अजय और विजय दोनों जा स्कूल रहे थे । रास्ते में उन्होंने देखा कि सड़क के किनारे एक तोते वाला बैठा है । वह संकेत करके पिंजरे से तोते को निकालता है । तोता चोंच से एक पर्ची उसे दे देता है । वह पर्ची में लिखा पढ़ कर सामने वाले को बता देता है कि उसकी मनोकामना पूरी होगी या नहीं ?
तोते वाला एक पर्चा निकालने के पांच रुपए लेता था । अजय ने देखा जो भी तोते वाले के पास आता है, मुस्कराता हुआ वापस जाता है । शायद सबकी मनोकामना बिना कठोर मेहनत , लगन के पूरी हो जाएगी । ऐसा तोते वाले ने बताया होगा।
अजय भी पढ़ाई में कमजोर था । उसे भी उम्मीद नहीं थी कि वह आठवीं कक्षा उत्तीर्ण कर पाएगा । वह काफी चिंतित था । उसने सोचा क्यों न तोते वाले से पूछा जाए ? वह वार्षिक परीक्षा में पास हो सकेगा या नहीं ?
वह तोते वाले की तरफ बढ़ा तो विजय ने पूछा , अरे अजय , यहां क्यों रुक गए ? " " यार विजय , मैं भी तोते से पर्ची निकलवा कर देखना चाहता हूँ कि परीक्षा में पास हो सकूंगा या नहीं ? " अजय ने अपनी इच्छा बताई ।
" अजय तू पर्चियां निकलवा कर परीक्षा में उत्तीर्ण नहीं हो सकता । अगर परीक्षा में प्रथम आना है तो दिन - रात मेहनत करनी होगी , तभी सफलता मिल गाएगी । " विजय ने जिंदगी की अटल सच्चाई समझाने का प्रयास किया । मगर अजय नहीं माना । वह देर रात तक पढ़ना नहीं चाहता था ।
उसकी इच्छा थी बिना मेहनत किए चमत्कार हो जाए , जिसके बल पर प्रथम नहीं तो तृतीय दर्जे में पास हो जाए । पास होने पर पापा से नई साइकिल भी लेनी थी । विजय रोकता रहा मगर अजय नहीं माना । " आओ बच्चो , आओ ... क्या परीक्षा के बारे में जानना चाहते हो ? परीक्षा में पास होंगे या नहीं ? तोते वाले आदमी ने स्कूली बच्चे को करीब आते । देख पूछा ।
अजय चौंक उठा और सोचने लगा , " कमाल है चमत्कारी आदमी को कैसे पता चला कि मैं परीक्षा के बारे में पूछना चाहता हूं ? अवश्य तोता अलौकिक होगा , जो कुछ भी बताएगा सच ही बताएगा । उससे जरूर जानकारी लेनी चाहिए वार्षिक परीक्षा में क्या होगा ?
" हां बाबा , मैं जानना चाहता हूं कि आने वाली वार्षिक परीक्षा में प्रथम श्रेणी में पास हो जाऊंगा या नहीं ? " अजय ने नम्रतापूर्वक बताया । " ' हां बच्चा , पांच रुपए में हमारा तोता बता देगा कि तुम कक्षा में प्रथम आओगे या नहीं । वैसे तुम होशियार छात्र लगते हो । " तोते वाले ने बातों का जाल फेंका ।
" लो बाबा , पांच रुपए । अब जल्दी बताओ ? " " लाओ बच्चा । " तोते वाले ने तोता पिंजरे से बाहर निकाला । तोते ने जल्दी से एक पर्ची चोंच से उठाई । और बाबा को दे दी । बाबा ने पर्ची खोली । अजय का दिल धड़क रहाथा । पता नहीं पर्ची में क्या लिखा है ? "
लो बच्चा , पर्ची में लिखा है कामयाबी मिलेगी । अब तुम बेफिक्र हो जाओ । " बाबा ने मुस्कराते हुए बताया । अजय के मुरझाए हुए चेहरे पर चमक आ गई । वह स्कूल की तरफ चला गया । स्कूल जाते समय सोच रहा था अब उसे पढ़ाई के बारे में चिंता की जरूरत नहीं है ।
रात - रात भर जागकर पढ़ने की क्या जरूरत है ? अब वह मौज - मस्ती करेगा । उसका दोस्त विजय समझाता रहा कि यह सब ढकोसला है । बिना कठोर मेहनत किए वह परीक्षा में सफल नहीं हो सकता । यह सब पैसा कमाने का ढंग है । अंधविश्वासी , कामचोर ,आलसी लोग इनके चक्कर में फंस जाते हैं ।
