शहद और छत्ते की रक्षक मधुमक्खियां | मधुमक्खियों के बारे में रोचक जानकारी | मधुमक्खियां कितनी मेहनती होती है ?
मधुमक्खियों के बारे में रोचक जानकारी
जंगल में मधुमक्खियों के परिवार किसी पेड़ या शिला में बने छेद में रहती लेकिन यदि कोई मैत्रीपूर्ण ' बी कीपर ' (मधुमक्खी पालक ) गर्माहट भरे छत्ते ( मधुपेटियां ) उपलब्ध करवा दे तो वे बड़ी प्रसन्नता से उनमें रहने चली जाएंगी । इससे निश्चित रूप से मधुमक्खी पालकों को सहायता मिलेगी क्योंकि पेड़ों पर चढ़ कर शहद एकत्र करने की बजाय मधुपेटी में शहद निकालना बहुत आसान होता है ।
मधुमक्खियां कई प्रकार की होती हैं छोटी मधुमक्खियों में एपिस फ्लोरा सबसे छोटी होती है। इसका छोटा-सा छत्ता एक से 8 मीटर ऊपर किसी वृक्ष के तने पर या किसी झाड़ी पर लगा होता है। कई बार किसी गुफा की छत पर इस का छत्ता झूलता है। बड़ी मधुमक्खियों के छत्ते में शहद की मात्रा ज्यादा होती है।
सभी मधुमक्खियां छतों में रहना पसंद नहीं करती बहुत तरह की मधुमक्खियां अकेले रहती है बिलों या गड्ढों में ।
मधुमक्खियां युक्ति पूर्वक इसकी रक्षा करती हैं। और एक विशेष प्रकार की गोंद को छत्ते के चारों ओर लगा देती हैं। ताकि चीटियां वहां ना पहुंचें। बड़े जानवरों को छल द्वारा या फिर हमला कर के खदेड़ देती हैं। यह आपस में गुत्थमगुत्था होकर छत्ते के ऊपर एक कंबल जैसे कवच बना देती हैं।
जब मधुमक्खी पालक किसी मधुपेटी को खोलते हैं तो मधुमक्खियों के डंक से बचने के लिए खुद को एक विशेष प्रकार की पोशाक , दस्तानों तथा नकाब से पूरी तरह ढंक लेते हैं।
यदि घुसपैठिया इनकी ओर आता है तो यह छोटी-छोटी मधुमक्खियां अपना पेट फुला कर उसे ऊपर नीचे हिला कर कर एक विशेष प्रकार की भिन्न-भिन्ननाहट की ध्वनि निकलती है। जिससे भ्रमित होकर बहुत से जानवर भाग जाते हैं। अगर इतने पर भी घुसपैठिया ना भागे तो यह मधुमक्खियां छत्ते में से निकल कर हमला बोल देती हैं
मधुमक्खियों का कंबल जैसा आवरण तीन चौथाई मजदूर मधुमक्खियों का बना होता है। इसके साथ इसका सुरक्षात्मक तापमान भी छत्ते के तापमान को नियंत्रित रखता है। छोटी मधुमक्खियां ओमान, ईरान, पाकिस्तान, भारत, श्रीलंका, और दक्षिण एशिया के कुछ देशों में पाई जाती हैं।
मधुमक्खियां नृत्य क्यों करती हैं ?
जब किसी मधुमक्खी को प्रचुर मात्रा में भोजन मिल जाता है तो वह इसके बारे में अपने मित्रों को बताने के लिए छत्ते की ओर वापस उड़ जाती है । ऐसा वह नृत्य करके उन्हें समझाती है । नृत्य के दौरान गोल - गोल घूम कर वह अन्य मधुमक्खियों को उस जगह का सही पता बताती है जहां उन्हें जाना हो ।
मधुमक्खियां अपने साथ ' ब्रश तथा बास्केट्स ' क्यों ले जाती हैं ?
