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संत निकोलस कैसे बना सांता क्लॉस | सांता क्लॉस कौन है जिसका बाइबल में नहीं है उल्लेख | क्रिसमस ट्री क्यों सजाया जाता है ?

सांता क्लॉस का परिचय


संत निकोलस कैसे बना सांता क्लास | सांता क्लास कौन है जिसका बाइबल में नहीं है उल्लेख | क्रिसमस ट्री क्यों सजाया जाता है | क्रिसमस क्यों मनाया जाता है


सांता किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं । विश्व भर के बच्चों को प्यार करने वाले सांता क्लास क्रिसमस पर विशेष रूप से बच्चों के लिए प्रेमोपहारों के प्रतीक एक दयालु बाबा हैं जिनका सफेद दुग्ध धवल दाढ़ी युक्त मुस्कुराता , स्नेह बरसाता चेहरा असंख्य लोगों के दिलों में बसा हुआ है । 



आज क्रिसमस के पर्व पर हम आपको बता रहे हैं इन्हीं सांता के बारे में कुछ बातें । सांता क्लॉस की कहानी सैंकड़ों वर्ष पूर्व के संत निकोलस नामक एक पवित्रात्मा से जुड़ी हुई है । ऐसी मान्यता है । कि संत निकोलस का जन्म ईस्वी सन् 280 के आसपास मायरा के पतारा नामक स्थान पर हुआ था । 




वर्तमान में यह स्थान तुर्की में है । दूसरों के प्रति अपनी कृपा और दया भावना के लिए बहुप्रशंसित संत निकोलस अपने नेक कार्यों के कारण अनेक दंत कथाओं के पात्र बन गए । उनके बारे में कहा गया है कि उन्हें जितनी भी धन सम्पदा विरासत में मिली थी , वह सब उन्होंने स्थान स्थान की यात्रा करके ग्राम्यांचलों में बसने वाले गरीबों और बीमारों के बीच बांट दी । 



संत निकोलस के बारे में कही जाने वाली सर्वाधिक लोकप्रिय कथा के अनुसार उन्होंने तीन गरीब बहनों की उस समय रक्षा की जब उनका पिता उन्हें गुलामी अथवा वेश्यावृत्ति के लिए बेचने जा रहा था । दंतकथा के अनुसार संत निकोलस ने उन लड़कियों हेतु दहेज उपलब्ध करवाया ताकि उनका विवाह करवाया जा सके । 



वर्ष बीतते गए । समय के बीतने के  साथ - साथ संत निकोलस की लोकप्रियता भी बढ़ती चली गई और लोग उन्हें बच्चों और नाविकों के मसीहा के रूप में जानने लगे । उनका भोज दिवस 6 दिसम्बर को उनकी बरसी पर मनाया जाता है। पारम्परिक रूप से इस दिन को विवाहों अथवा व्यापक स्तर पर् खरीदारी के लिए शुभ दिन माना जाता है । 



पुनर्जागरण काल आते - आते संत निकोलस यूरोप के सर्वाधिक लोकप्रिय संत बन गए । प्रोटैस्टैंट सुधार काल के दौरान जब संतों के प्रति श्रद्धा भावना को हतोत्साहित किया जा रहा था , तब भी संत निकोलस की प्रतिष्ठा यथावत रही और समय के प्रवाह के साथ - साथ उनके नाम के साथ अनेक दंत कथाएं जुड़ती गईं । जिनमें आज भी वृद्धि हो रही है । 



यही संत निकोलस बाद में बच्चों के प्रिय सांता क्लॉस बन गए । सांता क्लास के बारे में कहा जाता है क्रिसमस की पूर्व रात्रि को वे न्यूयार्क के शापिंग क्षेत्र में उतरते हैं ।


क्यों सजाया जाता है क्रिसमस ट्री

                     

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' क्रिसमस ट्री ' बनाने या सजाने का शौक अधिकांश बच्चों को होता है परंतु क्या आपने कभी यह जानने की कोशिश की  है कि आखिर इस पर्व पर ' क्रिसमस ट्री ' सजाने की परंपरा कैसे और क्यों चली ? 




