सिलिकॉन क्या है सिलिकॉन चिप तैयार करने में इसकी क्या भूमिका है ?
इस पैनल के मध्य में छोटा - सा वर्ग सिलिकॉन चिप है , जिसके सर्किट्स एक छोटे कम्प्यूटर को चलाने में सक्षम हैं । |
सिलिकॉन क्या होता है ?
एक ऐसा पदार्थ जिसकी खोज ने इलेक्ट्रॉनिक जगत में तहलका मचा दिया । वह पदार्थ था सिलिकॉन, यह एलमुनियम की तरह चमकदार ठोस पदार्थ होता है।
सिलिकॉन पृथ्वी पर प्रचुर मात्रा में पाया जाता है क्योंकि पृथ्वी की पपड़ी अधिकतर सिलिकॉन से ही बनी है परन्तु सिलीकॉन स्वतंत्र रूप से नहीं पाया जाता क्योंकि यह अन्य पदार्थों के साथ मिश्रित अवस्था में होता है । सिलिकॉन एक रासायनिक पदार्थ है इसका रसायनिक सूत्र अथवा सिंबल '( Si )' होता है सामान्य तापमान में यह ठोस अवस्था में पाया जाता है।
सिलिकॉन की प्रकृति
* परमाणु संख्या 14
* परमाणु भार 28
* अवस्था ठोस
* क्वथनांक( उबलाव ) 2355 डिग्री सेल्सियस
* गलनाक 1410 डिग्री सेल्सियस
*घनत्व 2.33gm/cm^3
*ऑक्सीकरण अवस्था +4
*वैद्युतीयऋणात्मकता 1.9
*परमाणु त्रिज्या 111 PM
*ध्वनि की गति 8433 m/s
सिलिकॉन जब अपने शुद्ध अवस्था में होता है तब यह एलमुनियम की तरह चमकता हुआ दिखाई देता है। 1823 में इसकी खोज स्वीडन के केमिस्ट जकब बज्रेलियस तथा लेवेसियर ने की थी।
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1969 में चंद्रमा पर गए अपोलो (11) मैं अंतरिक्ष यात्रियों ने अपने साथ एक सिलिकॉन की डिस्क लेकर गए जिस पर उनके सारे ग्रुप मेंबर्स के नाम तथा 73 संदेश थे। इन्होंने इस डिस्क को चंद्रमा की सतह पर छोड़ा । अंतरिक्ष यात्रियों ने इसके लिए सिलिकॉन डिश का इस्तेमाल इसलिए किया क्योंकि सिलिकॉन लंबे समय तक खराब नहीं होता है।
विश्व में सर्वाधिक सिलिकॉन उत्पादन देश चीन है इसलिए उसे सिलिकॉन वैली भी कहा जाता है। चीन विश्व में सबसे ज्यादा इलेक्ट्रॉनिक मैं इस्तेमाल होने वाली सिलिकॉन चिप का निर्माण करता है। विभिन्न देशों मैं सिलिकॉन की मांग को चीन ही पुरा करता है जिसमें भारत भी शामिल है
सिलीकान चिप
माइक्रोचिप या सिलिकॉन चिप ने इलैक्ट्रॉनिक जगत को एक नई दिशा देकर इसका रंग ही बदल दिया है । इसी के कारण इलैक्ट्रानिक कैल्कुलेटर्स, पर्सनल कम्प्यूटर्स , डिजीटल घड़ियों , माइक्रोवेव अवन इत्यादि को बनाने के लिए मार्ग प्रशस्त हुआ । सिलिकॉन चिप्स सिलिकॉन के नन्हे रवे ( क्रिस्टल्स ) होते हैं , जिनमें बड़ी संख्या में इलैक्ट्रॉनिक घटक होते हैं ।
एक वर्ग सैंटीमीटर की एक चिप में लगभग 10 लाख इलैक्ट्रॉनिक घटक या पुर्जे समा सकते हैं । चिप का आकार हमारी उंगली के सिरे से भी छोटा होता है । इन्हें बहुत छोटे इलैक्ट्रिक सर्किट्स , जिन्हें माइक्रोसर्किट्स कहा जाता है के लिए बनाया जा सकता है । इन्हें ट्रांजिस्टर रेडियो , डिजिटल घड़ियों , कैल्कुलेटर्स तथा कम्प्यूटर्स में इस्तेमाल किया जाता है ।
इन्हें छोटे इलैक्ट्रॉनिक उपकरणों में इस्तेमाल किया जा सकता है क्योंकि चिप बहुत छोटी होती है । परन्तु क्या आप जानते हैं कि यह सिलिकॉन चिप्स बनाई कैसे जाती है । सिलिकॉन चिप्स सिलिकॉन के एक ही रवे से तैयार की जाती हैं । एक ही रवे से 0.5 मिलीमीटर मोटाई के पतले आजकल माइक्रोचिप्स का इस वेफर्स काटे जाते हैं ।
प्रत्येक वेफर या बिस्कुट की एक तरफ को पहले पॉलिश किया जाता है और फिर एक भट्ठी में इन्हें ऑक्सीडाइज्ड किया जाता है । फिर इस डिस्क को फोटोरोधी पदार्थ से ढंका जाता है और फिर इस पर एक मास्क में से पराबैंगनी किरणें डाली जाती हैं । इससे एक रोशनी प्रति संवेदनशील परत बन जाती है तथा बाकी के अनावृत भागों को साल्वेंट की मदद से गला दिया जाता है ।
अनएक्सपोज्ड ( आवृत्त ) भागों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता । अत : पैटर्न मास्क के समान रहता है । अनावृत भागों पर हाईड्रोफ्लोरिक अम्ल की सहायता से उत्कीर्णन किया जाता है । एक अन्य विलायक बचे - खुचे भाग को उतार देता है । एक भट्ठी में वेफर के रसायनों में डाला जाता है जो आक्साइड गैप्स में से होते हुए इसमें प्रवेश करते हैं और ट्रांजिस्टर का निर्माण करते हैं । इस प्रक्रिया को कई बार दोहराया जाता है ।
वेफर पर एल्यूमिनियम की परत चढ़ाई जाती है तथा धातु का एक अंतिम परत घटकों को एक - दूसरे के साथ जोड़ती है। सतर्कता पूर्वक जांच के बाद चिप का चुनाव किया जाता है तथा इन्हें इस्तेमाल के लिए जारी किया जाता है ।आजकल माइक्रोचिप्स का इस्तेमाल इलेक्ट्रॉनिक स्युइंग मशीनों, वाशिंग मशीनों, वर्ड प्रोसेसर, प्रोसैससर्स आदि कई तरह के उपकरणों में किया जाता है।
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