्त बाद वह अपने दोस्तों के साथ क्रिकेट खेलने के लिए निकल पड़ता था । 




मैदान में उतरने के बाद दीपक शर्मा भारतीय क्रिकेट कप्तान सौरव गांगुली से कहीं कम नहीं दिखता था । मैच अक्सर बाद दोपहर तक जारी रहते थे और दीपक के माता - पिता को उसे घर बुलाने के लिए छत्तों पर खड़े होकर जोर - जोर से चिल्लाना पड़ता । था । सचिन तेंदुलकर और राहुल द्रविड़ दीपक के हीरो थे । वह उनके बारे में सब कुछ । जानना चाहता था । 




अपने स्टार खिलाड़ियों से मिलना उसका सपना था । क्रिकेट की विस्तृत जानकारी प्राप्त करना उसकी दिली तमन्ना थी । एक सोमवार सुबह उसे स्कूल में पता चला कि वे एक अन्तर्विद्यालय क्रिकेट प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता भाग लेने वाले हैं , जिसके मुख्यातिथि हर्षा भोगले होंगे । 




प्रतियोगिता का अंतिम सवाल हर्षा भोगले पूछेंगे और सही जवाब देने वाले बच्चे को सचिन तेंदुलकर द्वारा हस्ताक्षरित क्रिकेट बैट इनाम में दिया जाएगा । सुनते ही दीपक के दिल की धड़कन तेज हो गई । अपने सपने को साकार करने का दरवाज़ा मानो बिल्कुल उसके सामने था । भारतीय क्रिकेट टीम में राहुल के प्रसिद्ध नाम के हर्षा के सवाल का " दीवार " कह कर सबसे पहले जवाब देने के लिए वह बहुत उत्साहित था । 

 

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लेकिन प्रतियोगिता बहुत मुश्किल थी । क्रिकेट के इतिहास से लेकर खिलाड़ियों के निजी ब्यौरे तक जानने को अभी बहुत कुछ बाकी था । प्रतियोगिता के अन्तिम स्तर तक स्कूल का प्रतिनिधित्व करने से पहले उसे स्कूली स्तर पर होने वाली प्रतियोगिता में भी जीतना था । 




हालांकि प्रतियोगिता अभी एक महीना दूर थी लेकिन खेल और खिलाड़ियों के बारे में पूरी तथा विस्तृत जानकारी एकत्र करने के लिए भी उसके पास केवल एक ही महीना था । मंज़िल दिख रही थी , लेकिन रास्ता दिखाई नहीं दे रहा था । उसी शाम दीपक ने अपनी मां से बात की । 




उसने बताया कि वह प्रतियोगिता में भाग लेकर स्कूल के लिए इनाम जीतना चाहता है । वह न केवल अपने माता - पिता का सिर गर्व से ऊंचा करना चाहता था बल्कि अपने दोस्तों के बीच सचिन के बैट के साथ खेल कर हेंकड़ी भी जमाना चाहता था ।  

 

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ई.एस.पी.एन. अन्तर्विद्यालय खेल प्रश्नोत्तरी को उसने बड़े चाव से देखा , लेकिन ये अपने आप में काफी नहीं था । उसकी मां सुहासिनी ने अपनी एक अध्यापिका मित्र से सूचना एकत्र करने के लिए कहा । गूगल सर्च के बारे में सुन रखा था प्रतियोगिता को लेकर सुहासिनी भी दीपक की तरह काफी उत्साहित थी । 




मां बेटे ने रविवार की दोपहर नजदीकी साइबर कैफे में इंटरनैट पर बिताने की योजना बनाई , जहां से दीपक क्रिकेट के बारे में अधिक से अधिक जानकारी इकट्ठी कर सकता था। और यह सब ऐसे काम की तैयारी के लिए था , जिसके लिए दीपक रविवार की भरी दोपहर में अपने खेलने को भी छोड़ सकता था । 



अगले तीनों रविवार दीपक ने दो - दो घंटे कैफे में पीसी के साथ ही बिताए । दीपक ने इसे अपने इन्फॉर्मेशन बैंक का नाम दिया था । महीने के अन्त तक उसे सचिन , राहुल , सौरव और युवराज के साथ साथ क्रिकेट के बारे में भी लगभग सबकुछ पता चल चुका था ।



फिर सुहासिनी ने दीपक की पॉकेट मनी बढ़ाने के लिए अपने पति से बात की । अपने इस काम के लिए दीपक को थोड़े से अतिरिक्त पैसों की जरूरत पड़नी स्वाभाविक था । बातचीत के बाद दोनों ने फैसला किया कि अपने बेटे पर प्रति सप्ताह 30 रुपए का निवेश इस काम के लिए काफी होगा । 




दीपक खुश था । उसे मालूम था कि 30 रुपए में वह हर रविवार 2 घंटे इंटरनैट की सर्फिंग कर सकता है । अगले ही रविवार वह नैट प्वाइंट जा पहुंचा , अपनी पसंदीदा जगह पर बैठकर , कैफ़े के मालिक के बेटे से लॉग इन करना सीखा और जल्दी ही वह क्रिकेट की दुनिया में पहुंच चुका था । 


 

फिर स्कूली स्तर पर हुई प्रतियोगिता को अच्छे अंकों से जीतने के बाद उसे अन्तिम प्रतियोगिता में भी स्कूल प्रतिनिधित्व करने के लिए चुन लिया अन्तिम प्रतियोगिता के दिन पूरा घर बहुत उत्साहित था । प्रतियोगिता का सीधा प्रसारण टीवी पर होना था । नतीजतन , दीपक का पूरा परिवार , पड़ोसी और दोस्त अपनी सांस रोके टी.वी घेरे बैठे थे । 




बच्चों को केवल पढ़ाई का पाठ पढ़ाने वाले शर्मा जी भी टैंशन में अपने नाखून चबा रहे थे । जैसे ही हर्षा ने अन्तिम सवाल किया कि सचिन अब तक कितने शतक जमा चुके हैं , दीपक ने बिना कोई क्षण गंवाए उसका सही जवाब दे डाला । दीपक के स्कूल , परिवार और दोस्तों का सिर गर्व से ऊंचा हो गया । 




यह सब रविवार की सुबह साइबर कैफे में पीसी पर बिताए थोड़े से समय का कमाल था । दीपक ने अपने आप से वायदा किया कि वह अपने पढ़ाई के विषयों पर भी अधिक से अधिक ज्ञान इकट्ठा करने के लिए हर रविवार साइबर कैफे में जाया करेगा । 


उधर शर्मा जी भी थोड़ी बचत कर बेटे के लिए पीसी खरीदने की योजना बनाने लगे ।




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दीपक का सपना | सचिन तेंदुलकर का क्रिकेट बैट पाने की ख्वाहिश | हौसले बुलंद हो तो जीत पक्की | Motivational Story Reviewed by Jeetender on December 04, 2021 Rating: 5

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