मधुमक्खियों की पिछली टांगों के ऊपर नन्हीं टोकरियां - सी बनी होती हैं तथा अन्य टांगों के ऊपर बालों के नन्हे ब्रश । जब कोई मधुमक्खी फूल पर उतरती है तो यह पराग नाम के एक पाऊडर को ब्रशों की सहायता से अपनी टोकरियों में एकत्र कर लेती है । फिर वह अपने नन्हों को यह पराग पिलाने के लिए वापस छत्ते की ओर उड़ जाती हैं ।
शहद बनाने के लिए मधु-रस या पराग एकत्र करना एक कड़ी मेहनत का काम है । एक जार भरने लायक शहद तैयार करने के लिए एक मधुमक्खी को पराग लाने के लिए एक करोड़ चक्कर लगाने पड़ते हैं ।
मधुमक्खियों के पास ना केवल ब्रश होते हैं कंगी भी होती है। यह उसकी अगली टांगों पर होती है और वे इसका इस्तेमाल अपने 'फीलर्स' को साफ करने के लिए करती हैं ।
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मधुमक्खियों के बारे में रोचक जानकारी
जंगल में मधुमक्खियों के परिवार किसी पेड़ या शिला में बने छेद में रहती लेकिन यदि कोई मैत्रीपूर्ण ' बी कीपर ' (मधुमक्खी पालक ) गर्माहट भरे छत्ते ( मधुपेटियां ) उपलब्ध करवा दे तो वे बड़ी प्रसन्नता से उनमें रहने चली जाएंगी । इससे निश्चित रूप से मधुमक्खी पालकों को सहायता मिलेगी क्योंकि पेड़ों पर चढ़ कर शहद एकत्र करने की बजाय मधुपेटी में शहद निकालना बहुत आसान होता है ।
मधुमक्खियां कई प्रकार की होती हैं छोटी मधुमक्खियों में एपिस फ्लोरा सबसे छोटी होती है। इसका छोटा-सा छत्ता एक से 8 मीटर ऊपर किसी वृक्ष के तने पर या किसी झाड़ी पर लगा होता है। कई बार किसी गुफा की छत पर इस का छत्ता झूलता है। बड़ी मधुमक्खियों के छत्ते में शहद की मात्रा ज्यादा होती है।
सभी मधुमक्खियां छतों में रहना पसंद नहीं करती बहुत तरह की मधुमक्खियां अकेले रहती है बिलों या गड्ढों में ।
मधुमक्खियां युक्ति पूर्वक इसकी रक्षा करती हैं। और एक विशेष प्रकार की गोंद को छत्ते के चारों ओर लगा देती हैं। ताकि चीटियां वहां ना पहुंचें। बड़े जानवरों को छल द्वारा या फिर हमला कर के खदेड़ देती हैं। यह आपस में गुत्थमगुत्था होकर छत्ते के ऊपर एक कंबल जैसे कवच बना देती हैं।
जब मधुमक्खी पालक किसी मधुपेटी को खोलते हैं तो मधुमक्खियों के डंक से बचने के लिए खुद को एक विशेष प्रकार की पोशाक , दस्तानों तथा नकाब से पूरी तरह ढंक लेते हैं।
यदि घुसपैठिया इनकी ओर आता है तो यह छोटी-छोटी मधुमक्खियां अपना पेट फुला कर उसे ऊपर नीचे हिला कर कर एक विशेष प्रकार की भिन्न-भिन्ननाहट की ध्वनि निकलती है। जिससे भ्रमित होकर बहुत से जानवर भाग जाते हैं। अगर इतने पर भी घुसपैठिया ना भागे तो यह मधुमक्खियां छत्ते में से निकल कर हमला बोल देती हैं
मधुमक्खियों का कंबल जैसा आवरण तीन चौथाई मजदूर मधुमक्खियों का बना होता है। इसके साथ इसका सुरक्षात्मक तापमान भी छत्ते के तापमान को नियंत्रित रखता है। छोटी मधुमक्खियां ओमान, ईरान, पाकिस्तान, भारत, श्रीलंका, और दक्षिण एशिया के कुछ देशों में पाई जाती हैं।
मधुमक्खियां नृत्य क्यों करती हैं ?
जब किसी मधुमक्खी को प्रचुर मात्रा में भोजन मिल जाता है तो वह इसके बारे में अपने मित्रों को बताने के लिए छत्ते की ओर वापस उड़ जाती है । ऐसा वह नृत्य करके उन्हें समझाती है । नृत्य के दौरान गोल - गोल घूम कर वह अन्य मधुमक्खियों को उस जगह का सही पता बताती है जहां उन्हें जाना हो ।
मधुमक्खियां अपने साथ ' ब्रश तथा बास्केट्स ' क्यों ले जाती हैं ?
मधुमक्खियों की पिछली टांगों के ऊपर नन्हीं टोकरियां - सी बनी होती हैं तथा अन्य टांगों के ऊपर बालों के नन्हे ब्रश । जब कोई मधुमक्खी फूल पर उतरती है तो यह पराग नाम के एक पाऊडर को ब्रशों की सहायता से अपनी टोकरियों में एकत्र कर लेती है । फिर वह अपने नन्हों को यह पराग पिलाने के लिए वापस छत्ते की ओर उड़ जाती हैं ।
शहद बनाने के लिए मधु-रस या पराग एकत्र करना एक कड़ी मेहनत का काम है । एक जार भरने लायक शहद तैयार करने के लिए एक मधुमक्खी को पराग लाने के लिए एक करोड़ चक्कर लगाने पड़ते हैं ।
मधुमक्खियों के पास ना केवल ब्रश होते हैं कंगी भी होती है। यह उसकी अगली टांगों पर होती है और वे इसका इस्तेमाल अपने 'फीलर्स' को साफ करने के लिए करती हैं ।
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Reviewed by Jeetender
on
July 08, 2021
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