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शेर और आदमी की लड़ाई | एक शेर का आदमी से लड़ने की जिद्द ( कहानी )

 शेर और आदमी


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बहुत दिनों की बात है किसी जंगल में एक शेर रहता था । वह बहुत बूढ़ा हो गया था । एक दिन उसने अपने बेटे को पास बुला कर कहा , " बेटा ! तू तो जानता है कि मैं बहुत बूढ़ा हो गया हूं । मुझमें दौड़ने और छलांग मारने की शक्ति नहीं रह गई है और कमजोरी इतनी बढ़ गई है कि किसी छोटे से जानवर को भी नहीं पकड़ सकता। 





यही कारण है कि मैं आजकल दो - दो , तीन - तीन दिन तक भूखा रहता हूं । अपनी जवानी के दिनों में जब मैं दहाड़ता था तो सारा जंगल गूंज उठता था और बड़े से बड़े जानवर भी घबरा जाते थे । किसी की मजाल नहीं थी कि मेरे सामने ठहर सके । मगर अब यह हाल हो गया है कि छोटे - छोटे जानवर भी मेरे सामने से चले जाते हैं और मैं देखता रह जाता हूं । 





मैं इस अपमान की हालत में यहां नहीं रह सकता । मैंने इरादा कर लिया है कि मैं आज ही , बल्कि अभी इस जंगल को छोड़ दूंगा । " बूढ़े शेर ने आगे कहा , " मेरे बाद तू इस जंगल का राजा होगा । यहां के तमाम जानवर तुझसे डरेंगे । उनमें से कोई भी तेरा मुकाबला नहीं कर सकेगा लेकिन याद रखो, 





एक जानवर से कभी मुकाबला न करना और जहां तक हो सके उससे दूर ही रहना । " इस पर नौजवान शेर ने पूछा , कौन - सा जानवर है जो मुझसे ज्यादा " ' वह ताकतवर है ? " " उस जानवर को ' आदमी ' कहते हैं । तू भी आदमी के चक्कर में न आना । " बूढ़े शेर नसीहत दी और कहीं चला गया । 




बाप के चले जाने के बाद बेटा जंगल में उछलने - कूदने लगा। जो जानवर सामने आता उस पर हमला करके उसे मार डालता । वह जवानी की तरंग में अकड़ रहा था । जंगल के सब जानवर उसे दूर ही से देख कर भाग जाते थे । आखिर एक दिन वह सोचने लगा कि इस जंगल में तो मेरी दूर - दूर तक धाक बैठ गई है । कोई भी जानवर ऐसा नहीं है जो मेरे एक थप्पड़ को सहन कर सके । 





अखिर वह आदमी कैसा जानवर है जिससे बचकर रहने के लिए मेरे बाप ने नसीहत दी थी ? मैं जरूर आदमी नामक उस जानवर ' से लडूंगा। मन में ऐसा ठान कर वह जंगल से बाहर की ओर चल पड़ा । वह एक मैदान में पहुंचा जहां एक तगड़ा बैल घास चर रहा था । शेर ने अब तक बैल नहीं देखा था । उसने सोचा शायद यही जानवर आदमी है । यह भी ऊंचा और मोटा ताजा है । इसके सिर पर बड़े - बड़े नुकीले सींग हैं । 





इससे लड़ना आसान तो नहीं है , मगर मैं इससे लडंगा जरूर। उसने बैल के पास जाकर बड़ी हिम्मत करके उससे कहा , " ओ आदमी ! तैयार हो जा , मैं तुझ से लड़ने आया हूं । " बैल बोला , " भैया शेर ! यहां तो कोई आदमी नहीं है , तुम किस से लड़ने आए हो ? "   शेर गरज कर बोला , " मैं तुझसे लडूंगा । तू आदमी नहीं है क्या ? " बैल ने कहा , " भैया , मैं तो बैल हूं , आदमी नहीं । " " अच्छा यह बता कि आदमी क्या तुझसे भी ज्यादा ताकतवर होता है ? "

 




