भुलक्कड़ सैमुअल ( कहानी )
पर क्या आपको मालूम है ऐसे ही एक लोक कथा के बारे में बहुत समय पहले की बात है मेक्सिको की खाड़ी के पास उटाह नामक एक गांव था। उस गांव के लोग बहुत पढ़े लिखे होते थे। उस गांव में सैमुअल ग्रे नामक एक दार्शनिक भी रहता था। सैमुअल दिल का बहुत भोला था। लोग सैमुअल की बहुत इज्जत करते थे।
सैमुअल में भूलने की आदत खराब थी। उसे कोई भी बात याद नहीं रहती थी।समय के साथ-साथ सैमुअल की बीमारी भी बढ़ती गई। हालत यहां तक पहुंच गई कि उसे अपना नाम भी याद नहीं रहता। खाना पीना तो दूर, कभी-कभी वह रात को सोना तक भूल जाता। एक दिन सुबह-सुबह सैमुअल को घर के बाहर बेहोश पाया गया।
गांव के लोगों ने डॉक्टर को बुला लिया। काफी गहन चिकित्सा के बाद सैमुअल को होश आया जब लोगों ने सैमुअल से बेहोशी का कारण पूछा तो उसने भोलेपन से जवाब दिया- "शायद मैं सांस लेना ही भूल गया था।" इस घटना के बाद से लोगों ने सैमुअल को सलाह दी कि आगे से वह हर बात को डायरी में नोट कर लिया करें।
अब सैमुअल अपनी हर बात को डायरी में नोट करने लगा। सुबह उठकर वह जांच करता की कौन सी चीज कहां रखी हुई है।एक रात उसने बिस्तर पर बैठे-बैठे लिखा कोर्ट-दरवाजे पर चश्मा मेज की दराज में चप्पल पलंग के नीचे मैं-बिस्तर पर इतना लिखकर वह गहरी नींद में सो गया। दूसरे दिन उठकर वह डायरी देखने लगा कि कौन सी चीज उसने कहा रखी थी।
कोर्ट, चश्मा, चप्पल, तो उसे यथास्थान मिल गया पर 'मैं' बिस्तर पर नहीं मिला। बिस्तर पर तो सिर्फ तकिया पड़ा था। खाली बिस्तर को देखकर सैमुअल परेशान हो गया।
उसने इधर-उधर देखना शुरू किया कि आखिर 'मैं' गया किधर? पूरे कमरे को उसने छान मारा पर उसे 'मैं' दिखलाई नहीं पड़ा। हार थक कर वह बिस्तर पर लेट गया। अचानक उसने सोचा कि क्यों ना फिर से डायरी देख लूं, कि आखिर 'मैं' कहां हो सकता है?
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