एमिल जातोपेक एथलीट (चेकोस्लोवाकिया)
एमिल जातोपेक एथलीट
चेकोस्लोवाकिया की धरती पर पैदा हुए महान एवं जुझारू एथलीट एमिल जातोपेक ऑलिंपिक इतिहास के एकमात्र ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्होंने एक ही ओलंपिक में 5 हजार मीटर और 10 हजार मीटर की दौड़ के साथ-साथ मैराथन दौड़ जीतने का अद्भुत प्रदर्शन किया।
यह 1952 के हेलसिंकी ऑलिंपिक की घटना है, जहां एमिल जातोपेक खेलों के इतिहास में स्वर्णिम इतिहास लिखा। जिसकी बराबरी आज तक कोई नहीं कर पाया है। दिलचस्प बात यह है कि 1952 के इसी ऑलिंपिक में एमिल जातोपेक की जीवन संगिनी डाना ने भी महिलाओं को जैवलिन थ्रो स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता था। इस तरह जतोपेक दंपति ऑलिंपिक में एक साथ स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले दंपति बन गए
एमिल जातोपेक ने अपने करियर की शुरुआत 1948 में की तथा 10 हजार मीटर स्पर्धा जीतना और विश्व स्तर पर अपना वर्चस्व कायम रखना उनके बाएं हाथ का खेल बन गया था। इस बात का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि उन्होंने लगातार 38 अवसरों पर 10 हजार मीटर की दौड़ जीती, उनके वर्चस्व को लंबे समय तक चुनौती देने वाला कोई नहीं था।
1948 के लंदन ऑलिंपिक में उन्होंने 10 हजार मीटर की दौड़ में अपना पहला स्वर्ण पदक जीता तथा इसके पश्चात वह मैराथन दौड़ में अपने अपना भाग्य आजमाने के लिए मैदान में थे। मजे की बात यह थी कि इस ऑलिंपिक मैराथन में हिस्सा लेने से पूर्व एमिल जातोपेक ने कभी भी (अभ्यास के दौरान भी) दौड़कर 42 किलोमीटर की दूरी तय नहीं की थी।
बावजूद इसके उन्होंने इस समय के विश्व रिकॉर्डधारी ब्रिटेन के जिम पीटर्स की मौजूदगी में मैराथन का ऑलिंपिक स्वर्ण पदक झटक कर बड़ा सनसनीखेज प्रदर्शन किया।
एमिल जातोपेक1956 के लंदन ऑलिंपिक में मैराथन का स्वर्ण पदक फिर से हासिल करने के लिए जबरदस्त तैयारी कर रहे थे, मगर इसी बीच हर्निया का शिकार हो जाने के कारण चिकित्सकों ने उन्हें 2 महीने तक बिस्तर पर ही आराम करने की सलाह दी थी।
मगर उसकी परवाह किए बिना जातोपेक ने अपना पुनः अभ्यास शुरू कर दिया और मेलबर्न ऑलिंपिक में एक बार फिर ट्रैक पर अवतरित हुए। उनका शरीर काफी कमजोर हो गया था। मगर उनकी इच्छाशक्ति अभी भी चरम पर थी। इसी की परिणति थी कि वह छठे स्थान पर रहे। उनकी शारीरिक हालत को देखते हुए उनका यह प्रदर्शन साहस की एक मिसाल के रूप में देखा जाता है।
एमिल जातोपेक एक बेहद गरीब परिवार में जन्मे थे। उनके घर के हालात इतने दयनीय थे कि उन्हें बचपन में ही एक जूतों की दुकान में काम करना पड़ा था। 13 वर्ष की उम्र में एथलेटिक जगत में कदम रखने वाले एमिल जातोपेक ने 1948 में लंदन ऑलिंपिक में पहली बार भाग लेने से पूर्व अपने देश की सेना में भी कार्य किया ।
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