" वह बहुत ताकतवर होता है । मुझे गाड़ी में जोतता है । मुझसे हल चलवाता है । अगर मैं जरा सी सुस्ती करूं , तो बुरी तरह मारता है । यह देखो , मेरी गर्दन बोझ ढोते - ढोते जख्मी हो गई है , फिर भी उसे मुझ पर तरस नहीं आता । मेरी राय तो यह है कि तुम उससे लड़ने का ख्याल छोड़ दो और वापस जंगल में चले जाओ । " " नहीं , मैं उससे जरूर लड़गा । तुम मुझे इतना बता दो कि वह मुझे मिलेगा कहां ? 





" शेर ने पूछा । बैल ने कहा कि , " आगे उस आबादी की और चले जाओ , वह तुम्हें जरूर मिल जाएगा । " शेर आगे की ओर चल पड़ा और एक बाग के पास पहुंचा । उसने देखा एक बहुत बड़ा जानवर एक बबूल के ऊंचे पेड़ के नीचे खड़ा है । उसकी गर्दन इतनी लम्बी है कि पेड़ की टहनियों तक पहुंच गई है और वह बबूल के पत्ते और काटे अनाप - शनाप खाए जा रहा है । शेर ने इतना बड़ा जानवर कभी नहीं देखा था । उसने सोचा कि शायद यही जानवर आदमी है । 





उसने ललकार कर कहा , " ओ आदमी संभल जा , मैं तुझ से लड़ने आया हूं । " ऊंट ने पलट कर देखा और कहा , " भैया शेर , अगर तू लड़ना ही चाहता है , तो लड़ सकते है लेकिन मैं आदमी नहीं है । मैं तो ऊंट हूं । " ' क्या आदमी , तुझ से भी ज्यादा ताकतवर होता है ? " शेर ने जिज्ञासा प्रकट की । ऊंट बोला , " आदमी की ताकत का कुछ ठिकाना नहीं है । वह बड़ा जालिम होता है । 





अनाज की भारी - भारी बोरियां मुझ पर लादता है । मुझसे गाड़ी खिचवाता है और मेरी पीठ पर बैठ कर सवारी करता है। अगर मैं इन कामों में जरा सी भी सुस्ती करूं तो बुरी तरह पीटता है । " शेर बोला , " कुछ भी हो , मैं उससे लड़ेगा जरूर । तुम मुझे इतना बता दो कि वह मुझे मिलेगा कहां ? " ऊंट ने इशारे से बताया कि थोड़ा और आगे चले जाओ । शेर वहां से आगे बढ़ा , चलते चलते वह एक झील के किनारे पर पहुंचा । 





वहां उसे एक हाथी नजर आया , जो अपनी सूंड में पानी भर- भर कर अपने शरीर पर डाल रहा था । जबकि शेर ने उससे पहले हाथी कभी नहीं देखा था । उसके कद और डील - डौल को देखकर सोच में पड़ गया और समझा कि यही जानवर आदमी है । हाथी ने शेर को देखकर एक चिंघाड़ मारी और सूंड उठाकर उसकी ओर देखने लगा । शेर बोला , 





" मैं जानता हूं कि तू आदमी है । तुझसे यहां के सब जानवर डरते होंगे लेकिन मैं तुझसे लड़ने आया हूं । " हाथी बोला , " मैं तुझसे लड़ने को तैयार हूं लेकिन तू बड़ा बेवकूफ है । इतना भी नहीं समझता कि मैं आदमी नहीं हाथी हूं । " " तू आदमी नहीं है , तो मैं तुझसे नहीं लडूगा । मैं आज आदमी से लड़ने निकला हूं । यह बताओ कि आदमी मुझे कहां मिलेगा और क्या वह तुमसे भी ज्यादा ताकतवर है ? 




