क्या खब्बूपन को ठीक किया जाना चाहिए ?
दोस्तों हमारे समाज में बाएं हाथ से लिखना या कोई कार्य करना बुरा समझा जाता है। बचपन में अगर कोई बच्चा बाएं हाथ से लिखता है तो मां-बाप उसे डांटते हैं और दाएं हाथ से लिखने के लिए बच्चे पर दबाव बनाते है।
बाया हाथ अधिक कुशल होने के बावजूद बच्चे पर दबाव होता है जिसके कारण बच्चा दाएं हाथ से लिखने के लिए विवश हो जाता है । बाया हाथ वाले बच्चे को समाज में एक अलग नजरिए से देखा जाता है। समाज के लोग उसे हर बात पर ताना कसते हैं ।
जैसे कोई बाएं हाथ का आदि अपने दोस्तों के साथ किसी समूह में खाना खा रहा हो तो तुरंत कोई ना कोई टोंक देता है अरे यार क्या तुम लेफ्टी हो ? जिससे उस व्यक्ति को शर्मिंदगी का सामना करना पड़ता है। दुनिया में जहां 90% लोग दाएं हाथ से लिखते हैं वही मात्र 10% लोग बाए हाथ का उपयोग करते हैं।
इसका यह मतलब नहीं है कि वह 10% लोग किसी भी मामले में उन नब्बे परसेंट लोगों से कम है । आज भी समाज में यह गलत धारणा बनी हुई है की बाएं हाथ से लिखना एक बुराई है । पुरानी मान्यता के विपरीत आधुनिक अनुसंधान से यह साबित हुआ है कि लेफ्ट हैंड से कार्य करने वाले लोग कुछ ज्यादा ही कुशल होते हैं ।
चिकित्सा जगत से जुड़े बहुत से लोगों का मानना है कि समझदारी इसी में है कि खब्बूपन को ठीक नहीं किया जाए । यह कोई दोष नहीं है । इसलिए किसी व्यक्ति को बाया हाथ से दाहिने हाथ से काम करने वाला बनाने का प्रयास नहीं करना चाहिए ।
महान लोग भी हुए हैं जो बाया हाथ का प्रयोग करते थे जैसे:-
विश्व के दो महान चित्रकार लियोनार्दो द विंसी तथा माईकल एंजलो , हुए हैं , वह भी वामहस्त यानी खब्बू थे । बिल ग्रेट, अमिताभ बच्चन, महात्मा गांधी, बराक ओबामा, रतन टाटा, सौरव गांगुली, एंजेलिना जोली, निकोल किडमैन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आदि । यह सभी बाएं हाथ में कुशल है ।
हम दाएं या बाएं हाथ वाले क्यों होते हैं इसके क्या कारण है ?
यह दिमाग के कारण होता है । दिमाग का आधा भाग शरीर के दूसरे आधे भाग को नियंत्रित करता है । दिमाग का बायां भाग शरीर के दाएं भाग के कार्यों को नियंत्रित करता है तथा दिमाग का दायां आधा भाग शरीर के बाएं भाग के कार्यों को नियंत्रित करता है ।
अधिकतर लोगों में दिमाग का बायां आधा भाग अधिक प्रभावी होता है इसलिए शरीर का दायां आधा भाग अधिक कुशल होता । खब्बू लोगों में दिमाग का विकास इसके विपरीत हुआ होता है । दिमाग का दायां आधा भाग अधिक प्रभावी होता है इसलिए शरीर का दायां भाग अधिक कुशलता से काम करता है ।
बाएं हाथ से लिखने के कई कारण हो सकते हैं जैसे अनुवांशिक गुण इसमें अगर किसी के मां बाप बाएं हाथ से लिखने के आदी हैं तो हो सके उनसे उत्पन्न हुई संतान भी बाएं हाथ का उपयोग करें । जो बच्चे बाएं हाथ के आदी होते हैं उनके मां-बाप उन पर दाएं हाथ से लिखने का दबाव डालते हैं । जिसके चलते वह दोनों हाथों से लिखने में कुशल हो जाते हैं।
बाएं हाथ से काम करने वालों के अपने फायदे तथा नुकसान भी हैं जैसे:-
बाएं हाथ से काम करने वाले लोग बॉक्सिंग तथा टेनिस के अच्छे खिलाड़ी माने जाते हैं। इन लोगों का आई क्यू लेवल दाएं हाथ वालों की तुलना में अधिक होता है। यह दाएं हाथ वालों की तुलना में आइक्यू लेवल 140 से अधिक होता है जो कि अधिक माना जाता है। यह लोग अधिक सेंसिटिव होते हैं। यह तेजी से बदलने वाली ध्वनि को आसानी से सुन पाने में सक्षम होते हैं ।
लेकिन इनके जीवन में सब कुछ अच्छा ही नहीं होता इनको रोजमर्रा के कामों में होने वाली परेशानी का सामना भी करना पड़ता है। जैसे कैंची चलाना मुश्किल होता है, कंप्यूटर का माउस राइट साइड में होता है इसलिए इसको बार-बार लेफ्ट साइड करना पड़ता है। इन लोगों को गिटार बजाने में भी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
इसके अलावा हाथ मिलाते समय हिचकिचाहट होती हैं और आदि होने के कारण बार-बार अपना बाया हाथ आगे की तरफ बढ़ाते हैं । टच मोबाइल टेबलेट पर टाइप करते समय इन्हें परेशानी होती है कंप्यूटर के कीबोर्ड पर लिखते समय भी इन्हें परेशानी होती है क्योंकि उसके बटन के डिजाइन राइट हैंड वालों को ध्यान में रखकर बनाए गए होते हैं ।
कई लोग ऐसे भी होते हैं जो अपने दोनों हाथ से लिख पाने या कोई अन्य कार्य करने में समर्थ होते हैं इन लोगों को Cross Wired कहते हैं। सचिन तेंदुलकर बैटिंग बाएं हाथ से करते हैं और लिखते समय दाएं हाथ का उपयोग करते हैं।
बाएं हाथ से लिखना या कोई अन्य कार्य करना कोई अपवाद या बुराई नहीं है । यह प्राकृतिक है और ना ही इसे बदलने का प्रयास करना चाहिए। माता-पिता को भी अपने बच्चों पर इसके लिए दबाव नहीं डालना चाहिए। बाएं हाथ से लिखना कोई बुराई नहीं है ।
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