दोस्तों हमारी आंखें अनमोल है इसकी बराबरी शरीर का कोई अंग नहीं कर सकता । आंख है तो सब कुछ है आंख नहीं तो कुछ भी नहीं । इसके ऊपर कहावत हैं कि दांत गए तो स्वाद गया , आंख गई तो जहान गया । ठीक भी है , दुनिया भर की चीजें हम आंखों से ही तो देखते हैं ।
जानें कि भला आंख हमें यह दुनिया कैसे दिखाती है । आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि आपकी आंखें वस्तुओं को देखने के लिए दिनभर में कुछ नहीं तो 1,00,000 बार इधर से उधर घूम जाती हैं । आंख की पुतली के पीछे लैंस यानी ताल होता है ।
इस गोल भाग के घेरे के आसपास बहुत सी पेशियां लगी रहती हैं , जो इसे पास या दूर की चीजों पर केंद्रित करती हैं यानि उस वस्तु के ऊपर निगाह ठहराती है । रोशनी की किरण लैंस को पार करती हुई वस्तु की संरचना को उल्टा कर देती है ।
यानी जब आप किसी दोस्त को देखते हैं तो शैतान आंख पहले उसका सिर नीचे और पैर ऊपर कर देती है । उसी प्रकार दिशा भी बदल जाती है यानि दायां , बाईं ओर और बायां , दाईं ओर । इसके बाद प्रकाश नेत्र गोलक की खोखली जगह से गुजरता है । यहां भरा साफ द्रव प्रकाश की किरणों को आसानी से गुजार देता है ।
इसी गोलक की अंदरूनी सतह पर चारों ओर ऐसी विशेष नाड़ियों के सिरों की एक तह होती है जो रोशनी के प्रति बहुत सतर्क रहती है । रोशनी पड़ी नहीं कि यह पट से हरकत में आ जाती है । यही तह तो रैटिना यानि दृष्टि पटल है । इससे जुड़ी जो तंत्रिकाएं यानि नाड़ियां हैं , वे ही मस्तिष्क से संबंध रखती हैं ।
जब रैटिना पर किसी वस्तु की छाया आती है तो वह उल्टी होती है । उस उल्टी शक्ल को सीधा करने का काम नाड़ियां ही करती हैं । इनसे एक प्रकार की तरंगें मस्तिष्क तक पहुंचती हैं और वस्तु की शक्ल को सीधा कर देती हैं । इसी तरह से वस्तु का दायां - बायां भाग भी ठीक वस्तु की स्थिति की तरह नजर आता है , उल्टा नहीं।
देखने के लिए आपके चेहरे पर दो आंखें हैं । आप सोचते होंगे कि आंखें दो ही क्यों हुईं , सिर्फ एक या चार क्यों नहीं हुईं । इसके लिए पहले यह समझो कि आंखें चेहरे पर नाक से इधर - उधर क्यों हैं । असल में दोनों आंखें एक वस्तु को अलग - अलग कोण पर देखती हैं ।
जब किसी वस्तु को देखते हो तो एक आंख उसे जिस कोण पर देखती है , दूसरी उससे भिन्न देखेगी । इस तरह से मस्तिष्क में अलग - अलग आंखों के प्रतिबिम्ब यानि छाया एक होकर नया रूप लेता है । यह रूप तीन आयामों वाला यानि थ्री - डाइमैंशनल होता है ।
इस तरह से देखा जाए तो हम अपनी दो आंखों से बनी दो अलग अलग आकृतियां से वस्तु की गहराई भी जान लेते हैं । इसी आधार पर यह पता चल जाता है कि वस्तु की आंख से दूरी कितनी है । दोनों आंखों के महत्व को आप बारी - बारी से एक आंख बंद करके भी समझ सकते हैं ।
आप खुद अनुभव करेंगे कि एक आंख बंद कर लेने पर जो दिखाई देता है ठीक वहीं दूसरी आंख खोलकर दिखाई नहीं देता । जब दोनों ही आंखें खोल लें तो कुछ अलग ही दिखाई देता है । ध्यान रखें कि आपके लिए आंखें बहुत महत्वपूर्ण अंग हैं ।
इसलिए इन्हें सुरक्षित रखें । कोई तकलीफ हो तो तुरंत इलाज कराएं और हरी सब्जियां खूब खाएं । ये आपकी आंखों को स्वस्थ रखती हैं ।
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