समकालीन गयिकाओं में अलका याग्निक आज भारत के प्रमुख गायिका है। अलका याग्निक ने गत एक-दो दशकों से फिल्मों के लिए पार्श्व गायन की दुनिया में जिसे हम प्लेबैक सिंगिंग कहते हैं, एक तरह से अपना वर्चस्व सा बना रखा है।
कोलकाता में जन्मी पली अलका को बचपन से ही संगीत से लगाव था। उन्होंने छोटी आयु में ही बहुत से शिक्षकों से संगीत का सघन शिक्षा प्राप्त की।
उन्होंने कोलकाता रेडियो के लिए 6 वर्ष की आयु से ही भजन गाना प्रारंभ कर दिया था। शुरू-शुरू में गाना उनके लिए केवल एक शौक था परंतु जैसे-जैसे सफलता तथा प्रसिद्धि मिलती गई उन्होंने इस सफलता को गंभीर व्यवसाय के रूप में अपना लिया। इस जीत ने उन्हें प्रसिद्धि के शिखर तक पहुंचा दिया, वह था 'तेजाब' फिल्म का गीत 'एक, दो, तीन'। इस गीत को उन्होंने लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल के संगीत निर्देशन में गाया था। जिसे माधुरी दीक्षित पर फिल्माया गया था।
करियर के शुरुआती दौर में आमिर खान तथा जूही चावला अभिनीत पहली फिल्म कयामत से कयामत तक के गीतों ने भी अलका याग्निक की लोकप्रियता को बढ़ाने में बहुत सहायता दी
तब से एक के बाद एक उनके गीत हिट हिट होते चले गए, जिससे उनके नजदीकी प्रतिस्पर्धा उनसे काफी पिछड़ गए। अपने छोटे से संगीत करियर में अलका ने 3 फिल्म फेयर अवार्ड तथा दो राष्ट्रीय अवार्ड प्राप्त किए। संगीत सामग्री लता मंगेशकर की वह बिल्कुल सही उत्तराधिकारी दिखाई देती हैं।
❤❤❤सच्चा प्यार मधुर प्रेम❤❤❤
- यदि कोई आपस क्रोध से बोलता है उस पर प्यार का अमृत बरसाओ।
- प्यार से सच्चे, मधुर शब्द बोलने पर कोई धेला पाई खर्च नहीं होता।
- प्यार से बोला हुआ एक शब्द अनेकों दुखी ह्रदयों को सांत्वना देता है।
- वहां ईर्ष्या नहीं रह सकती यदि मैं प्यार के वास्तविक गुण को जानता हूं।
- सदा विनय का वेश धारण करो। तुम्हें दूसरों का प्यार और सहयोग मिलेगा।
- तुम्हारे अपने स्वभाव से बढ़कर और कोई दुखी नहीं दे सकता। अपने स्वभाव को मधुर और प्रेम पूर्ण बनाओ, तब सब तुमसे प्यार करेंगे।
- दूसरों के प्रति प्यार दया का भाव भी दान का रूप है।
- आत्म सम्मान तथा प्रभु भक्ति से आपके लिए अन्य प्राणियों की प्रशंसा करना सरल हो जाता है।
- प्यार सार्वभौमिक है वह असीम है।
- प्रभु प्रेम से आप सारी मानव जाति से प्रेम करने लगते हैं और किसी से घृणा नहीं करते। किसी के प्रति व्यक्तिगत प्यार आप को एक से बांध देता है और अनेकों से आप घृणा करने लगते हैं।
- यदि आप नित्य और सनातन नियम को अपनाएंगे तो आप प्यार के महत्व को समझ सकते हैं।
- परमात्मा तो पापियों से भी प्यार करते हैं। हम सब परमात्मा के पुत्र हैं। इस नाते मुझे क्या अधिकार है कि मैं उसके बच्चे से घृणा करूं।
- जितना अधिक किसी से प्यार करोगे उतना अधिक प्यार तुम्हें प्राप्त होगा। जितना अधिक आप में प्यार भाव होगा, तो उसे बांटना उतना ही सुगम होगा।
- हृदय विदीर्ण करने वाला प्यार कोई प्यार नहीं होता।
- यदि कोई कार्य प्यार की भावना से किया जाता है तब हमें तुरंत सफलता मिलती है।
- परमात्मा का प्यार पाने के लिए मानव जाति से प्यार करना होगा।
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