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चंद्रमा चमकता क्यों है | चांद पर जीवन क्यों नहीं है | क्या चंद्रमा पर गुरुत्वाकर्षण है ? | अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण पृथ्वी के समान क्यों नहीं होता ?

चन्द्रमा चमकता क्यों है ? 

               

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चन्द्रमा की कोई अपनी रोशनी नहीं होती । यह इसीलिए चमकता है क्योंकि सूर्य की रोशनी इसकी सतह से टकराती हैं । तथा परावर्तित होकर हम तक पहुचंती है । यह पृथ्वी का एक उपग्रह है । पृथ्वी से हम चन्द्रमा का केवल एक भाग देख सकते हैं । ऐसा इसलिए क्योंकि चन्द्रमा अपनी धुरी पर उतनी ही लम्बाई में घूमता है , जितना समय यह पृथ्वी का चक्कर लगाने में लेता है । 




सूर्य से आने वाली रोशनी जो चन्द्रमा से टकराती है , का प्रभाव बहुत रुचिपूर्ण होता है क्योंकि चन्द्रमा पर कोई वातावरण नहीं होता । लगभग 14 दिनों तक चन्द्रमा की सतह को सूर्य की सीधी किरणें पानी के उबाल बिंदू के तापमान से भी अधिक गर्म कर देती हैं । चंद्र माह के दूसरे आधे भाग में एक लम्बी काली रात की ठंडक होती है , क्योंकि यहां गर्मी को रोकने के लिए कोई वातावरण नहीं है । 




पृथ्वी भी चन्द्रमा पर रोशनी परावर्तित करती है , जिसे ' अर्थ शाइन ' कहा जाता है । लेकिन इससे चन्द्रमा की रात का तापमान बढ़ाने में कोई सहायता नहीं मिलती जो शून्य से लगभग 200 डिग्री सैंटीग्रेड नीचे तक गिर जाता है ।




क्या चंद्रमा पर गुरुत्वाकर्षण है ?


          

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आप सभी जानते हैं कि गुरुत्वाकर्षणा वह शक्ति है जो ब्रह्मांड में मौजूद हर वस्तु को हर दूसरी वस्तु की ओर खींचती है । गुरुत्वाकर्षण की शक्ति दो चीजों पर निर्भर करती है । इसमें शामिल वस्तुओं का आकार तथा उनकी एक - दूसरे से दूरी पृथ्वी हमें इसलिए खींचती है क्योंकि बहुत विशाल है । " 




चन्द्रमा भी बहुत बड़ा है लेकिन पृथ्वी के मुकाबले यह काफी छोटा है । पृथ्वी के अनुपात में इसका भार 1/81 है । अतः इसकी सतह पर गुरुत्वाकर्षण शक्ति या खिंचाव पृथ्वी के मुकाबले काफी कम होता है । दरअसल यह पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के केवल छठे भाग के बराबर होता है । 




इसीलिए जब कोई व्यक्ति चन्द्रमा पर होता है तो उसका भार पृथ्वी पर उसके भार के छठे भाग के बराबर होता है । गुरुत्वाकर्षण की शक्ति पृथ्वी की सतह पर आपके भार के बराबर होता है । यदि आप चन्द्रमा पर उतरें तथा वहां छलांग लगाएं तो आप छः गुणा अधिक ऊंचा कूद सकेंगे । 




यदि आप कोई गेंद फेंके तो यह छ: गुना अधिक दूर जाएगी क्योंकि चन्द्रमा की सतह का खिंचाव पृथ्वी के मुकाबले काफी कमजोर होता है ।



 

अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण पृथ्वी के समान क्यों नहीं होता ?


                

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ब्रह्माण्ड में हर वस्तु दूसरी अन्य वस्तुओं को अपनी ओर खींचती है । यही गुरुत्वाकर्षण है । इस खींच की शक्ति इस बात पर निर्भर करती है कि पिंड में कितनी सामग्री है । उस वस्तु या पिंड जिसमें बहुत सा पदार्थ या सामग्री हो , का गुरुत्वाकर्षण बहुत होगा । 




" पृथ्वी का भार या पृथ्वी की सामग्री चांद से अधिक है इसलिए इसके गुरुत्वाकर्षण का खिंचाव चांद से अधिक है । इससे भी अधिक , यदि दो वस्तुएं एक - दूसरे के अधिक करीब होंगी तो उनका खिचाव भी अधिक होगा । 




यदि आप बाहर अंतरिक्ष में जाएं तो आप पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति से दूर होंगे । आप पर कोई खिंचाव नहीं होगा । आप भारविहीनता की स्थिति में होंगे । यही कारण है कि भारविहीन अंतरिक्ष यात्री तथा अन्य वस्तुएं रॉकेटों तथा अंतरिक्ष यानों में हवा में तैरते से दिखाई देते हैं । "




चांद पर जीवन क्यों नहीं है ?


                

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चांद पर कोई वातावरण नहीं है । पृथ्वी पर अंधेरा धीरे - धीरे आता है क्योंकि सूर्यास्त के बाद भी हवा सूर्य की रोशनी को प्रतिबिंबित करती रहती है । चांद पर एक पल वहां सूर्य की रोशनी होती है और अगले ही पल रात हो जाती है । " चांद पर कोई हवा नहीं है इसी कारण यह सूर्य के खतरनाक विकिरणों से सुरक्षित नहीं है । 




हमारी सुरक्षा पृथ्वी का वातावरण करता है । क्योंकि वहां किसी तरह का वातावरण नहीं है इसलिए चांद की सतह या तो अत्यधिक गर्म या अत्यधिक ठंडी होती है । इसके घूमने के साथ इसका जो भी भाग सूर्य के कारण रोशन होता है , बहुत गर्म हो जाता है । वहां पर तापमान 150 डिग्री सैंटीग्रेड से भी अधिक हो जाता है । 




गर्म चंद्र दिवस दो सप्ताहों तक रहता है और इसके बाद रात होती है जो फिर दो सप्ताह लम्बी होती है । रात के समय वहां का तापमान शून्य से 125 डिग्री सैंटीग्रेड तक नीचे गिर जाता है । यह पृथ्वी के दक्षिणी ध्रुव के तापमान से भी दुगुने से अधिक ठंडा है । इन्हीं सब कारणों से चांद पर कोई जीवन नहीं है । "




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चंद्रमा चमकता क्यों है | चांद पर जीवन क्यों नहीं है | क्या चंद्रमा पर गुरुत्वाकर्षण है ? | अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण पृथ्वी के समान क्यों नहीं होता ? Reviewed by Jeetender on November 25, 2021 Rating: 5

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