हालांकि इस बारे में कोई स्पष्ट जानकारी तो उपलब्ध नहीं है परंतु कई ऐतिहासिक उदाहरण इस रिवाज के उद्गम की ओर इशारा करते हैं । हजारों वर्ष पूर्व लोगों का मानना था कि सदाबहार वृक्षों में कुछ जादुई शक्तियां होती हैं । कड़ाके की सर्दी में जब सारी हरियाली सूख जाती है या नष्ट हो जाती है , तब भी ये वृक्ष भरे रहते हैं । 




इसीलिए इन पेड़ों को ' जीवन ' का द्योतक माना जाता है और कहा जाता है कि ये वृक्ष संदेश देते हैं कि धूप एवं वसंत पुनः लौट कर आएंगी । इन दिनों मोमबत्तियों या बिजली वाली रंग - बिरंगी रोशनियों से क्रिसमस ट्री को सजाया जाता है । यह रोशनी भी सर्द मौसम के अंधकार के पश्चात वसंत की रंग - बिरंगी छटा के लौटने का प्रतीक होती है । 




पुरातनकालीन रोम में दिसम्बर माह में मनाए जाने वाले एक पर्व के अवसर पर जनता द्वारा अपने घरों एवं मंदिरों को हरियाली से सजाया जाता था । इस दौरान खुशनुमा माहौल होता था । किसी प्रकार के युद्ध नहीं होते थे । स्कूलों में छुट्टियां होती थीं तथा हर ओर उतस्व की चकाचौंध नजर आती थी । 




लोग एक - दूसरे को उपहार देते थे । इस परम्परा ने भी हरियाली के महत्व की सीख दुनिया को दी । आधुनिक काल में लोग घरों के अंदर भी ' क्रिसमस ट्री ' सजाने लगे हैं । इस रिवाज के पीछे भी एक दन्तकथा है । कहा जाता है कि यह रिवाज जर्मनी के एक पादरी मार्टिन लूथर द्वारा चलाया गया था । 




उनका जन्म 1483 में हुआ था तथा 1546 में उनकी मृत्यु हुई । वह एक अच्छे चर्च सुधारक भी थे । एक सर्द रात को जब वह घर लौट रहे थे तो उन्होंने पेड़ों की शाखाओं में से टिमटिमाते सितारों का सुहाना दृश्य देखा । लूथर के दिलोदिमाग में वह मंजर बस गया । घर पहुंच कर उन्होंने इसकी चर्चा अपने परिवार से की। 




उन्हें उस दृश्यावली के बारे में सही ढंग से समझाने हेतु वह जंगल में गए और एक छोटा फर का पेड़ काट लाए । लूथर ने उस पेड़ को घर के अंदर लाकर मोमबत्तियों से सजाया , जिन द्वारा वह टिमटिमाते सितारों को दर्शाना चाहते थे । 




बस तभी से क्रिसमस ट्री को रोशनी से सजाने का रिवाज चल निकला और यह परम्परा जर्मनी होती हुई पूरे विश्व में फैल गई । इंगलैंड में पहली बार क्रिसमस ट्री रानी विक्टोरिया के राजकुमार एल्बर्ट के साथ विवाह के पश्चात नजर आया । चूंकि प्रिंस एल्बर्ट जर्मन थे , 




इसलिए 1841 में लंदन के निकट स्थित विंडसर कैसल में क्रिसमस ट्री सजाया गया ताकि वह अपनी मातृभूमि की याद ताजा कर सकें ।अमेरिका में क्रिसमस ट्री की परम्परा का आगमन इंगलैंड तथा जर्मनी से वहां गए आप्रवासियों के जरिए हुआ । यह बात 19 वीं शताब्दी के आरंभ की है । 




क्रिसमस ट्री का उद्गम कहीं भी हुआ हो परंतु हर उस व्यक्ति के लिए , जो क्रिसमस मनाता है , यह जगमगाता एक सुंदर सजीला वृक्ष एक सुखद अनुभूति होता है ।




 🙏दोस्तों अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी हो तो आप कमेंट करना ना भूलें नीचे कमेंट बॉक्स में अपनी कीमती राय जरूर दें। Discovery World Hindi पर बने रहने के लिए हृदय से धन्यवाद ।🌺



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संत निकोलस कैसे बना सांता क्लॉस | सांता क्लॉस कौन है जिसका बाइबल में नहीं है उल्लेख | क्रिसमस ट्री क्यों सजाया जाता है ? Reviewed by Jeetender on October 23, 2021 Rating: 5

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