लगन - मेहनत के बिना कुछ भी होने वाला नहीं । मैं नहीं मानता- अगर भाग्य में प्रथम आना लिखा है तो अवश्य प्रथम श्रेणी में सफल हो जाऊंगा । तुम देख लेना , " अजय अपनी बात पर जोर देते हुए बोला - जैसे नेता का बेटा बिना संघर्ष किए नेता और हीरो का बेटा भी बिना संघर्ष किए हीरो बनता है , ठीक ऐसे ही मैं भी बिना संघर्ष पास हो जाऊंगा । ' विजय उसके तर्क के आगे खामोश हो गया ।
दिन गुजरते रहे । अजय अपनी मौज - मस्ती में समय बेकार ही गुजारता रहा । सारा दिन क्रिकेट खेलता , रात भर टी.वी. पर फिल्में देखता । सुबह देर से उठता । उसे यकीन था तोते वाली पर्ची पर लिखा ही सच होगा । अगर पास होना भाग्य में न लिखा होता तो फेल होने की पर्ची भी आ सकती थी ।
सीधा अर्थ है वह परीक्षा में पास हो जाएगा । उसे कोई भी फेल नहीं कर सकता । उसने अपना बहुमूल्य समय यूं ही व्यर्थ गुजारना जारी रखा । दूसरी तरफ उसका मित्र विजय लगन मेहनत से अपनी पढ़ाई में व्यस्त रहा । वह दिन में खेलता भी थोड़े समय था । रात - दिन मेहनत करता था ।
विजय को पूर्ण विश्वास था कि वह जितनी अधिक मेहनत करेगा वैसी ही कामयाबी मिलेगी । भाग्य या दूसरों के आश्वासनों पर निर्भर रहना असफलता की निशानी है । उसे अपनी मेहनत पर भरोसा था । अब दोनों दोस्तों में दूरी बढ़ गई । विजय पढ़ाई - लिखाई में व्यस्त रहता । अजय आवारागर्दी में समय गुजारता रहा ।
दोनों दोस्तों ने साथ - साथ आठवीं की परीक्षाएं दीं । विजय के पेपर बहुत अच्छे हुए थे । मगर अजय कुछ खास नहीं लिख पाया था । उसे कुछ भी याद नहीं था । उसे तो तोते की पर्ची पर अंध विश्वास था । कुछ दिन गुजरे । परीक्षा के परिणाम का दिन आ गया । अजय का दिल अजीब सी हालत में धड़क रहा था । वह पुनः तोते वाले के पास गया ।
एक पर्ची फिर निकालने को कहा । तोते वाले ने पर्ची पढ़ते हुए बताया , “ बच्चा , बेफिक्र होकर स्कूल जाओ , कामयाबी तुम्हारे कदम चूमेगी । चिंता की कोई बात नहीं । अजय खुशी के मारे उछल पड़ा । मानो तोते वाले ने वास्तव में ही परीक्षा परिणाम सुना दिया हो । वह भागता हुआ स्कूल पहुंचा । उसे यकीन था , अगर वह प्रथम नहीं तो द्वितीय श्रेणी में अवश्य ही उत्तीर्ण हो जाएगा ।
स्कूल पहुंच कर अपना वार्षिक परिणाम देखा तो दंग रह गया । तन बदन कांप उठा । आंखों के सामने अंधेरा छा गया । उसे लगा- स्कूल की इमारत घूम रही है । वह भारी निराशा में डूब गया । रह - रह कर तोते वाले पर गुस्सा आ रहा था । बेचारा अजय फेल हो गया था और विजय प्रथम आया था ।
भारी दुख में डूबे अजय ने विजय पूछा , “ अगर उसने फेल होना था . तो पर्ची फेल होने की क्यों नहीं आई ? " " मित्र अजय , तोते वाले ने सारी पर्चियां कामयाब होने की ही लिखी हैं । अगर फेल या असफल होने की लिखेगा तो रुपए कौन देगा ? समझा ।
वह आदमी चमत्कारी नहीं है , पैसा कमाने बैठा है । " अजय की समझ में बात आ गई । बिना मेहनत के सफलता नहीं मिलती । अब उसे पश्चाताप - दुख में डूबे दोबारा आठवीं कक्षा में बैठना पड़ा । विजय नौवीं कक्षा में चला गया । अजय बहुत उदास था ।
इसलिए बच्चों इस कहानी से शिक्षा यही मिलती है कि बिना मेहनत किए सफलता नहीं मिलती इसलिए जीवन में सफलता के लिए आपको खूब मेहनत करनी पड़ेगी।
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