" हाथी ने हंसते हुए कहा , " अरे आदमी की कुछ न पूछो । मुझे देखो , मैं कितना ताकतवर हूं  लेकिन उसके आगे मेरी एक नहीं चलती । उसमें इतनी ताकत है कि मुझसे तरह - तरह के काम लेता है । जंगल के पेड़ उखड़वाता है । भारी - भारी लटठे ढुलवाता है । मेरी पीठ पर अलमारी रख कर उस पर बैठता है । कभी वह मेरी गर्दन पर भी बैठता है । और पैने अंकुश से बार करता है । मैं उसका कुछ नहीं बिगाड़ पाता । 





शेर ने कहा , " बड़े भैया ? आखिर यह तो बताओ कि क्या वह तुमसे भी बड़ा जानवर है ? " " यही तो रोना है कि यह मुझसे बहुत छोटा है । केवल दो पांव का जानवर है लेकिन उसमें गजब की शक्ति है , जो हर किसी को वश में कर लेती है लेकिन यह बता कि आखिर तुझे उससे लड़ने की क्या सूझी है ? याद रख , अगर तू उससे लड़ा , तो बहुत बुरा होगा। तुझ पर जवानी का नशा सवार है , मगर ज्यादा घमंड अच्छा नहीं होता । 





" शेर बोला , " तुम कुछ भी कहो , मैं उससे लडूंगा जरूर । वह कहां मिलेगा । " हाथी ने सुंड के इशारे से उसे खेतों की ओर जाने को कहा । शेर उसी ओर चल पड़ा । वह चलते - चलते एक खेत पर पहुंचा । वहां एक किसान हल जोत रहा था और बैलों को पीट रहा था । शेर समझ गया कि वह दो - पांव वाला छोटा सा जानवर आदमी है । लड़ने के लिए इसके सिर पर सींग भी नहीं हैं । यह तो मेरा एक थप्पड़ भी बर्दाश्त नहीं कर सकता । यह भला मुझसे क्या लड़ेगा । 





शेर ने ललकार कर कहा , " ओ आदमी , तैयार हो जा , मैं तुझसे लड़ने आया हूं । " किसान शेर को देखकर सहम गया मगर वह आदमी था समझदार और हिम्मत वाला । उसने कहा , " मैं शेर का बेटा हूं , तू बता मुझसे किस समय लड़ेगा ? " शेर बोला । किसान ने कहा , " क्या करूं । इस वक्त मेरे पास मेरा ' जोर ' नहीं है । मैं यहां खेत जोतने चला आया और अपना ' जोर ' घर छोड़ आया था क्योंकि यहां उसकी कोई जरूरत नहीं थी । 





" शेर बोला , " अच्छा तो जा और घर से अपना ' जोर ' ले आ । " किसान ने चालाकी से कहा , " अगर मैं अपना जोर ले आया तो तू दूर से उसे देखते ही भाग जाएगा । " शेर ने झल्ला कर कहा , " क्या तू मुझे डरपोक समझता है ? मैं हरगिज नहीं भागूंगा । जल्दी जा और अपना जोर ले आ । " किसान बोला , " मुझे यकीन नहीं कि तू मेरे जोर के सामने ठहर सके । तू भाग गया तो मेरा जोर सख्त नाराज हो जाएगा । अच्छा , मैं एक तरकीब बताता हूं जिससे तू भाग नहीं सकेगा । 





अगर तू राजी हो , तो मैं तेरे पैर बांध दूं , ताकि तू भाग न सके । " शेर राजी हो गया कि , " चल अगर तेरी तसल्ली मेरे पांव बांधने से होती है , तो ले बांध ले । " किसान अपनी झोपड़ी में गया और दो मजबूत रस्सियां लाकर उसने एक रस्सी से आगे के दोनों बाजू और दूसरी रस्सी से पीछे की दोनों टांगें मजबूती से बांध दी और इस तरह जब वह जकड़ गया तो अंदर से एक मोटी लाठी लाकर उसे पटक कर बोला, 




" यही है मेरा ' जार ' । और उसकी खासी मुरम्मत करके उसे सर्कस वालों के हवाले कर दिया । "


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शेर और आदमी की लड़ाई | एक शेर का आदमी से लड़ने की जिद्द ( कहानी ) Reviewed by Jeetender on September 27, 2021 Rating: 5

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