महीनों का नाम कैसे पड़ा ?
जानकारी
नया साल आ गया है । आप सब एक - दूसरे को बधाई संदेश देंगे । ग्रीटिंग कार्ड और गिफ्ट की अदला - बदली भी करेंगे । साथ ही आप में से बहुत से बच्चों के मन में यह सवाल भी उठेगा कि बचपन से आप जिन महीनों के नाम याद करते आ रहे हैं , आखिर उनके नाम कैसे पड़े और किसने इनका नामकरण किया होगा । आइए आपको बताएं कैसे पड़े महीनों के नाम जनवरी , फरवरी , मार्च ... ।
जनवरी : रोमन देवता ' जेनस ' के नाम पर वर्ष के पहले महीने जनवरी का नामकरण हुआ है । मान्यता है कि जेनस के दो चेहरे हैं । एक से वह आगे तथा दूसरे से पीछे देखता है । अर्थात पिछले वर्ष देखता है। इसी तरह जनवरी के भी दो चेहरे हैं । जेनस को लैटिन में ' जेनअरिस ' कहा गया । यही बाद में जैनुअरी ' बना जो हिन्दी में जनवरी हो गया ।
फरवरी : इस महीने का संबंध लैटिन के ' FEBRA ' शब्द से है । इसका अर्थ होता है कि ' शुद्ध दावत ' । पहले इसी महिने की 15 तारीख को लोग शुद्ध दावत दिया करते थे । कुछ लोग फरवरी महिने के नाम का संबंध रोम की एक देवी ' FEBRUARIA ' से भी मानते हैं , जो संतान उत्पत्ति की देवी मानी गई है । इसलिए बेऔलाद स्त्रियां इस महीने इस देवी की पूजा करती थीं ताकि वह प्रसन्न होकर उन्हें संतान प्राप्ति का आशीर्वाद दे ।
मार्च : रोमन देवता ' मार्स ' के नाम पर मार्च के महीने का नाम रखा गया । रोमन वर्ष की शुरुआत इसी महीने से होता था । इस देश के लोग सर्दियां के समाप्त होने पर शत्रु देश पर आक्रमण करते थे इसलिए इस महीने को मार्टिअस के आधार पर मार्च नाम से पुकारा गया ।
अप्रैल : इस महीने की नामकरण लैटिन शब्द " एस्पेरायर ' से हुई । इसका अर्थ है ' खुलना ' । रोम में इसी महीने फूल खिलते हैं बहार आती है अर्थात बसंत का आगमन होता था इसलिए शुरू में बसंत के आगमन के प्रतीक के रूप में इस माह का नाम ' एप्रिलिस ' रखा गया था । बाद में वर्ष के केवल दस महिने होने के कारण यह बसंत से काफी दूर होता चला गया । वैज्ञानिकों ने पृथ्वी के सही भ्रमण के बारे में भी लोगों को अवगत जानकारी दी एवं अवगत कराया । तब वर्ष में दो महिने और जोड़ कर एप्रिलिस का नाम पुनः सार्थक किया गया । धीरे - धीरे यह शब्द भी बोलचाल में सिकुड़कर सिर्फ ' एप्रिल ' रह गया और हिन्दी में इसका प्र उच्चारण अप्रैल हो गया ।
मई : रोमन देवता मरक्यूरी ( बुध ) की मां माया के नाम पर मई महीने का नाम रखा गया । मई महीने के नाम की उत्पत्ति लैटिन के ' मेजोरेस ' से भी मानी जाती है , जिसका मतलब ' बड़े बुजुर्ग रईस ' से है । इन्हीं रहसों के सम्मान में इस माह को मेजोरेस कहा गया जो अंग्रेजी में ' मे ' तथा हिन्दी में ' मई ' हो गया ।
जून : जिस तरह हमारे यहां इन्द्र को देवताओं का स्वामी माना गया है उसी तरह रोम में भी सबसे बड़े देवता जीयस हैं और उसकी पत्नी का नाम है ' जूनो ' । इसी 'जूनो' देवी के नाम से जून का नाम रखा गया । ऐसा माना जाता है कि इसी महीने लोग शादी करके अपना घर बसाते थे इसलिए परिवार के लिए इस्तेमाल होने वाले लैटिन शब्द ' जेन्स ' के आधार पर ' जून ' का नामकरण हुआ ।
जुलाई : पराक्रमी राजा जूलियस सीजर का जन्म और मृत्यु दोनों जुलाई में हुई । उनकी स्मृति में इस महीने का नाम जुलाई रख दिया गया ।
अगस्त : जूलियस सीजर के भतीजे आगस्टस सीजर ने अपने नाम को अमर बनाने के लिए ' सैक्सटिलिस ' माह का नाम बदल कर आगस्टस कर दिया जो बाद में बिगड़ कर सिर्फ अगस्त रह गया ।
सितम्बर : प्राचीन रोमन कैलेंडर में सितम्बर सातवां महीना था । इसलिए इसे ' सैप्टेम्बर ' कहा जाता था । सैप्टेम्बर में ' सेप्टै ' लैटिन शब्द है , जिसका अर्थ है सात और ' बर ' का अर्थ है ' वां ' । यानी सैप्टेम्बर का मतलब सातवा लेकिन बाद में यह नौवां महीना बन गया। यह नौवां महीना बन गया ।
अक्तूबर : प्राचीन कैलेंडर में अक्तूबर आठवा महीना था इसलिए इसे लैटिन शब्द ' ऑक्ट ' ( आठ ) के आधार पर अक्तूबर या आठवां कहते थे । दसवां महीना होने पर भी इसका नाम अक्तूबर ही चलता रहा ।
नवम्बर : लैटिन ' लोवेम ' के आधार पर नवम्बर को पहले ' नोवेम्बर ' यानी नवां कहा गया । ग्यारहवां महीना बनने पर भी इसका नाम नहीं बदला और इसे अंग्रेजी में नोवेम्बर तथा हिन्दी में नवम्बर कहा जाने लगा।
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