अंडे में चूजा सांस कैसे लेता है ?
बच्चे अक्सर यह प्रश्न पूछते हैं कि अंडे में चूजा सांस कैसे लेता है ? क्योंकि अंडे में चूजे के लिए भोजन की पर्याप्त मात्रा तो स्पष्ट दिखाई देती है मगर सांस लेने के लिए कोई छेद वगैरा नज़र नहीं आता । अंडे में चूज़े के सांस लेने का रहस्य अंडे के बाहरी सख्त खोल में ही छिपा हुआ है ।
अंडे का खोल , जो उसके अंदर के भ्रूण व उसके भोजन को सुरक्षा प्रदान करता है , में वायु के आने - जाने के लिए हज़ारों अतिसूक्ष्म छेद होते हैं । इन छेदों में से ही भ्रूण सांस लेता है । यदि अंडे के ऊपरी सतह पर किसी लेप के माध्यम से ढक दिया जाए तो अंडे के खोल छिद्रों के बंद होने के कारण भ्रूण की मृत्यु हो जाती है ।
अंडे की भीतरी रचना
अंडे में एक पारदर्शी तरल सा पदार्थ भरा रहता है , जिसे ऐलब्यूमन कहा जाता है । ऐलब्यूमन एक तरह का प्रोटीन है , जो अंडे के भीतरी भ्रूण को झटकों से सुरक्षा प्रदान करती है , इससे भ्रूण खुराक नहीं लेता । गर्म करने पर यह सफेदी ठोस पदार्थ में बदल जाती है ।
इस तरल के अंदर पीले रंग का एक गोलाकार पदार्थ पड़ा होता है , जिसे जर्दी कहा जाता है । उबले हुए अंडे को काट कर इन दोनों हिस्सों को आसानी से देखा जा सकता है । जर्दी को यदि कुछ ध्यान से देखा जाए तो इसके ऊपर एक सफेद रंग का धब्बा नज़र आएगा । यही भ्रूण जिससे चूज़ा बनता है ।
अंडे में जर्दी की भूमिका महत्वपूर्ण होती है । जर्दी में प्रोटीन , चर्बी , विटामिन तथा अन्य जरूरी तत्व भरे होते हैं । असल में विकसित हो रहा चूज़ा जर्दी से ही भोजन प्राप्त करता है । अलग - अलग जंतुओं के अंडों में जर्दी की मात्रा भिन्न - भिन्न होती है ।
जो जंतु सीधे बच्चों को जन्म देते हैं उनके अंडों में जर्दी की मात्रा कम होती है , जबकि पक्षियों के अंडों में भ्रूण लम्बे समय तक अंडे में ही विकसित होता रहता है , इसलिए उनमें भोजन का भंडार अधिक होता है एक और प्रश्न पैदा होता है कि अंडे में ऐसा क्या प्रबंध है जो अंडे की भीतरी चीजों को खास स्थिति में टिकाए रखता है ?
असल में अंडे के भीतर जर्दी को बांध कर रखने वाली दो सफेद गुंथी हुई रस्सी जैसी रचनाएं होती हैं , जिन्हें ' कलाज़ा ' कहा जाता है ।
अंडे में सूक्षम छेद
अंडे के खोल में हज़ारों सूक्ष्म छेद होते हैं तथा हर छेद का आकार लगभग 0.017 मिलीमीटर होता है । आमतौर पर अंडे के खोल का क्षेत्रफल 70 वर्ग मि.मी के करीब होता है । इस तरह हवा के आने - जाने के लिए छेदों का कुल क्षेत्रफल मिला कर 2-3 वर्ग मिलीमीटर बन जाता है ।
इन छेदों में से चूजे के विकसित होने के 21 दिन के भीतर 6 लीटर ऑक्सीजन अंडे के अंदर सोख ली जाती तथा साढ़े 4 लीटर कार्बनडाइऑक्साइड बाहर छोड़ी जाती है ।
वायु की थैली
अंडे के बाहरी खोल के अंदर एक सफेद रंग की झिल्ली देखने को मिलती है । पहली नज़र में हमें केवल यह एक ही झिल्ली दिखाई देती है लेकिन ज़रा ध्यान से देखने पर पता चलता है कि वास्तव में ये दो झिल्लियां हैं जो आपस में चिपकी हुई हैं । अंडे के चपटे सिरे की ओर एक हवा वाली थैली होती है ।
यह थैली पहले बताई गई झिल्ली की दो परत के मध्य होती है । यदि सेने पर बैठी मुर्गी द्वारा विकसित किए जा रहे अंडों को तोड़ा जाए तो हवा की थैली की दिल्ली में बहुत सी खून की नलिया देखी जा सकती है। भ्रूण इस खून की नालियों के रास्ते हवा की थैली से सांस लेने के लिए ऑक्सीजन प्राप्त करता है और कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ता है।
अंडे में जैसे-जैसे चूजा बड़ा होता जाता है उसकी स्वास प्रक्रिया की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए हवा की थैली भी धीरे-धीरे बड़ी होती जाती है । अंडे में से बाहर आने के लगभग 20 घंटे पहले चूजा हवा की थैली को फाड़ देता है तथा फेफड़ों से सांस लेना शुरू कर देता है ।
अंडे को उबलने पर वह अंदर से ठोस क्यों हो जाता है ?
कच्चा अंडा तोड़ने पर तो तरल होता है पर उबलने के बाद वह ठोस हो जाता है । यह देखने में अद्भुत लगता है और उत्सुकतावश जानने की इच्छा होती है ऐसा क्यों होता है ? क्योंकि अंडे के भीतरी भाग में एक विशेष प्रकार का प्रोटीन होता है
जो सामान्य तापमान में तरल रहता है और गर्म करने पर रासायनिक क्रिया होने से प्रोटीन विखंडित होकर ठोस आकार में आ जाता है । वैसे अंडे का प्रोटीन तरल होने पर भी पानी में नहीं घुलता । अंडे के पीले भाग में वसा अधिक होती है ।
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