समरण शक्ति क्या है, यह प्रश्न कई बार हमारे मस्तिष्क में गूंजता है । जो भी कुछ हम ज्ञानेंद्रियों द्वारा सुनते हैं , देखते हैं, सूंघते हैं , स्पर्श करते हैं , उसकी संवेदना हमारे मस्तिष्क की कोशिकाओं में सम्पादित हो जाती है , छप जाती है । इनको हम जब चाहें , जिदगी की किताब की भांति याद कर सकते हैं , पढ़ सकते हैं , री - कॉल कर सकते हैं ।
जैसे टेपरिकार्डर की टेप पर हमारे संवाद अंकुरित हो जाते हैं, ठीक उसी प्रकार मस्तिष्क की गाइरी और सल्की पर , जिसे ' सेरीब्रम ' कहते हैं , संवेदनाएं अंकुरित हो जाती हैं । मस्तिष्क ही स्मरण शक्ति का भंडार होता है । इनकी कोशिकाओं को निरंतर ग्लूकोज पहुंचाना अत्यंत आवश्यक है ।
मानसिक एवं शारीरिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति की स्मरण शक्ति भी तीव्र होती है । एकाग्रता , ध्यानस्थता ही स्मरण प्रणाली को तीव्र बनाती है । अपने दिमाग से अगर अवांछित विचार निकाल दें और घास - फूस न उगने दें तो स्मरण शक्ति के फूल लहलहा उठेंगे । पुनरावृत्ति , अभ्यास , रियाज द्वारा स्मरण शक्ति में वृद्धि की जा सकती है ।
स्मरण शक्ति हमारे दिमाग की एक ऐसी नवचेतना है जो ईश्वर ने जीवधारियों को प्रदान की है । दिमाग के सेरीब्रम भाग पर निशान होते हैं । टेपरिकार्डर की भांति उस पर घटनाएं अंकित हो जाती हैं । आंख द्वारा देखे गए चित्र विजन सैंटर पर रेखांकित हो जाते हैं । सुनी गई बातें श्रवण सैंटर पर अंकुरित हो जाती हैं ।
पुरानी और बचपन की बातें हमें ज्यादा याद रह जाती हैं क्योंकि 4-5 वर्ष तक स्मरण शक्ति की एकाग्रता बहुत तीव्र होती है । तात्कालिक बातें भूल जाती हैं । पुराने रिश्ते याद रह जाते हैं और नए भूल जाते हैं । मस्तिष्क की न्यूरॉन कोशिकाओं में रासायनिक परिवर्तनों के कारण हमें बातें याद रह जाती हैं ।
कोशिकाओं की आर.एन.ए , तेजाब में परिवर्तन आ जाता है। इनका एंजाइम राइबो न्यूक्लिस स्मरण शक्ति में सहायता करता है । स्मरण शक्ति और मस्तिष्क में अजीब शक्ति है । आस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों ने नई खोज द्वारा मस्तिष्क की तरंगों द्वारा बिजली प्राप्त करने का तरीका खोज निकाला है।
खोपड़ी में दो इलैक्ट्रोड लगाकर ( एम्पलीफायर और इंसमीटर से लगाकर ) बिजली के उपकरण चलाए जा सकते हैं । इससे 0.9 से 3.5 वोल्ट क्षमता तक विद्युत प्राप्त की जा सकती है । मानव मस्तिष्क का मायाजाल असीम है । इसके असीम अनसुलझे रहस्य भी कमाल के हैं ।
मस्तिष्क के चमत्कार वास्तव में बड़े अजीबोगरीब हैं । आपकी जानकारी के लिए विश्व भर में अपनी गजब की स्मरण शक्ति के लिए चर्चित रहे कुछ व्यक्तियों के संबंध में रोचक जानकारी यहां प्रस्तुत कर रहे हैं ।
* गुरु नानक देव जी को 9 वर्ष की आयुमें अद्भुत ज्ञान प्राप्त था।
* संत ज्ञानेश्वर ने 12 वर्ष की उम्र में भगवद् गीता पर मराठी छंदों में ' ज्ञानेश्वरी गीता ' लिखी थी ।
* सन् 1594 में जन्मे जर्मनी के वॉन पैथनहेम को बाल्यावस्था में ही इतना योग्य समझा गया कि सिर्फ 14 वर्ष की उम्र में ही एल्डोर्फ यूनिवर्सिटी का प्राचार्य नियुक्त कर दिया गया ।
* अंग्रेज इतिहासकार थामस बैबिंग्टन मैकाले का बाल्यावस्था में बहुत तेज दिमाग था । मात्र 4 वर्ष की आयु में उन्होंने 42 पृष्ठ के कैटलॉग ' द ऑक्सफोर्ड क्लैक्शन ऑफ आर्ट ' में अंकित 3,000 वस्तुओं के नाम याद कर लिए थे ।
* लेबनान के कैंटुकी नगर के सेंट मैरीज कॉलेज के एक छात्र मार्टिन जे स्पैंडलिंग ( जन्म : 1810 , मृत्युः 1872 ) को इतना प्रतिभा संपन्न समझा गया कि स्नातक की परीक्षा पास करने से दो वर्ष पहले ही मात्र 14 वर्ष की आयु में गणित का प्रोफैसर नियुक्त कर दिया गया ।
* फ्रांस के विश्व प्रसिद्ध कवि थेवेन्यू चार्ल्स साइमन केवल 15 वर्ष की उम्र में एक कालेज के प्रोफैसर बन गए थे ।
* उन्नीसवीं सदी की विख्यात ब्रिटिश उपन्यास लेखिका चार्लोट यॉन्ज ने 7 वर्ष की आयु में अध्यापन कार्य प्रारंभ किया था ।
* प्रथम परिकलन यंत्र ( हिसाब जोड़ने की मशीन ) का आविष्कार फ्रांस के ब्लेज़ पास्कल ने किया था । पास्कल गणित में तेज था और एक सेठ के पास बतौर मुनीम काम कर रहा था । इसी दौरान 1642 में उसने मात्र 19 वर्ष की आयु में उक्त क्रांतिकारी आविष्कार किया था ।
* रूस के पत्रकार मि . सोलोमन ने रेलवे टाइम टेबल कंठस्थ कर रखा था ।
* राजा भोज के दरबार में श्रुतिधर नामक दरबारी में इतनी तीव्र स्मरण शक्ति थी कि वह किसी भी ग्रंथ को सिर्फ एक बार सुनकर या पढ़कर ज्यों का त्यों सुना दिया करता था ।
* मिस्र के सुलतान नासिर को अपने 25 हजार गुलामों के नाम , स्थान तथा गांव सब जुबानी याद थे ।
* रोम का सम्राट हैड्रियन लिखना और बातचीत करना एक साथ कर सकता था । उसे अपने तमाम दरबारियों के नाम याद थे ।
* इंगलैंड के एक पोस्टमैन को अपने क्षेत्र के सभी घरों के पते कंठस्थ थे । हालांकि वह नेत्रहीन था , फिर भी वह कभी भी किसी को गलत चिट्ठी वितरित नहीं करता था ।
* दक्षिण अफ्रीका के एक फील्ड मार्शल को अपने पुस्तकालय की दस हजार पुस्तकों के नाम एवं विवरण याद थे ।
यदि हम भी प्रयत्न करें तो अपने मस्तिष्क के अभ्यास द्वारा स्मरण शक्ति को तेज कर सकते हैं । बस प्रयत्न , कोशिश और प्रेरणा की आवश्यकता है ।
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Very nice
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