बंटी को चित्रकारी का बहुत शौक था । वह बहुत बड़ा चित्रकार बनना चाहता था । इसके लिए वह अभी से खूब मन लगाकर चित्रकारी सीख रहा था । उसे नदी, पहाड़, झरने आदि प्राकृतिक दृश्यों का चित्र बनाना बहुत पसंद था । उसके मामा जी का घर प्राकृतिक दृश्यों से भरपूर एक गांव में था ।
जब भी उसे छुट्टी मिलती वह चित्रकारी का सामान लेकर अपने मामा जी के गांव पहुंच जाता और चित्र बनाता था । ' बंटी के बनाए हुए चित्र सबको बहुत पसंद आते थे । स्कूल में होने वाली चित्रकला प्रतियोगिता में वह कई पुरस्कार जीत चुका था । इस बार भी जब गर्मी की छुट्टियां हुईं तो वह अपने मामा जी के गांव पहुंच गया ।
मामा जी उसे देखकर बहुत खुश हुए । उन्होंने हंसते हुए पुछा , " चित्रकारी का सामान साथ लेकर आए हो न बेटा ? " " हां , हां मामा जी । उसने तपाक से कहा , ' वह मैं कैसे भूल सकता हूं । युद्ध के लिए निकला सिपाही भला अपना हथियार कैसे भूल सकता है । ' शाबाश , इस बार मैं तुम्हें एक ऐसे स्थान का पता बातऊंगा जहां बैठ कर तुम्हें चित्रकारी करने में बहुत मजा आएगा ।
" मामा जी बोले । " सिर्फ पता बताने से काम नहीं"चलेगा । " उसने कहा , " आपको मेरे साथ उस स्थान पर चलना होगा। ” " ठीक है , मैं चलूंगा । " मामा जी ने वायदा किया । अगली सुबह बंटी जल्दी - जल्दी तैयार हो गया और मामा जी से बोला , " मामा जी चलिए मैं तैयार हो गया । " " बेटा मुझे अभी पशुओं के लिए मशीन पर चारा काटना है ।
" मामा जी ने कहा , " थोड़ी देर बाद चलेंगे । तुम तब तक खेलो । " यह कह कर वह चारा काटने वाली मशीन पर चारा काटने लगे । ' मामा जी , मैं आपको सहयोग करूं , ? काम जल्दी " पूरा हो जाएगा । " इतना कह कर वह चारा उठाकर मशीन में डालने लगा । " नहीं बेटा , तुम छोड़ दो । " मामा जी उसे समझाते हुए बोले , " तुम से नहीं होगा ।
यह बहुत सावधानी का काम है तुम्हारा हाथ मशीन में कट सकता है । " लेकिन बंटी मामा जी की बात अनसुनी करके मशीन में जल्दी जल्दी चारा डालने लगा। तभी अचानक उसका दाहिना हाथ मशीन में फंस गया और उसकी पांचों उंगलियां कट गईं । वह खूब जोर से चीखा और बेहोश हो गया । चारों तरफ खून ही खून फैल गया ।
यह देख कर मामा जी बुरी तरह घबरा गए । बंटी को तुरन्त गोद में उठा कर गांव के ही एक डाक्टर के पास ले गए । डाक्टर ने मरहमपट्टी कर दी और सुझाव देते हुए कहा , " मेरे विचार से इसे तुरन्त शहर ले कर चले जाइए । क्योंकि खून बहना पूरी तरह बंद नहीं हो रहा है ।
" मामा जी ने अपनी जीप निकाली और अपने एक दोस्त के साथ बंटी को लेकर तुरन्त शहर रवाना हो गए । बंटी की हालत देख कर पापा बेहद घबरा गए । मां तो जोर - जोर से रोने ही लगी । वे लोग बंटी को एक डाक्टर के पास ले गए । डाक्टर ने अच्छी तरह मरहमपट्टी की और दवाइयां दी , जिससे खून बहना बंद हो गया ।
डाक्टर ने अफसोस प्रकट करते हुए कहा , " अब यह अपने दाहिने हाथ से कोई भी काम नहीं कर सकेगा । " सबको इस हादसे पर बहुत दुख हुआ । धीरे - धीरे बंटी के हाथ का घाव ठीक हो गया । पर वह अपने हाथ को लेकर हमेशा दुखी रहता था । वह सोचता , " मैं अपाहिज हो गया हूं । अब मैं अपने हाथ से कभी लिख नहीं सकूंगा चित्रकारी भी नहीं कर सकूंगा । " कभी - कभी वह फफक - फफक कर रो पड़ता था ।
मां उसे हमेशा समझाती रहती थी और उसके मन से निराशा निकालने के प्रयास में लगी रहती थीं । एक दिन मां ने उसे कहा , " बेटा तुम बाएं हाथ से लिखने का अभ्यार करो । देखना , कुछ ही दिनों में तुम उसी तरह लिखना सीख जाओगे जैसा दाएं से लिखते थे । " बाएं हाथ से तो वह अपना काम कर ही लेता था । शर्ट पहन लेता था । बटन भी लगा लेता था । खाना भी खा लेता था ,
उसने लिखने का अभ्यास शुरू कर दिया । शुरू में उसे बड़ी मुश्किल हुई । उसकी लिखाई ऐसी हो जाती जैसे कोई छोटा बच्चा लिखना सीख रहा हो लेकिन धीरे - धीरे सब ठीक होता गया । उसके मन से निराशा के बादल भी छंटते चले गए । तब एक दिन उसने अपनी मां से कहा , " मां , मैं से चित्रकारी शुरू करना चाहता हूं ।
क्या मैं बाएं हाथ से कूची पकड़ कर चित्र नहीं बना सकता हूं। " " हां , बेटा । " मां उसका हौसला बढ़ाती हुई बोलीं , “ तुम बाएं हाथ से चित्र बना सकते हो । यदि मन में उत्साह और कुछ कर गुजरने की तमन्ना हो तो व्यक्ति क्या कुछ नहीं कर सकता । ' " " बंटी बाएं हाथ से चित्र बनाने का अभ्यास करने लगा । शुरू में उससे चित्र ठीक से नहीं बन पाता था । फिर भी वह लगा ही रहता था ।
आखिर उसकी मेहनत रंग लाने लगी । जो भी उसके बनाए चित्रों को देखता खूब प्रशंसा करता । एक बार स्कूल में जिला स्तरीय हस्तशिल्प प्रतियोगिता का आयोजन हुआ , जिसमें उसने अपने बाएं हाथ से बनाए हुए चित्रों का प्रदर्शन किया । उसके चित्रों को खूब सराहा गया और पुरस्कार के लिए चुना गया । जब उसने पुरस्कार ग्रहण किया तो वातावरण तालियों से गूंज उठा ।
बड़ा होने पर बंटी एक बहुत बड़ा चित्रकार बना और उसकी ख्याति दूर-दूर तक फैल गई। बच्चों इस कहानी से यही शिक्षा मिलती है कि हमें कभी भी अपने जीवन में हिम्मत नहीं हारना चाहिए । हमेशा संघर्ष करना चाहिए क्योंकि संघर्ष का फल हमेशा मीठा होता है । -हेमंत यादव
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