दुनिया का सबसे लोकप्रिय गीत ?
जन्मदिन पर गाया जाने वाला अंग्रेजी गीत ' हैप्पी बर्थ डे टू यू ' (Happy birthday to you ) सारी दुनिया में लोकप्रिय है । किसी भी देश में बोली जाने वाली भाषा चाहे जो हो लेकिन जन्मदिन के अवसर पर यह गीत गाया जाता है । हर बच्चा अपने जन्मदिन पर यह गीत सुनकर खुश हो जाता है ।
ऐसा नहीं कि यह गीत केवल बच्चों के लिए ही गाया जाता है । हर उम्र के लोगों के लिए यह गीत गाया जाता है । शहरों से लेकर गांवों तक में यह गीत लोकप्रिय है । सौ वर्ष पुराना यह गीत दुनिया के कोने - कोने में गाया जाता है और शायद दुनिया का सबसे लोकप्रिय गीत भी है ।
सन् 1893 में मिल्ड्रेड और पैटी हिल नाम की दो स्कूल अध्यापिकाओं ने यह गीत लिखा था । इसकी पहली पंक्ति ' गुड मार्निंग टू यू ' थी और इसमें दो पद थे । पहले तो यह गाना ज्यादा चला नहीं लेकिन जब सन् 1935 में इसकी पहली पंक्ति बदल कर ' हैप्पी बर्थ डे टू यू ' कर दी गई तो यह गाना एकदम लोकप्रिय हो गया और लोगों की जुबान पर इतना चढ़ गया कि अब यह जन्मदिन की पार्टियों का आवश्यक अंग बन गया है ।
सप्ताह के दिनों के नाम कैसे मिले ?
श्रद्धा ने पूछा , " मैम हम सप्ताह के दिनों को संडे , मंडे आदि क्यों कहते हैं ? इन दिनों को ये नाम कैसे मिले ? " मैम ने जानकारी दी , " सप्ताह के दिनों के नाम हमने एंग्लो - सैक्सनों से लिए हैं । वे अधिकतर दिनों को अपने देवताओं के नाम पर बुलाते थे । सूर्य अर्थात ' सन ' का दिन सन्नानडैग (SUNNANDAEG ) या संडे बन गया ।
चंद्रमा अर्थात ' मून ' के दिन को मोनानडैग (MONANDAEG ) या मंडे कहा जाता था । मंगल अर्थात ' मार्स ' का दिन बना ट्यू ( TIW ) का दिन , जो युद्ध के देवता थे । यह ट्यूिसडैग ( TIWESDAEG ) या ट्यूसडे बना । बुधवार या ' वैडनसडे ' वोडेन ( WODEN ) नामक देवता से लिया गया है ।
गरजदार ज्यूपीटर का दिन बना गरज के देवता थोर का दिन और यह बना ' थर्सडे ' । शुक्रवार अर्थात ' फ्राइडे ' को इसका नाम ' फ़िग ' ( FRIGG ) के पीछे मिला ओडिन नामक देवता की पत्नी है । शनि या ' सैटर्न ' का दिन बना सैटर्नसडैग (SAETERNSDAEG ) या शनिवार । "
अप्रैल फूल का दिन कैसे मनाया जाने लगा ?
विक्रांत ने पूछा , " मैम हम अप्रैल फूल , जिसे मूर्ख दिवस भी कहा जाता है क्यों मनाते हैं ? " मैम ने बताया , " ऐसा माना जाता है कि फ्रांस में सबसे पहले लोगों ने मूर्ख दिवस मनाना शुरू किया ।
हुआ ऐसे कि 1564 में एक नया कैलेंडर बना तथा चार्ल्स नवम् ने आज्ञा दी कि नववर्ष पहली जनवरी से प्रारंभ होगा । तब तक पहली अप्रैल ही नव वर्ष का दिन था और नव वर्ष के अवसर पर तोहफों के आदान - प्रदान करने का सिलसिला प्रचलन में था । उस समय लोग पहली अप्रैल को ही नववर्ष मनाते थे और एक दूसरे को उपहार भेंट करते थे । अभी भी बहुत से लोग ऐसे थे जो पुराने कैलेंडर को मानते थे तथा पहली अप्रैल को ही नव वर्ष दिवस के रूप में मनाते थे ।
लेकिन वह लोग जो पहली जनवरी को नव वर्ष मनाते थे वह लोग उनका मजाक उड़ाते , उन्हें झूठे तोहफे भेजते तथा उन्हें ' अप्रैल फूल ' April fool कहते थे । इस तरह इस दिन की शुरूआत हुई तथा फिर हर किसी ने अन्यों को मूर्ख बनाने का प्रयास प्रारंभ कर दिया । "
अंडे तथा खरगोश ईस्टर के साथ कैसे संबंधित है ?
सुशांत ने पूछा , " मैम , अंडों तथा खरगोशों को ईस्टर के साथ क्यों जोड़ा जाता है ? " मैम ने उत्तर दिया , " ईस्टर तथा वसंत दोनों ही नवजीवन के प्रतीक हैं । ईस्टर क्रिश्चियन छुट्टियों में सर्वाधिक उल्लासपूर्ण होता है क्योंकि इसे ईसा मसीह के पुनर्जीवित होने की याद में मनाया जाता है ।
अंडा उर्वरता तथा नवजीवन का प्रतीक है । प्राचीन मिस्रवासी तथा पर्शियंस अपना वसंत का त्यौहार अंडों को रंग कर तथा खा कर मनाते थे । ईसाइयों ने भी अंडे को नए जीवन तथा पुनर्जीवन का प्रतीक मान कर अपनाया ।
प्राचीन मिस्त्री दंत कथाओं के अनुसार खरगोश चंद्रमा से संबंधित है । यदि आप चंद्रमा को कुछ मिनटों के लिए देखें तो आपको इसमें 11 खरगोश जैसी छवि का आभास होगा । खरगोश जीवन के एक नए काल का प्रतीक बना ।
पहले - पहल के ईसाइयों ने इसे अपनाया तथा ईस्टर के साथ जोड़ा जो एक ऐसी छुट्टी है जो नए जीवन का प्रतीक है । इस तरह से अंडे तथा खरगोश ईस्टर के साथ सम्बद्ध हुए- नवजीवन के प्रतीक के रूप में । "
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