अटलांटिक के पार
विशेषज्ञों को इस बात की हैरानी थी कि धरती के गोलाकार होने के बावजूद सीधी रेखा में सफर करने वाली श्रवण तरंगें आखिर कोर्नवाल से चल कर न्यूफाउण्डलैंड में कैसे रिसीव की गईं । उनके अनुसार तो कोर्नवाल से चलने वाली तरंगें सीधी पंक्ति में सफर करती हुई अंतरिक्ष में कहीं खो गई थीं ,
परंतु मारकोनी की श्रवण तरंगें खोई नहीं और इस नई उपलब्धि ने सदा के लिए सम्पर्क की नई परिभाषाएं लिख डालीं । उल्लेखनीय है कि मारकोनी ने रेडियो का आविष्कार इटली स्थित बोलोगना में अपने घर की पड़छत्त में किया था । 1894 में उन्होंने पहली रेडियो तरंगें निकालीं ।
मारकोनी ने सुना था कि जर्मन वैज्ञानिक हेइनरिख हर्ट्ज़ ने 1888 में रेडियो तरंगों के होने का प्रमाण दिया था । जब मारकोनी ने अपना प्रयोग किया तो उसने पाया कि उसके उपकरण से निकलने वाली रेडियो तरंगें उसकी पड़छत्त के दूसरे छोर पर रखी घंटी बजाने की क्षमता रखती हैं ।
उसने फिर अपने उपकरण में कई सुधार किए और करीब एक वर्ष बाद वह 3.2 किलोमीटर की दूरी तक रेडियो तरंगें भेजने में सफल रहा । 1874 में जन्मे गग्लील्मो मारकोनी के पिता इतालवी और माता आयरिश थीं । वह एक सम्पन्न परिवार से थे इसलिए उन्होंने प्रारम्भिक शिक्षा घर पर ही निजी शिक्षकों से ग्रहण की । फिर कुछ समय के लिए वह लिवोर्नो स्थित टैक्नीकल इंस्टीट्यूट में पढ़े ।
मात्र 20 वर्ष की आयु में । उन्होंने रेडियो के आविष्कार के लिए काम करना आरंभ किया था । उन्होंने हर्ट्ज तथा फ्रांसीसी वैज्ञानिक एडुआर्ड ब्रान्ले द्वारा किए गए शोधों में सुधार करके उपलब्धि हासिल की ।
डा. अलैग्जैंडर ग्राहम बैल टेलीफोन का आविष्कार
" मिस्टर वॉट्सन , कृपया यहां आइए आपसे कुछ काम है । " यह टैलीफोन पर भेजा गया दुनिया सबसे पहला संदेश था । और वॉट्सन को बुलाने वाले महाशय थे डा . अलैग्जैंडर ग्राहम बैल , उनहोंने इस यंत्र का आविष्कार किया । उनके सहायक टॉमस वॉट्सन तब कमरे में थे ।
वॉट्सन , जो उस वक्त फोन के सर्किट के अंतिम छोर पर एक अलग मंजिल पर थे , अपने रिष्ठ सहयोगी की आवाज सुन कर खुशी से फूले न समाए । वह फौरन दौड़ कर बैल महाशय के कमरे में पहुंच गए ।
डा . बैल को वॉट्सन की जरूरत एक खास काम के लिए आ पड़ी । अपने प्रयोग का सामान जुटा ने के बाद वह प्रयोग शुरू करने ही वाले थे कि उनकी पतलून पर थोड़ा - सा तेजाब छलक पड़ा , इसलिए उन्होंने फौरन सहायक को आवाज लगाई कि आ कर वहां फैले द्रव को साफ करे ।
वॉट्सन , जो उस वक्त फोन के सर्किट के अंतिम छोर पर एक अलग मंजिल पर थे , अपने वरिष्ठ सहयोगी की आवाज सुन कर खुशी से फूले न समाए । वह फौरन दौड़ कर बैल महाशय के कमरे में पहुंच गए । उन्हें यह बताने कि उनका प्रयोग सफल हो गया है ।
" डा . बैल ने खुश होकर अपने सहायक को बेल कम्पनी में 10 प्रतिशत का भागीदार बनाया । बेल कम्पनी इस प्रयोग के साल भर बाद सन् 1877 में स्थापित की गई । उसमें भागीदार बन जाने के बाद वॉट्सन को धनवान बनते देर न लगी । डा . अलैग्जैंडर ग्राहम बेल का जन्म स्काटलैंड में हुआ था ।
उनके पिता गूंगे बहरों को बोलना सिखाते थे और उन्होंने इस विषय पर पुस्तकें भी लिखी थीं । बैल परिवार 1870 में कनाडा में आकर बस गया था । वॉट्सन से बैल का परिचय 1874 के आसपास हुआ और दोनों घनिष्ठ मित्र व सहकर्मी बन गए । उपर्युक्त प्रयोग के समय बैल की आयु 29 वर्ष थी ।
सन् 1915 में बैल और वॉट्सन के बीच एक और ऐतिहासिक बातचीत हुई । अवसर था उत्तरी अमेरिका के आर - पार टैलीफोन सेवा के उद्घाटन का । अलैग्जैंडर बेल ने न्यूयार्क से वही वाक्य बोला जो उन्होंने 39 वर्ष पहले बोला था ,
" मिस्टर वॉट्सन , कृपया यहां आइए । मुझे कुछ काम है । " उधर वॉट्सन ने सान फ्रांसिस्को से जवाब दिया , " मुझे आने में बहुत खुशी होगी लेकिन वहां पहुंचने में करीब एक सप्ताह लग जाएगा । तब व्यापारिक हवाई जहाज नहीं उड़ते थे ।
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