चुंबनों से भरा डिब्बा (कहानी)
चुंबनों से भरा डिब्बा 💋💋💋
यह कहानी कुछ इस प्रकार है कि कुछ समय पूर्व एक व्यक्ति ने सुनहरी पन्नी वाले चमकीले कागज का एक रोल खराब कर देने के लिए अपनी तीन वर्षीय नन्ही बेटी को खूब डांटा । यह व्यक्ति धनाभाव से पीड़ित था और जब उसे यह पता चला है कि उसकी बेटी ने क्रिसमस वृक्ष के नीचे रखने के लिए एक डिब्बे को सुनहरी पन्नी वाले चमकीले कागज से सजाने की कोशिश की थी तो वह अपना आपा खो बैठा था ।
पिता द्वारा प्रताड़ित किए जाने के बावजूद यह बच्ची अगली सुबह उसके लिए यह डिब्बा उपहार स्वरूप लेकर आई और उनसे बोली , " यह आपके लिए है पिता जी । " अपनी बच्ची की यह बात सुन कर वह व्यक्ति एक पल के लिए तो यह सोच कर परेशान हो उठा कि उसने अपनी बच्ची की छोटी सी भूल पर आवश्यकता से कुछ अधिक ही प्रतिक्रिया व्यक्त की थी ।
यह सोच कर वह अभी स्वयं को संयत कर ही रहा था कि एकाएक उसका क्रोध एक बार फिर भड़क उठा जब उसने यह देखा कि उसकी बेटी ने उसे जो डिब्बा दिया था , वह तो अंदर से खाली था ।
उसने पुन : उस पर नाराज होते हुए कहा , " क्या तुम्हें यह बात मालूम नहीं है कि जब हम किसी को कोई उपहार भेंट करते हैं तो उसे प्राप्त करने वाला यह आशा करता है कि उपहार के उस डिब्बे के भीतर कुछ रखा गया होगा ? अपने पिता का डांट भरा कथन सुन कर नन्ही बच्ची ने अश्रुपूरित नेत्रों से उनकी ओर निहारा और बोली ,
" पिता जी ! यह खाली नहीं है । इस डिब्बे को मैंने अपने चुम्बनों से भर रखा है ... और वे सब के के सब आपके लिए हैं । यह मासूम जवाब सुन कर पिता द्रवित हो उठा । उसने बांहें आगे बढ़ा कर नन्ही बेटी को अपनी आगोश में ले लिया और उससे क्षमा याचना करने लगा ।
वह व्यक्ति अगले कई वर्षों तक उस सुनहरी पन्नी वाले चमकीले कागज से सजाया हुआ डिब्बा अपने सिरहाने रख कर सोता रहा और जब कभी भी उदास होता तो उस डिब्बे में से एक काल्पनिक चुम्बन निकाल कर अपनी बेटी के उस स्नेह को याद कर लेता जो उसने इन ' अदृश्य ' चुम्बनों के रूप में इस डिब्बे में भर रखा था ।
शिक्षा : यदि हम एक प्रकार से देखें तो हम सब लोगों को परम पिता परमेश्वर ने हमारे बच्चों , परिवार के सदस्यों तथा मित्रों के माध्यम से असीम स्नेह से भरा एक सुनहरी डिब्बा दे रखा है । हमारे लिए इससे बढ़ कर कोई सम्पदा नहीं हो सकती ।
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चुंबनों से भरा डिब्बा (कहानी)
Reviewed by Jeetender
on
July 27, 2021
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